Wednesday 29 June 2022

इंदौर

 

इंदौर को मध्‍यप्रदेश का दिल कहा जाता है।इंदौर, मध्‍यप्रदेश के मालवा के पठार पर स्थित हैइस शहर में 18 वीं सदी में बना एक मंदिर है जो भगवान इंद्रेश्‍वर को समर्पित है। इंदौर शहर का नाम इसी मंदिर के देवता के नाम पर रखा गया है। इस शहर की खोज राव नंदलाल चौधरी ने की थी। यह शहर कई महान राजवंशों और शासकों के नियमों का गवाह रहा है। लेकिन इतिहास में पन्‍नों में होलकर वंश के शासकों ने इंदौर को एक अलग पहचान दी है।


Rajwada 
राजवाड़ा अर्थात राजाओं के रहने का स्थान  राजवाड़ा  फ्रेंच, मुगल और मराठा आर्किटेक्ट का मिला जुला रूप है | सन 1747-1765 ल्हारराव प्रथम 6174 वर्गमीटर में  7  story - बना राजवाड़ा  संगमरमर, लकड़ी, ईट, मिट्टी और गारे का फ्रेंच, मुगल और मराठा आर्किटेक्ट का मिला जुला रूप है








राजवाड़ा कुल सात मंजिला महल है
| नीचे की तीन मंजिले मार्बल की बनी थी| उपरी चार मंजिलों को सागौन की लकड़ी से बनवाया गया | राजवाड़ा का प्रवेश द्वार 6.70 मीटर ऊंचा है| यह द्वार हिंदू शैली के महलों की तर्ज पर बना है 




1.  लालबाग पैलेस- महल सुबह 10:00 बजे से शाम 05:00 बजे के बीच खुला रहता है। लाल बाग पैलेस होल्कर राजवंश से संबंधित है।



1.  इंदौर केंद्रीय संग्रहालय इंदौर-- संग्रहालय सुबह 09:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक खुला रहता है। केंद्रीय संग्रहालय को इंदौर संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है








1.  कृष्णपुरा छत्रियांपरिसर में तीन छत्रियां और पांच कब्रें हैं। साइट के पीछे से सीढ़ियां पास की कहन नदी के किनारे तक जाती हैं । छत्रियां कई अलग-अलग प्रकार के पत्थरों से बनी हैं, और इसमें विस्तृत रूप से नक्काशीदार बाहरी और स्तंभ कुल 3 छतरियाँ हैं जिनमें से पहली महारानी होल्कर को समर्पित है और शेष दो को महाराजा तुकोजी राव होल्कर द्वितीय और शिवाजी को श्रद्धांजलि के रूप में बनाया गया था। 

7.indore city -3 किमी की दूरी ----opening time 06:00 पूर्वाह्न से 10:00 बजे तक। 
















  पितरेश्वर हनुमान मंदिर के निर्माण का श्रेय भाजपा के नेता कैलाश विजय वर्गीस को जाता है-यहाँ पर अपने पूर्वजो के नाम पर आप पैदा लगाने की परम्परा भी शुरू की गयी है air port se 3 km मूर्ति का वजन 108 टन और ऊंचाई 71 फ़ीट है -मूर्ति के ऊपर का छत्र 18 feet की गोलाई मे है हनुमान जी की गदा 45  फ़ीट की है मूर्ति के सामने 9 X 19 फ़ीट की रामायण स्थापित की गयी है जो 14 फ़ीट ऊँची छत पर स्तिथ है -छत 121 x 121 फ़ीट की है अष्ट धातु से बनी यह प्रतिमा  दुनियाँ की सब से बड़ी धातु की प्रतिमा है



कांच मंदिर- मंदिर बनाने की शुरुआत करीब
1913 में इंदौर के 'सर सेठ हुकुमचंद' ने की थी जिसमें भगवान शांतिनाथ की मूर्ति काले संगेमरमर की और आदिनाथ और चन्द्रप्रभु भगवान की मूर्ति सफेद संगमरमर से बनाई हुई है. जैन मंदिर का   कांच बेल्जियम से मंगवाया  गया था, जिसके कारीगर ईरान से आए थेI इसकी इमारत में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं है बल्कि चूने से पत्थर की जुड़ाई की गई है. इसका आर्किटेक्ट खुद सेठ हुकुमचंद ने किया था. करीब 1913 में इसे बनाए जाने की शुरुआत हुई. इसमें खुद का पैसा लगाकर इसे बनवाया जिसका खर्च करीब 1 लाख 62 हज़ार आया था. इसे करीब ढाई सौ कारीगरों ने बनाया है. यहाँ सोने चांदी से बनी बहुत सी वस्तुए मंदिर की शोभा बढ़ाती है  












गोम्मतागिरी दिगंबर-जैन मंदिर-- शहर का जैन मंदिर मूल रूप से 1526 में बनाया गया था और इसे कई संशोधन प्राप्त हुए हैं। इस जैन मंदिर में भगवान बाहुबली की 21 फीट की मूर्ति है महावीर के जीवन को दर्शाते हुए कई भित्तिचित्र हैं, चौबीस तीर्थंकरों को समर्पित मंदिर सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक खुलता है



