Saturday 24 October 2020

राम गोपाल मंदिर डमटाल हिमाचल प्रदेश पठानकोट
















 




विचित्र मंदिर - विचित्र परम्परा \कलानौर | पंजाब |श्री महाकालेश्वर मंदिर /

 कलानौर | पंजाब |श्री महाकालेश्वर मंदिर /

कलानौर | पंजाब |श्री महाकालेश्वर मंदिर

https://youtu.be/GCp4WEaAA_U

SHIV TEMPLE PART 1 

कलानौर | पंजाब |श्री बावा लाल जी मंदिर /तख़्त ऐ अकबरी / Takht E Akbari / Punjab part 2

https://youtu.be/PAFwhI4PODI

CORONATION OF AKBAR / BABA LAL DYAL / KALI MANDIR / BANDA SINGH BAHADUR GURU DWARS 





भारत का प्रथम मंदिर जहाँ शिव  लिंग है लेटी हुई  मुद्रा में 













डिबकेश्वर महादेव-अमरनाथ जैसी प्राकृतिक गुफा के दर्शन -करें--पठानकोट से चालीस किलोमीटर दूर

अमरनाथ नहीं जा सके कोई बात नहीं -

अमरनाथ जैसी प्राकृतिक गुफा  के दर्शन -करें

शहर  से दूर -प्रकृति की गोद में  बसा एक गांव   - प्राकृतिक जल प्रभात  - और प्राकृतिक गुफ़ा  में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर-पठानकोट से चालीस किलोमीटर दूर

just 40 km from pathankot 

WATCH THE VIDEO AND MAKE SURE TO ENJOY YOUR D



डिबकेश्वर महादेव - ON THE BORDER OF PUNJAB AND HIMACHAL 








Saturday 10 October 2020

पठानकोट / आर्ट गैलरी / अशोक कला ग्राम /

 https://youtu.be/0f-bQW7oXQ0

looking for peaceful places where there is no rush Internal peace Meditation Art and Culture then Welcome to our channel. This channel is aimed at all the tourist sites in India . today a visit to FIRST PRIVATE ART GALLERY of Punjab Buy souvenirs Get your portrait , done on the spot Meet the artists listen the music join the cultural evening

Wednesday 7 October 2020

काशी विशालाक्षी मंदिर Visalakshi temple Shaktipeeth

 https://youtu.be/iQlesJVCUMk




विशालाक्षी शक्तिपीठ हिन्दू धर्म के प्रसिद्द 51 शक्तिपीठों में एक है काशी विशालाक्षी मंदिर जिसका वर्णन देवी पुराण में किया गया है.

follow the link to visit vlog by me and watch live 

one of the shakti peeth temple among 51 peeths of india  near lord shiva temple view the history and story from chief priest of temple

Saturday 8 August 2020

ऐतिहासिक गुरूद्वारे-जीवन मैं एक बार जरूर दर्शन करे -

 

श्री दरबार साहिब

तीसरे पातशाह श्री गुरु अमरदास जी की इच्छा एवं आज्ञा के अनुसार चौथे पातशाह श्री गुरु रामदास जी ने सन 1573 ई में अमृतसर के सरोवर को पक्का करवाया और इसे ‘राम सर’ ‘रामदास सर’ या ‘अमृतसर’ पुकारा। पंचम पातशाह की अभिलाषा थी कि अमृत सरोवर के मध्य में अकालपुरख के निवास सचखंड के प्रतिरूप के रूप में एक मंदिर की स्थापना की जाए। सिख-परंपरा के अनुसार एक माघ संवत् 1645 वि. मुताबिक सन् 1589 ई को निर्माण कार्य शुरू करवाया गया और पंचम पातशाह के परम मित्र साई मीआं मीर ने इसकी नींव रखी।निर्माण कार्य संवत् 1661 वि. अर्थात 1604 ई. में संपूर्ण हुआ। पंचम पातशाह ने इसे ‘हरिमंदिर’ अर्थात हरि का मंदिर कहा।इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था।गुरुद्वारे के चारों ओर दरवाजे हैं जो चारों दिशाओं में खुलते हैं।श्री हरिमन्दिर साहिब परिसर में दो बड़े और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं।अकाल तख्त दुखभंजनी बेरी संग्रहालय गुरु का लंगर एक सितंबर 1604 ई. को यहां गुरु ग्रंथ साहिब का प्रथम प्रकाश किया गया। यहां साध-संगत गोबिंद के गुण गाती है और पूर्ण ब्रह्म-ज्ञान को प्राप्त करती है।


