पंजाब का एक मुख्या शहर , सिख धर्म मैं आस्था रखने वालो के लिए एक पवित्र अस्थान , देश भगति की लो जगाती वाघा बॉर्डर की परेड , खाने के शौकीन लोगो के लिए कुलचे को इज़्ज़ाद करने वाला शहर , दाल मखनी , चिकन के विभिन्न प्रकार के जायके बांटता , इतिहास की गरब से रंजीत सिंह की कहानी सुनाता पुल्ल कंजरी , शहर के 12 दरवाजे एवं लोहगढ़ का क़िला ,चंदौसी एवं जरी के इलावा कपडे का कारोबार , दिलदार लोग , पास ही राम तीर्थ जहाँ माता सीता ने लव कुश को जनम दिया था ,खालसा कॉलेज की पुराणी ईमारत - सब मिल कर आपको ऐसी यादें देगा की ताउम्र आप दोबारा आने का बहाना ढूंढेगे
अमृतसर यात्रा के दस खतरे -बच कर रहे
1 यहाँ के गुरुद्वारा के रीती रिवाज दुसरे धर्मो से थोड़ा अलग है - कृपा उसे ध्यान से नोट करे व पालन करे -वर्ना कुछ लोगो की बदतमीजी सहनी पड़ सकती है
2 किसी भी औरत का अजनबी से बाते करना या लिफ्ट मांगना खतरे से भरा हो सकता है - आप की बात का गलत अर्थ भी निकला जा सकता है - पंजाबी समाज इसकी इज़ाज़त नहीं देता
3 पंजाब की छवि नशे के आदि लोगो की बनती जा रही है कृपा नशा ढूंढ़ने की कोशिश न करे आप मुसीबत मैं फस सकते है
4 पंजाब के खाने मैं घी , माखन , पनीर की मात्रा काफी अधिक रहती है लुतफ उठाए परन्तु पेट का ध्यान रखे
5 समान छीनने वाले लोगो से सावधान रहे - रिक्शा पर बैठ कर सामान को कस कर पकड़े
6 अमृतसर मैं हिन्दू धर्म के भी प्रसीद मंदिर है वहां की यात्रा भी करे -एवं पिंगलवाडे मैं जरूर दान दे
7 बाघा बॉर्डर की परेड देखने के लिए पहले निकले वार्ना आप को दूर जगह मिलेगी और आप का मज़ा किरकरा हो जाये गा जाती बार पानी एवं खाने पीने का सामान भी साथ रखे
8 यहाँ की तलवार की गिफ्ट बहुत ही मशहूर है - ले कर जाने से पहले एयर लाइन्स एवं रेलवे के नियम जरूर पद ले
10 पंजाबी लोग खुले दिल के लोग है इनसे प्यार मत कर लेना - यह प्यार मैं जान दे भी सकते है और जान ले भी सकते है
श्री दरबार साहिब
तीसरे पातशाह श्री गुरु अमरदास जी की इच्छा एवं
आज्ञा के अनुसार चौथे पातशाह श्री गुरु रामदास जी ने सन 1573 ई में अमृतसर के
सरोवर को पक्का करवाया और इसे ‘राम सर’ ‘रामदास सर’ या ‘अमृतसर’ पुकारा। पंचम पातशाह की
अभिलाषा थी कि अमृत सरोवर के मध्य में अकालपुरख के निवास सचखंड के प्रतिरूप के रूप
में एक मंदिर की स्थापना की जाए। सिख-परंपरा के अनुसार एक माघ संवत् 1645 वि.