गोपाल मंदिर-- 190 साल  गोपाल मंदिर राजवाड़ा के दाहिनी तरफ सवा एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर का निर्माण
1832 में महाराजा यशवंतराव होलकर प्रथम की पत्नी कृष्णाबाई होलकर ने कराया था। मंदिर में चांदी से बनी भगवान कृष्ण की दो फीट ऊंची प्रतिमा है जो चांदी से निर्मित दरवाजों के साथ संगमरमर की एक वेदी पर रखी गई है। मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों के अलावा भगवान वरुण, वाराह अवतार, पद्मावती लक्ष्मी देवी की मूर्तियां भी हैं। मंदिर के पुजारी बालमुकुंद पाराशर का कहना है कि उस समय मात्र 80 हजार स्र्पये में इतने बड़े मंदिर का निर्माण हुआ था।-सागवान और कालिया की लकड़ी के मोटे-मोटे खंभे विशाल कांच के झूमर

लगे हैं। मंदिर के बाहरी हिस्से में मेहराब के रूप में लकड़ी के झरोखे और द्वार बने हुए हैं। मंदिर के जीर्णोद्धार में राजस्थान, सहारनपुर के कारीगर कर रहे हैं इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि इसकी होलकरकालीन वास्तुकला को कायम रखा जाए।-- 






अन्नपूर्णा मंदिर- यह इंदौर का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर को 9 वीं शताब्‍दी में भारत और आर्य व द्रविड़ स्‍थापत्‍य शैली के मिश्रण से बनाया गया था। इस मंदिर की ऊंचाई 100 फीट से भी अधिक है। यह मंदिर, हिंदूओं की देवी अन्‍नपूर्णा को समर्पित है जिन्‍हे भोजन की देवी माना जाता है। मंदिर का द्वार काफी भव्‍य है। चार बड़े हाथियों की मूर्ति द्वार पर सुसज्जित हैं। 

open 05:00 AM to 12:00 PM & 02:00 PM to 10:00 PM.







बड़ा गणपति मंदिर, इंदौर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर गणेश जी की विशाल प्रतिमा के कारण विख्‍यात है। पंचरत्‍नों के पाउडर-विभिन्न तीर्थ सथलो के पानी मिला यह मूर्ति बनाई गई है  गणेश जी की यह मूर्ति 25 फीट ऊंची है जिसे पूरी दुनिया में गणपति की सबसे ऊंची मूर्ति माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1875 में किया गया था। मूर्ति का ढ़ांचा, सोने, चांदी, पीतल, तांबे और लोहे से बना हुआ है।


1.  बीजासेन टेकरी, बीजासेन माता को समर्पित एक सुंदर मंदिर है जो इंदौर में एक 800 feet पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। बीजासेन माता, माता दुर्गा का ही एक स्‍वरूप है। बीजसेन टेकरी के नाम से विख्‍यात यह मंदिर 1920 में बनाया गया था। । मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको तीन सौ से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।  opening time 8 पूर्वाह्न 8 बजे। इंदौर से 7 किलोमीटर दूर है।






 इंदौर चिड़ियाघर --- सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक। सोमवार को बंद रहता है।--शहर से दूरी  11 किमी











इंदौर व्हाइट चर्च-- 09:00 AM to 09:00 PM खुलता है शहर से  10.5 Km दूर है व्हाइट चर्च मध्य भारत के सबसे पुराने चर्चों में से एक है। यह भारत के गवर्नर जनरल, सर रॉबर्ट एम सी हैमिल्टन द्वारा वर्ष 1858 में बनाया गया था। चर्च प्राचीन ब्रिटिश वास्तुकला को प्रदर्शित करता है



 सर्राफा बाजार बंद होने के बाद वहां स्वादिष्ठ व्यंजनों के खोमचे जम जाते हैं और ये करीब रात भर जमे रहते हैं. इंदौर के स्ट्रीट फूड की जड़ें राजस्थान गुजरात,दक्षिण प्रदेश चायनीज़ फ़ूड और महाराष्ट्र के व्यंजनों में हैं । सर्राफा बाजार (समय रात 11 बजे से रात 2 बजे तक खुलता है ) और 56 दुकान (यहाँ खाने की 56 दुकानें हैं।) दिन में खुलता है












खजराना मंदिर   रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनाया गया था।मंदिर का प्रबंधन भट्ट परिवार द्वारा किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि औरंगजेब से मूर्ति की रक्षा करने के लिए, मूर्ति को एक कुएं में छिपा दिया गया था और 1735 में, इसे कुएं से निकाल लिया गया था और 1735 में एक मंदिर की स्थापना अहिल्याबाई होल्कर द्वारा की गई थी, देवता की आंखें हीरे से बनी होती हैं जो इंदौर के एक व्यवसायी ने दान में दी थीं। गर्भगृह की ऊपरी दीवार चांदी से बनी है।

श्री खाटू श्याम जी

  निशान यात्रा में झूमते   भक् ‍ त - भगवान खाटू श्याम की जयकार करते हुए तंग गलियों से गुजरते हुए आनंद मे खो जाते है   और ...