Gurdwara Baba Atal Ji, Amritsar, India

बाबा अटल का गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोबिंद जी के नौ वर्षीय पुत्र की स्मृति में बनाया गया था। अटल राय का जन्म अमृतसर में 22 दिसंबर, 1619 को हुआ था। वे गुरु हरगोबिंद और माता नानकी के प्रिय पुत्र थे। 


Takht Sri Keshgarh Sahib Ji

 यह गुरुद्वारा पवित्र शहर आनंदपुर (आनंद का शहर) साहिब का मुख्य मंदिर है। इस शहर की स्थापना नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी ने की थी गुरुद्वारा श्री केशगढ़ साहिब पांच तख्तों में से एक है  चंडीगढ़ के उत्तर-पश्चिम में लगभग 95 किमी दूर है।

केशगढ़ साहिब खालसा की जन्मभूमि होने के नाते ऐतिहासिक हैं, आनंदपुर अपने आप में एक सुंदर शहर है जो पहाड़ों के शिवालिक पर्वत के तल पर स्थित है जिसमें चारों ओर सतलज बहती है। हर साल वैसाखी के दिन, खालसा अपने सैन्य कौशल को होला मोहल्ला नामक उत्सव में प्रदर्शित करता है।

गुरुद्वारे से पैदल दूरी पर यहाँ विराट-ए-खालसा संग्रहालय है 

Takht Sri Hazur Sahib

तखत सचखंड श्री हजूर अचलनगर साहिब नांदेड़ का प्रमुख मंदिर है।  जहां सम्राट बहादुर शाह के जाने के बाद 1708 में दसवें गुरु ने अपना डेरा डाला था। यहां अपनी अदालत और मण्डली का आयोजन किया। जहाँ से दसवें गुरु हत्यारों द्वारा हमला किए जाने के बाद अपने घोड़े दिलबाग के साथ स्वर्ग में गए थे।

 Gurdwara Sri Baoli Sahib Ji

गोइंदवाल अमृतसर शहर से 30 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व की दूरी पर स्थित है। यहां, दो ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं, जो तीसरे गुरु श्री अमर दास से जुड़े हैं। उन्होंने गोइंदवाल में ’बावली-एक कुआं निर्माण की योजना बनाई। उन्होंने कुछ भूमि खरीदी और धार्मिक आयोजनों के साथ 'बाओली' की नींव रखी। बावली के अस्सी कदम थे। ऐसा विश्वाश है की जो भी हर कदम पर सच्चे मन से जपुजी साहिब का पाठ करता है वो चौरासी जनम के चक्कर से छुट जाता है

Gurwara Sri Taran Taran Sahib Ji

गुरुद्वारा तरनतारन साहिब, अमृतसर शहर से 22 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसका निर्माण गुरु अर्जुन देव ने मुगल शैली में गुरु राम दास की याद में करवाया था। इसका गुंबद तांबे के गिल्ट से ढका है। यह एक बड़े टैंक के किनारे पर स्थित है जिसका पानी कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए माना जाता है। इसलिए, प्रभावित व्यक्ति पिछले चार शताब्दियों से कुष्ठ रोग के कारण होने वाले घावों के इलाज के लिए इस पवित्र मंदिर का दौरा कर रहे हैं। यहाँ हर महीने अमावस का दिन  एक बड़ा मेला लगता है