मुताबिक सन् 1589 ई को निर्माण कार्य शुरू करवाया गया और पंचम पातशाह के परम मित्र
साई मीआं मीर ने इसकी नींव रखी।निर्माण कार्य संवत् 1661 वि. अर्थात 1604 ई. में
संपूर्ण हुआ। पंचम पातशाह ने इसे ‘हरिमंदिर’ अर्थात हरि का मंदिर कहा।इस
गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने
तैयार किया था।गुरुद्वारे के चारों ओर दरवाजे हैं जो चारों दिशाओं में खुलते हैं।श्री हरिमन्दिर
साहिब परिसर में दो बड़े और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं।अकाल तख्त दुखभंजनी बेरी संग्रहालय
गुरु का लंगर एक सितंबर 1604 ई. को यहां गुरु ग्रंथ साहिब का प्रथम प्रकाश किया गया। यहां
साध-संगत गोबिंद के गुण गाती है और पूर्ण ब्रह्म-ज्ञान को प्राप्त करती है।
प्रवेश द्वार
रात को रौशनी मैं नहाया प्रवेश द्वार
सेवा दार
गुरु द्वारा माई कोलां जी
श्री हरिमंदिर साहिब के पास गुरुद्वारा बाबा अटल और गुरुद्वारा माता कौलाँ है
लंगर
अनुमान है कि करीब 40 हजार लोग रोज यहाँ लंगर
का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
बुर्ज
दर्शनी डोयोड़ी
श्री अकाल तखत साहिब
लंगर भवन
गुरुद्वारा बाबा अटल
गुरु द्वारा सारा गड़ी
सारागढ़ी
गुरुद्वारा अमृतसर के टाउन हाल और स्वर्णमंदिर के पास ही बना है. सिखों की दिलेरी सिख
सैनिकों की बहादुरी की अमिट कहानी है
सारागढ़ी की लड़ाई-
इस गुरुद्वारे को सन् 1902 में खुद अंग्रेजों ने अपने 21 बहादुर सिख सैनिकों की याद में बनवाया था 1897
को 36वीं सिख रेजिमेंट के 21 सिपाहियों और 10,000 अफगान कबाइलियों के बीच लड़ी गई थी. बाद में इसी
लड़ाई के स्मारक के रूप में अंग्रजों ने अमृतसर, फिरोजपुर और वजीरिस्तान में तीन गुरुद्वारे
बनवाए.
किकली फोक नृत्य पंजाब
ढोल
भारत की सबसे बड़ी LED स्क्रीन
दुकानों पे लगे एक से बोर्ड
स्वर्ण मंदिर के पास का एक छोटा सा बगीचा है. जलियांवाला बाग-- ब्रिटिश शासन के
जनरल डायर ने 13 अप्रैल 1919 को सैकड़ों लोगों
को अंधाधुंध गोलीबारी कर मार डाला था. जलियांवाला बाग
एक राष्ट्रीय स्मारक है
गोलियों के निशान
बाघा बोर्डेर पे बना एक
होटल
विभाजन को दर्शाती म्यूरल
पेंटिंग 100 X 10 feet
पुल्ल कंजरी
अमृतसर-अटारी मार्ग पर पड़ते गांव धनोए कलां में
महाराजा रणजीत सिंह की लाहौर की प्रसिद्ध नर्तकी मोरां
के लिए बनवाई आलीशान बारादरी हैं।धनोए कलां गांव के पास से ही एक छोटी नहर निकलती
थी नर्तकी मोरां, जो बाद में रानी मोरां
बनी, के आग्रह पर रणजीत सिंह ने पुल बनवाया, जिसे पुल कंजरी
या पुल मोरां के नाम से जाना जाने लगा। इसमें एक बावड़ी भी है। बावड़ी के एक किनारे पर
गुंबद है, जिसका भीतरी भाग हिंदू शास्त्रों से संबंधित चित्रों तथा राज
दरबार की झलकियों से सुसज्जित है।
लोंगा वाली माता मंदिर
दुर्गयाना
मंदिर ]
इसका निर्माण 20वीं शताब्दी में हरसाई मल कपूर द्वारा स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर करवाया गया था देवी दुर्गा को
समर्पित दुर्गियाना मंदिर अमृतसर का एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। इसे
लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है
लंगूर नृत्य की तैयारी
मैं कलाकार
शिवाला मंदिर
शिवाला मंदिर करीब ढाई सौ साल पहले शेखूपुरा के
राजा बलदेव सिंह ने बनवाया था।
साडा पिंड पंजाब की विरासत, कला, संस्कृति को एक छत के
नीचे संजोए हुए हैं 12 एकड़ में बने ‘साडा
पिंड’ मिट्टी के घरों, विशाल आंगनों, कुम्हारों, बुनकरों, बढ़ई की लकड़ी की दुकानों चरखा गांव का पोस्ट
ऑफिस जमींदार की हवेली हकीम का घर जादूगर जुलाहा के घर एक ढाबा और एक बारात घर एक बड़ी हवेली और मिट्टी के खिलौने, संगीत वाद्ययंत्र और हाथ से शॉल बनाने वाले
कारीगरों के माध्यम से 1950 के दशक के पंजाब की पारंपरिक जीवन शैली प्रदर्शित करता
राम तीर्थ
राम तीर्थ
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