Monday, 19 June 2017

अचलेश्वर धाम-पूरे उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय का एकलौता मंदिर


श्री अचलेश्वर धाम --बटाला से 8 किलोमीटर दूर जालन्धर रोड पर भगवान भोलेनाथ के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिक स्वामी जी को समर्पित श्री अचलेश्वर महादेव तीर्थ है, प्रचलित कथा के अनुसार- कार्तिक जी बड़े तथा गणेश जी छोटे थे। क बार भगवान शिव और मां पार्वती जी ने विचार-विमर्श कर बच्चों की बुद्धि का परीक्षण कर दोनों में से श्रेष्ठ को अपना उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय लिया और दोनों को बुलाकर कहा कि जो भी  तीनों लोकों का चक्कर लगाकर पहले कैलाश पहुंचेगा, उसे ही वे अपना उत्तराधिकारी बनाएंगे। माता-पिता की आज्ञा पाकर दोनों भाई अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर तीनों लोकों का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े। कार्तिक जी अपने वाहन मयूर पर सवार होकर आकाश मार्ग से कुछ ही क्षणों में ही आंखों से ओझल हो गए गणेश जी अपने वाहन चूहे पर सवार होकर निकले और माता-पिता की परिक्रमा कर हाथ जोड़ खड़े हो गए। भगवान शिव ने गणेश जी की बुद्धि से प्रभावित होकर उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। जिसे सुनकर कार्तिक जी बहुत दुखी हुए। कार्तिक जी ने उसी समय कैलाश न जाने का प्रण किया धरती पर उतर कर तपस्या करने लगे जो स्थान आजकल श्री अचलेश्वर महादेव तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है। दीपावली के बाद नवमी व दशमी को यहां मेला लगता है। श्रावण महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है 








मंदिर के तालाब में मछलियां



मंदिर मैं बने भीति चित्र   




परिकर्मा पथ


वैसे अचलेश्वर धाम के निकट सिखों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा अच्चल साहिब गुरुद्वारा भी स्थित है। जब गुरु नानक देव सांसारिक यात्रा पर थे, उस दौरान वे यहां पहुंचे और उन्होंने सिद्धों के साथ गोष्ठी की थी। 

गुरुनानक देव सम्वत्  1583 के मार्च माह में यहां लगने वाले शिवरात्रि के मेले मे आए थे । उस समय मेले में  पाखंडी साधु लोगों को मूर्ख बना कर लूटा करते थे । गुरु नानक ने यहां आकर उन पाखंडी सिद्धों से वार्तालाप किया।  गुरुनानक के अमृत वचनों से पाखंडीसही मार्ग पर आए। गुरुनानक जी ने यहां एक कीकर की 
दातुन रोप दी तो संगत ने कहा कि बाबा जी आपने तो कांटेदार वृक्ष लगा दिया है । गुरुनानक देव जी  कहा कि अब यह कीकर के वृक्ष से बेरी का वृक्ष हो जाएगा  और इस बेरी  को बारह महीनों फ ल लगेंगे। वह पेड़ आज भी यहां स्थित गुरुद्वारा साहिब की परिक्रमा  में है।


श्री गुरुद्वारा अच्चल साहिब 


पंजाब के बटाला से सात किलोमीटर दूर स्थित

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