Friday 2 November 2018

बनारस


विश्व का सबसे पुराना शहर : वाराणसी, जिसे 'बनारस' के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन शहर है। भगवान बुद्ध ने 500 बीसी में यहां आगमन किया था और यह आज विश्व का सबसे पुराना और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है। इसके बाद अयोध्या और मथुरा का नंबर आता है

किसी ने लिखा है बनारस घूमने मत आये यहाँ जीवन को जीने की कला सीखने आये - जी हा बनारस मैं आप को हिन्दू धर्म की गहरी परतो को जानने का मौका मिले गा एक घाट पर जहाँ मृतक देह को जलाया जा रहा है वही पास के घाट पर महाआरती चल रही होती है तो दूसरे किसी घाट पर नृत्य एवं संगीत की महफिल लगी मिले गी गंगा मैं तैरती एक लाश को आप बहते दिए की टीमटीमाती रौशनी मैं देख कर क्या सोचे गे यह आप पर है - पर यह तो जरूर सोचे गे की यह संसार नश्वर है -बनारस सच मच रहस्य मई शहर है - विदेशियों के आकर्षण का केंद्र , भीड़ भाड़ वाले बाजारों। जानवरो से भरी तंग गलियां गाली देने से शुरू होती हर बात ,बनारस मैं कुछ तो खास है


अस्सी घाट
अस्सी घाट
मान्यता है की माँ दुर्गा ने असुर शुम्भ निशुम्भ को मार कर अपनी तलवार को यहाँ फेंका था इसी लिए नाम अस्सी घाट पड़ा अस्सी घाट  विदेशी सैलानियों रिसर्चर की पसंद की जगह है यहाँ की सुबह की आरती उसके बाद का योग सेशन एवं सुबहे बनारस की स्टेज पर इंडियन क्लासिकल म्यूजिक की महफ़िल खास है पास की गलिओं मैं रोड साइड स्टाल्स पर अच्छा एवं सस्ता खाना भी एक खास अहमियत लिए है - आप बनारस आये तो यहाँ रहे - थोड़ा सा भीड़ से दूर -





















सुबह की आरती के बाद पंडित जी


नया विश्वनाथ मंदिर

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी मैं हैं बिरला घराने ने  इसे बनवाया था इसलिए इसे बिरला मंदिर भी कहते है इसे गोल्डन टेम्पल भी कहा जाता है I श्री मदन मोहन मालवीय जी ने इसका डिज़ाइन बनाया था इसका स्ट्रक्चर काशी विश्व नाथ मंदिर जैसा ही है






दुर्गा मंदिर      

18th AD मैं यह मंदिर एक तालाब के किनारे बनवाया गया था चकोर आकर का लाल
 पत्थर से बना ये मंदिर पत्थर के काम का अद्भुत उद्धरण है


मुख्या द्वार


तालाब



माँ की मूर्ति














 रामनगर क़िला - 

 कशी के राजा ने मुगलिया स्टाइल  से 1750  मैं बनवाया था क़िले मैं वेद व्यास मंदिर ,सरस्वती भवन अजायबघर , राजा का घर , दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर  खगोलीय घडी  1852 








क़िले के अन्दर  म्यूजियम एवं दरबार हाल देखने योग्य है




बधेनी  घाट तथा जानकी घाट  


घाट चेत सिंह हवेली


घाट चेत सिंह


घाट दांडी तथा घाट हनुमान


दरभंगा घाट तथा  घाट मुंशी


गंगा महल घाट  


हरीश चन्दर घाट  


जैन घाट


जानकी घाट तथा आनंदमई घाट


केदार घाट 


केदार घाट गौरी मंदिर 



ललिता घाट


मान सरोवर घाट


महानिर्वाणी घाट


मणिकर्णिका घाट


नारद घाट


मीर घाट


निरन्जनि घाट


निषाद घाट 


प्रभु घाट 


पंच कीट घाट


हरीश चन्दर घाट  


रीवा कोठी 


तुलसी घाट


रात के वक़्त घाट का नज़ारा


दशाश्वमेध  घाट

जिस स्थान पर दस अश्वमेघ किए वह यही भूमि है। सन् 1929 में यहाँ रानी पुटिया के मंदिर के नीचे खोदाई में अनेक यज्ञकुंड निकले थे आज का घाट पेशवा  बालाजी  बजी  राव 1748  ने बनवाया था  1774  मैं  अहिल्याबाहि  होल्कर  इंदौर की रानी ने नवनिर्माण करवाया  