Gurdwara Fatehgarh Sahib Sirhind

सरहिंद-मोरिंदा सडक पर स्थित ऐतिहासिक और धार्मिंक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण गुरुद्वारा फ़तेहगढ़ साहिब सिखों का एक मुख्य धार्मिक स्थल है। यहीं पर गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों को  वर्ष साहिबज़ादा फतेहसिंह और साहिबज़ादा जोरावर सिंह को 1704 में सरहिंद के फौजदार वज़ीर खान के आदेश पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया था। यह गुरुद्वारा उन्हीं की शहादत की याद में बनाया गया था। गुरुद्वारा के अंदर परिसर में कई प्रसिद्ध संरचनाएं हैं जैसे कि गुरुद्वारा भोरा साहिब, गुरुद्वारा बुर्ज माता गुजरी, गुरुद्वारा शहीद गंज, टोडरमल जैन हॉल एवं सरोवर। प्रवेशद्वार सफ़ेद पत्थर से बनाया गया है दिसंबर महीने के चौथे सप्‍ताह में यहाँ शहीदी जोड़ मेला मनाया जाता है।

 भोरा साहिब।


यह गुरुद्वारा के नीचे भूमिगत है जहाँ बच्चों को जिंदा दफनाया गया था।

थंडा भूर्ज।

थंडा भूर्ज मुगलों द्वारा इस तरह से बनाया गया है कि अंदर का तापमान बाहर की तुलना में ठंडा है। बच्चों और उनकी दादी को दिसंबर सर्दियों की ठंड के दौरान इस भूर्ज में रखा गया था

Gurdwara Data Bandi Chod Sahib, Gwalior, MP, India

MP के ग्वालियर में स्थित इस संगमरमर से बनी 6 मंजिला गुरुद्वारे को Bandi Chod नाम दिया गया है क्योंकि यह 52 राजपूत शासकों की रिहाई का प्रतीक है, जो ग्वालियर किले में कैद थे। छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी, जहाँगीर के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने के लिए ग्वालियर के किले में रुके जहाँ उन्होंने इन शासकों से मुलाकात की और उन्हें मुक्त करने में मदद करने का फैसला किया।, इस गुरुद्वारे का निर्माण 1968 में किया गया था

Gurdwara Manikaran Sahib, Himachal Pradesh, India

गुरुद्वारा श्री गुरु नानक देव जी, हिमालय में अपने सिखों के साथ थे। भूखे थे और खाना नहीं था। गुरु नानक ने भाई मर्दाना को भोजन बनाने के लिए परसाद इकट्ठा करने के लिए भेजा। कई लोगों ने खाना बनाने के लिए चावल और आटा दान किया। समस्या यह थी कि खाना बनाने के लिए आग नहीं थी। गुरु नानक ने एक चट्टान को उठाया और गर्म पानी का झरना दिखाई दिया।

यह स्थान अपने गर्म उबलते सल्फर स्प्रिंग्स के लिए प्रसिद्ध है, माना जाता है कि हॉट स्प्रिंग्स त्वचा रोगों को ठीक कर सकते हैं  गुरु नानक की याद में एक विशाल गुरुद्वारा बनाया गया है,  16 वीं शताब्दी में बना, राम मंदिर,  गुरुद्वारा के पास स्थित है।


Gurdwara Bangla Sahib -New Delhi

"बंगला" शब्द का अर्थ महल है और यहाँ यह राजा जय सिंह के महल को संदर्भित करता है जिसमें आठवें सिख गुरु, गुरु हरकिशन साहिब जी 1664 में दिल्ली की यात्रा के दौरान रुके थे। उन्होंने गुरुद्वारे के केंद्र में मौजूद पवित्र जल के साथ चेचक, चिकन पॉक्स और हैजा के रोगों का इलाज किया इस गुरुद्वारे में एक प्रसिद्ध संग्रहालय भी है जिसमें महान सिख इतिहास को दर्शाया गया है


Gurdwara Sis Ganj Sahib

पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक क्षेत्र में, जहाँ पूज्य नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर का बुधवार, 24 नवंबर, 1675 को मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के आदेश पर सिर कलम कर दिया गया गुरु तेग बहादुर ने मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के आदेश पर इस्लाम में धर्मांतरण से इंकार कर दिया था।




श्री खाटू श्याम जी

  निशान यात्रा में झूमते   भक् ‍ त - भगवान खाटू श्याम की जयकार करते हुए तंग गलियों से गुजरते हुए आनंद मे खो जाते है   और ...