Saturday 7 October 2017

खुजराहो--कामसूत्र के मंदिर

खुजराहो के मंदिर भारतीय शिल्प कला का बेहतर नमूना है कामसूत्र की मूर्तिओं के कारन विदेशी लोगो के आकर्षण का कारन यह मंदिर हमारी महान संस्कृति को दर्शाते है यहाँ लोगो को कामसूत्र के अनुसार मैथुन की मुद्रा के इलावा जैन मंदिर समूह मैं मैथ के मैजिक स्क्वायर के चित्र भी मिलते है
पुरे मंदिर वेस्टर्न ग्रुप , ईस्ट ग्रुप एवं साउथ ग्रुप बाँटे हुए है वेस्टर्न ग्रुप मैं मैं गेट  से  आगे जाते ही बाई तरफ दिखाई  देता है लक्ष्मण मंदिर

लक्ष्मण मंदिर

लक्ष्मण मंदिर
इसमें भगवन विष्णु की चार भुजा वाली तीन  सिर वाली मूर्ति दिखाई देगी बीच वाला मुख इंसान का बाया वाला वराह भगवन एवं दायाँ वाला भगवन नरसिम्हा का है इसमें देवताओ , अप्सरा , एवं दाई दीवार पर मैथुन करते जोड़े की मूर्ति है यह मंदिर 939 A.D  का बना है

पंचायतन शैली में बने इस मंदिर के चारों कोनों पर एक-एक उपमंदिर बना है।लक्ष्मण मंदिर के सामने 2 छोटे मंदिर हैं। इनमें एक लक्ष्मी मंदिर व दूसरा वराह मंदिर है।         















लक्ष्मी मंदिर

लक्ष्मी मंदिर वराह मंदिर की बगल मैं है छोटा है एवं इसके बारे कुछ लिखा नहीं है


वराह मंदिर - लक्ष्मण मंदिर के ठीक सामने है वराह मंदिर 

इसमें 4 पिलर्स है मंदिर छोटा है परन्तु वराह भगवन की 2.6 meter long,1.7 meter ऊँची  मूर्ति है सारी मूर्ति पर बहुत सी मुर्तिया बनी है माथे पर माँ सरस्वती हाथ मैं वीणा लिए विराज मान है यह मंदिर 950  A.D  का बना है


माथे पर माँ सरस्वती हाथ मैं वीणा




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लक्ष्मी मंदिर avm वराह मंदिर 


यहाँ से दाई तरफ एक और मंदिर है इसकी शैली भी अलग है इसके बारे मैं भी कोई जानकारी नहीं लगाई गयी है इसके आगे है विश्वनाथ मंदिर


विश्वनाथ मंदिर

विश्वनाथ मंदिर------यहाँ पर ही क्लासिकल नृत्य का खुजराहो फेस्टिवल होता है इसकी वास्तु शैली लक्ष्मण मंदिर जैसी ही है इसमें सुरसुन्दरी , म्यूजिक यन्त्र बजाती अप्सरा  , मैथुन की मुद्रा मैं इस्त्री पुरुष बने है इसके मुख्या मंदिर के सामने12 खंभों पर टिके चौकोर नंदी का मंडप है नंदी जी की 2.2 मीटर ऊँची प्रतिमा है इसके बाहर दाई तरफ छोटा सा मंदिर माँ पारवती का है  इनमें वीणा वादन करती नायिका तथा पैर से कांटा निकालती अप्सरा की मूर्ति भी अद्भुत है





नंदी मंडप












पारवती मंदिर 

माँ पारवती गोह नामक जानवर पर विराजमान है यह मंदिर 999  A.D  का बना है


कन्दरिया महादेव मंदिर 

कन्दरिया महादेव मंदिर - यह  यहाँ का सबसे बड़ा मंदिर है कन्दरिया का अर्थ है       गुफा  मैं  रहने  वाला  भगवन 22 मंदिरों में से एक कंदारिया महादेव का मंदिर काम शिक्षा के लिए मशहूर है मंदिर 117 फुट ऊंचा, लगभग इतना ही लंबा तथा 66 फुट चौड़ा यह मंदिर सप्तरथ शैली में बना है। यह कॉस्मो यन्त्र की तरह बना है इसमें शिव की फॉर्म्स दिखाई देती है  मंदिर 13 फ़ीट ऊँचे प्लेटफॉर्म पर खड़ा है इसमें 84 शिखर है अग्नि देवता को भी प्रमुखता से वर्णित किया है इसमें मैथुन करते जोड़े बहुत प्रमुखता से ,बारीक़ कारीगरी से दिखाए गए है , उम्र के हर पड़ाव के चेहरे के भाव , ड्रैगन ,योगी मुद्रा  मैं मैथुन की मूर्ति है 

      विशालतम मंदिर की बाह्य दीवारों पर कुल 646 मूर्तियां हैं तो अंदर भी 226 मूर्तियां स्थित हैं। 






जगदम्बे मंदिर 
कन्दरिया महादेव मंदिर   के पास है जगदम्बे मंदिर उपरोक्त मंदिर ऊपर तस्वीर के दाये हाथ दिखाई दे रहा है





चित्रगुप्त मंदिर

चित्रगुप्त मंदिर  --उत्तर दिशा मैं आगे बढ़ने पर चित्रगुप्त मंदिर आता है यह 1023 मैं बना था इस मंदिर में मिथुन नर्तक, देवांगनाएँअंकित किये गए  है यहाँ की अधिकतर प्रतिमाओं में शिव को सौम्य रुपी दर्शाया गया है