विदेशी लोगो के आकर्षण का केंद्र - गंगा आरती



आरती की थाली के साथ पुजारी जी






यही घाट के पास है काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर 

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है - इसका स्थान ज्योतिलिंग मैं आता है - यह मंदिर कई बार बनाया गया एवं कई बार आक्रमणकारियों ने इसे तोडा इस इमारत से  पहले बनी इमारत को  1669 ce मैं औरंगजेब ने तोडा था

एवं ज्ञान वापी मस्जिद का निर्माण करवाया था अहलिया भाई होल्कर ने आज की इमारत का निर्माण1780  मैं करवाया था    शिवलिंग 60 लम्बा 90 cm  चौड़ा है मंदिर की ईमारत मैं कुछ और देवी देवताओ की मूर्तियां भी है मंदिर का शिखर 15.5 मीटर ऊँचा है

ज्ञान  कूप  ----- मंदिर के द्वार के पास है ज्ञान वापी कुआं
in 1828 AD. काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्या द्वार पर ग्वालियर के रानी बैज़ा बाई ने बनवाया


मंदिर के पास ही ज्ञान वापी मस्जिद जिसका विवाद चल रहा है - औरंगजेब ने अपने शासन काल मैं मंदिर को तुड़वा कर मस्जिद का निर्माण करवाया था



                                          
                                                यही घाट के पास है जंतर  मंतर 












जंतर  मंतर----यहाँ  महाराजा  जय  सिंह   जयपुर  ने तारा बेधशालाः का निर्माण  1737 मैं करवाया   दिगंश  यन्त्र , क्रांतिवृत्त  यन्त्र , ध्रुवा  यन्त्र  प्रकाश यन्त्र .प्रमुख है जंतर मंतर  दक्ष नेश्वर  घाट  के किनारे पर है


हरिश्चंद्र घाट  

1740, नारायणा  दीक्षित एक संत ने इसके पुनर निर्माण करवाया. मोक्ष घाट के नाम से प्रसीद है  हरिशचंद्र  , वृद्धा  केदार  अदिमणिकंट्स की मुर्तिया यहाँ के मदिर की शोभा है


मणिकर्णिका  घाट

महाश्मसान, मोक्ष घाट के नाम से प्रसीद है  वारणशी के दो घाटों मैं से एक है जहाँ पर हिन्दुओं का अंतिम संस्कार किया जाता है  5th AD का बना है इस के उप्पर अवध के महाराजा द्वारा बनवाया  1850 शिव मंदिर है मान्यता है की यहाँ भगवान् विष्णु ने तालाब खोदा था 

मणिकर्णिका घाट के बारे मैं मान्यता है कि यहाँ भगवन शिव की मणि गिरी थी अन्य कथा अनुसार माँ पार्वती के कान की बाली गिरी थी - यहाँ की सब से दिलचस्प प्रथा है कि यहाँ पर चेत के नवरात्रो मैं  नगर वधू  उर्फ़ वेश्याओं का कार्यक्रम - राजा मान सिंह ने जब पहली बार इस घाट पर कार्यक्रम करवाया तो कोई भी इस प्रोग्राम मैं आने को तैयार नहीं हुआ परन्तु कुछ वेश्याओं ने हां कर दी तब से वो यहाँ मोक्ष की कामना से कर नाचती है  - है ना अनोखा पन जिस घाट पर 24 घंटे लाशे जल रही हो  उस घाट पर नृत्य संगीत की महफिल -



तुलसी घाट

इस घाट को पहले लोलारक घाट भी कहते थे कवी तुलसी दास के नाम पर इस घाट का नाम पड़ा यही पर उन्होंने रामायण की रचना की थी तुलसी घाट मैं सीढ़ियों के ऊपर एक छोटा सा तुलसी मंदिर भी है


काल भैरव मंदिर

इन्हे काशी के कोतवाल के रूप मैं जाना जाता है - काशी की यात्रा यही से शुरू होती है - हर काशी वासी कोई भी काम शुरू करने से पहले यहाँ माथा टेकने आता है - इस इलाके  मैं कोतवाली मैं भी कोतवाल की कुर्सी पर कोतवाल नहीं बैठते वहां प्रभु की तस्वीर रक्खी जाती है एवं कोतवाल जी साइड की कुर्सी पर बैठते है लाल रंग से बना यह मंदिर बड़ा ही रहस्य्मय दीखता है