मतंगेश्वर मंदिर

मतंगेश्वर मंदिर
यही एक मातर मंदिर है जहाँ पूजा होती है बाकि किसी भी मंदिर मैं पूजा नहीं होती यह मंदिर   राजा हर्षवर्मन ने 920 ई. में बनवाया था गर्भगृह में करीब ढाई मीटर ऊंचा और एक मीटर व्यास का एक शिवलिंग है। 



खजुराहो के प्राचीन गांव के निकट थोड़ी-थोड़ी दूरी पर स्थित पूर्वी मंदिर हैं। इनमें 4 जैन तथा 3 हिन्दू मंदिर हैं।     पहला पिरामिड शैली में बना छोटा-सा ब्रह्मा मंदिर है ब्रह्मा मंदिर से करीब 300 मीटर की दूरी पर वामन मंदिर है। वामन मंदिर से थोड़ा-सा आगे जाएं तो जवारी मंदिर है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में उनके बैकुंठ रूप में दर्शन होते हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर काफी संख्या में मूर्तियां हैं। इनमें अनेक मैथुन दृश्य भी हैं


वामन मंदिर






जवारी मंदिर 1090 A.D

मंदिर से चुरा ली गयी मूर्तिए




ब्रह्मा मंदिर 

यहीं पर 4 जैन मंदिर स्थित हैं। इनमें से घंटाई मंदिर आज खंडहर अवस्था में है।  शेष तीनों जैन मंदिर कुछ दूर एक परिसर में स्थित हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है पा‌र्श्वनाथ मंदिर, जो राजा धंगदेव के काल में  बनवाया गया था। जैन मंदिर की बाहरी दीवारों पर तीर्थंकर प्रतिमाएं बनी हैं।



पा‌र्श्वनाथ मंदिर





आदिनाथ मंदिर


magic sqaure of 24 




दूल्हादेव मंदिर 

दक्षिणी मंदिरों में से एक खोकर नदी के तट पर स्थित दूल्हादेव मंदिर है मंदिर के अंदर एक  शिवलिंग पर 1,000 छोटे-छोटे शिवलिंग बने हैं





चतर्भुज मंदिर

केवल यही  एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें मिथुन प्रतिमाओं का सर्वथा अभाव दिखाई देता है इस मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान विष्णु की चार भुजाओं वाली 9 फीट ऊँची मूर्ति है चतुर्भुज मंदिर खजुराहो मंदिरों के दक्षिणी समूह में आता है। यह 1100 ई. में बनाया गया था



मंदिरों की दीवारों पर  एकल , सामूहिक मैथुनरत मूर्तियां  कामसूत्र में वर्णित  आसनों का बोध कराती हैं। सामूहिक मैथुन के दृश्य तो दर्शकों के मन में एक अलग तरह का कौतूहल पैदा करते ही हैं, किंतु पशु मैथुन के गिने-चुने दृश्यों का रहस्य समझ से परे है




मैथुन क्रिया के आरंभ में आलिंगन व चुंबन के जरिए पूर्ण उत्तेजना प्राप्त करने का महत्व दर्शाया गया है



सेक्स न तो रहस्यपूर्ण है और न ही पशुवृत्ति। सेक्स न तो पाप से जुड़ा है और न ही पुण्य से। यह एक सामान्य कृत्य है खजुराहो के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कामकला के आसनों में दर्शाए गए स्त्री-पुरुषों के चेहरे पर एक अलौकिक और दैवी आनंद की आभा झलकती है।





एक योगी 3 स्त्रियो से सम्भोग करता हुआ





खजुराहो के मंदिरों के बनाने के अलग-अलग कारण बताए जाते हैं  मोक्ष के मार्गों में से एक है काम। मोक्ष के 4 मार्गों  है- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।  एक कारण था  बौद्ध धर्म के प्रभाव के चलते  अधिकतर युवा ब्रह्मचर्य  ओर अग्रसर हो रहे थे। उन्हें पुन: गृहस्थ धर्म के प्रति आसक्त करने के लिए ही देशभर में इस तरह के मंदिर बनाए गए और  यह दर्शाया गया की गृहस्थ रहकर भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।तांत्रिक योग तथा भोग दोनों को मोक्ष का साधन मानते थे।







हालांकि खजुराहो के मंदिर अकेले ऐसे मंदिर नहीं। भारत में ऐसे और भी मंदिर हैं जिनमें कामसूत्र से प्रेरित रतिरत मूर्तियां हैं जैसे छत्तीसगढ़ में भोरम देव का मंदिर, हिमाचल में चंबा मंदिर, उत्तरांचल के अल्मोड़ा में नंदा देवी मंदिर, उड़ीसा में कोणर्क और लिंग राज का मंदिर, राजस्थान के रणकपुर में जैन मंदिर, बाड़मेर जिले में स्थित किराडू के मंदिर और कर्नाटक के हम्पी में मनुमंत का मंदिर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सवा सौ किलोमीटर दूर एक मंदिर ऐसा है जो खजुराहो और सूर्य मंदिर कोणार्क के समीप दिखाई देता है। इस मंदिर में कोई एक दो नहीं पूरी 54 मूर्तियां हैं जो मैथुन की अवस्था में दिखाई देती हैं।

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