मंदिर का मुख्या द्वार




संकट मोचन हनुमान मंदिर

दरवाजे पर नो फोटोग्राफी का बोर्ड आपका मुँह चिढ़ाता मिले गा परन्तु मंदिर के अन्दर आपके इस कसैले मुँह का स्वाद बदल देंगे देसी घी के बने बेसन के लड्डू - मंदिर के बाहर बाजार मैं भी बहुत दुकाने है परन्तु सबसे बढ़िया दूकान मंदिर के अन्दर ही है - मंदिर पुराण है भीड़ भाड़ भी खूब है - परन्तु बनारस मैं यही सब तो है - मंदिर मृत्यु और जीवन के रंग



वाराणसी से केवल 12 किलोमीटर दूर सारनाथ बोध धरम का तीर्थ है  यहाँ कई गुम्फा ,
 बोध मंदिर है प्रमुख है धमेक स्तूप
                      यहाँ 110 फ़ीट ऊँची बुद्ध की मूर्ति की स्थापन की गयी है



अशोक स्तम्भ के टुकड़े





सारनाथ म्यूजियम


धमेक स्तूप - यहाँ भगवन बुध के पार्थिव शरीर के अवशेष दबाये गए है
height of 43.6 meters and having a diameter of 28 meters.



मूलगंध कुटी विहार


  तुलसी मंदिर

तुलसी मंदिर अस्सी घाट के पास है यहाँ दीवारों पर तुलसी रामायण को लिखा गया है एवं राम भगवान् के जीवन की झांकिया देखने को मिले गी






रेलवे स्टेशन वाराणसी


माँ विलाक्षी शक्ति पीठ मंदिर 


शिव के मंदिर के पास ही एक संकरी गली मैं स्तिथ है बावन शक्ति पीठों मैं से एक शक्ति पीठ

               इसकी मूर्ति के दर्शन ध्यान से करे यहाँ एक नहीं दो मूर्तियां विराजमान है



सुबह--बनारसके रूप में अस्सी घाटपर ; आध्यात्म-संगीत-योग की त्रिवेणी का संगम यह कार्यक्रम एक नवीन आयाम के साथ 1500 दिवस से निरंतर प्रगतिशील है
काशी के शूलटंकेश्वर घाट पर एडवेंचर्स वाटर स्पोर्ट्स का शुभारंभ : हाईस्पीड डेजर्ट बाइक के साथ ही जेट स्की, वाटर पैरासेलिंग, बनाना राइड, फैमिली राइड, हाई स्पीड बोर्ड, वाटर फ्लोटिंग टेंट, चप्पू बोट पैरामीटर का आनंद

खान पान के मामले भी बनारस की अलग ही मिज़ाज़ है सुबहे नाश्ते मैं कचोरी और जलेभी तो शाम को लस्सी रबड़ी मलाई  छेने के बने दही भल्ले बहुत किसम की चाट एवं बनारसी पान - घाट के किनारो पर लगी दुकाने या  संकरी गलिओं मैं छोटी छोटी दुकाने इनमे एक है ब्लू लस्सी शिव मंदिर के पास ही यह दूकान है जिसने केसर वाली लस्सी केले वाली लस्सी पिने एप्पल वाली लस्सी जैसे कई प्रयोग किये है एवं विदेशी लोगो मैं बहुत प्रचलित है


ब्लू लस्सी का नाम भी दिलचस्प है जो इसको इसके नीले रंग के कारन मिला है 


भाटी चौखा 


मिश्ररामभू यहाँ का शीतल पेय है जो आप को भांग के साथ भी मिल सकती है गौदोलिया चौराहे पर इसकी बहुत दुकाने है


बनारसी साड़ी    


टमाटर की चाट 

काशी चाट यहाँ की मशहूर दूकान है परन्तु वहां पर प्लेटो मैं घूम रहे कॉकरोच और चूहों को नज़र अंदाज़ आप कर सकते है तो स्वाद ले टमाटर की चाट का -

श्री खाटू श्याम जी

  निशान यात्रा में झूमते   भक् ‍ त - भगवान खाटू श्याम की जयकार करते हुए तंग गलियों से गुजरते हुए आनंद मे खो जाते है   और ...