जम्मू
क्षेत्र में मंदिर—JAMMU CITY
रघुनाथ
मंदिर-
बावे
वाली माता-
पीर-खो-
रणबीरेश्वर
मंदिर
पंचबख्तर
मंदिर-जम्मू
लक्ष्मी
नारायण मंदिर-जम्मू
गदाधरजी
मंदिर – जम्मू
दूधधारी
मंदिर – जम्मू
पुरमंडल
मंदिर – जम्मू 22 km
पुरमंडल जम्मू
और कश्मीर राज्य के साम्बा ज़िले में स्थित ,देविका नदी के किनारे बसा हुआ एक गाँव है। जहाँ कई घाट हैं।
महाराजा गुलाब सिंह ने 1912 में यहां के प्राचीन मंदिरों
में शिवलिंग की स्थापना की और गदाधर मंदिर का निर्माण करवाया जिससे इसका नाम छोटी काशी
पड़ा।
महाराजा गुलाब सिंह ने यहां पर 108 मंदिरों का निर्माण
करवाया और प्रत्येक मंदिर में 11 शिवलिंग स्थापित किए गए।
केंद्रीय मंदिर में चट्टान में गड्ढा धार्मिक आस्था का
केंद्र है। हजारों श्रद्धालु यहां नाग देवता का जलाभिषेक करते है और हजारों-लाखों लीटर
पानी जाने के बावजूद यह हमेशा आधा भरा रहता है।
पुरमंडल में भगवान गणेश की जो मूर्ति स्थापित की गई है,
उसकी सूंड बाई ओर मुड़ी हुई है। गणेश की जैसी मूर्ति यहां लगी है, वैसी सिर्फ दिल्ली
में सिद्धी विनायक मंदिर में स्थापित है।
मंदिर
में गिद्ड़ की पूजा भी होती है जो मंदिर की एक तरफ बनी हुई है। कहा जाता है कि राजा
ने शिकार के दौरान इस गिद्ड को मार दिया था जो उन्हें हत्या लगी और उनकी बेटी को सिरदर्द
रहने लगी। बाद में उन्हें सपने में यह मंदिर दिखा और यहां वह यहां आए तो यहां गिद्ड
की गर्दन पड़ी थी जिसमें तीर लगा था। उसे निकाला और हत्या को मनाया तो उनकी बेटी ठीक
हो गई। आज भी लोग सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए इस गिद्ड की पूजा करते हुए मन्नत
मांगते हैं
यहां से चार किलोमीटर दूरी पर उत्तरवाहिनी स्थित है जहां
से देविका उत्तर की तरफ मुड़ती है
यहां कुल 1337 शिवलिंग स्थापित किए हैं जबकि पूरे पुरमंडल
में 1400 और पूरे जम्मू में सवा लाख शिवलिंग स्थापित किए गए हैं।
सुई
और बुर्ज मंदिर – जम्मू 20 km
क्रिमची
मंदिर - जम्मू- 64 किमी
मानतलाई
मंदिर – जम्मू 88km
मानतलाई. शद्ध महादेव से 7 किमी . दूर मानतलाई है जो अत्यंत
रमणीक स्थल है. अगर आप मान तलाई आना चाहते हैं तो मार्च से मई और सितंबर से नवंबर तक का समय सबसे बेहतर है।
सुदूर पहाड़ियों में बसा मान तलाई जम्मू से 125 किलोमीटर
दूर है। सर्दी में यहां बर्फबारी का मजा भी लिया जा सकता है
लेकिन कई बार रास्ते बंद होने के कारण यहां आना खतरनाक हो सकता है। बताया जाता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती से यहीं पर विवाह संपन्न किया
था।
कैलाश
पर्वत से होते हुए भोले बाबा की बारात यहीं पहुंची थी इस मन्दिर में कन्या के रूप में
देवी पार्वती की एक छोटी मूर्ति है।
बिलावर - 108 किमी
जम्मू कश्मीर के देवी मंदिरों में माता सुकराला देवी का मंदिर है। सुकराला माता को मल्ल देवी के नाम से भी बुलाते है। माता सुकराला भगवती शारदा का ही अवतार है | मंदिर
बिलावर से 9.60 किलोमीटर और कठुआ से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर है।
मंदिर में मल्ल देवी की पिंडी है जो बहुमूल्य गहनों तथा
वस्त्रों से सजी हुई है देवी
ने यहां खुद को एक शिला
के रूप में प्रकट किया है, जो पीतल के
शेर पर विराजमान है।
इसके पीछे महिषासुर मुर्दिनी की एक छवि
भी है।
मंदिर
की बाहरी दीवार पर द्वारपाल के
रूप में भैरव तथा महावीर जी की मूर्तियां
है। ऊपर गणेश जी की तथा
माता की मूर्ति के
सामने बाहर शेरों की मूर्तियां है।
देवी
चार भुजाओं वाली हैं जिनके एक हाथ में
तलवार है। तीर्थ के साथ कई
किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं।
मंदिर
का भव्य भवन सफेद रंग का है, इस मंदिर का कलश बहुत ही ऊँचा है तीर्थयात्रियों
को पूजनीय मंदिर तक पहुंचने के
लिए 150 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
सुकराला
माता मंदिर - बिलावर -
महाबिलवाकेश्वर
मंदिर- बिलावर---
महाबिलवाकेश्वर
मंदिर जम्मू और कश्मीर में
कठुआ जिले के बिलावर में
मूनी में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित मंदिर,
उझ नदी की मुख्य सहायक
भिनी के तट पर
स्थित है। मंदिर का अनोखा गोलाकार
गुंबद पर्यटकों को दूर-दूर
से आकर्षित करता है। यह क्षेत्र के
कला और वास्तुकला के
भंडार के रूप में
भी कार्य करता है। यहां, लिंगम की दुर्लभ छवियां
मिल सकती हैं।
कठुआ
84 किमी
बाला
सुंदरी मंदिर – कठुआ 11 किमी
माता
चंचलोई देवी मंदिर - कठुआ- बसोहली टाउन
चीची
माता मंदिर – सांबा 38 km
शेषनाग
मंदिर - मानसर झील—
मानसर
झील जम्मू और कश्मीर के
जम्मू शहर से 45 km किमी दूर स्थित है ये एक
लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट हैं।सर्पों के देवता शेषनाग का मंदिर झील का एक प्रसिद्ध पर्यटक
आकर्षण है खूबसूरत मानसर झील नौका विहार स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। मानसर
झील दो मंदिरों, उमापति
महादेव और नरसिम्हा और
दुर्गा के मंदिर का
भी घर है। ।
यह नवविवाहित जोड़ों द्वारा बड़ी संख्या में दौरा किया जाता है जो आशीर्वाद
लेने के लिए तीन
परिक्रमा करते हैं।
मानसर
झील में शैवाल, मछली और जलपक्षी की
प्रजातियां भी हैं।
मानसर झील
शिव
खोरी – उधमपुर 119 km
शुद्ध
महादेव – पटनीटोप
पटनीटॉप के पास सुध महादेव (शुद्ध महादेव) का मंदिर स्तिथ है। यह मंदिर शिवजी के प्रमुख मंदिरो में से एक है
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर एक विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हुए है जो की पौराणिक कथाओ के अनुसार स्वंय भगवान शिव के है।
इस मंदिर से कुछ दुरी पर माता पार्वती की जन्म भूमि मानतलाई
है। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 2800 वर्ष पूर्व हुआ था
पुराणो की कहानी के अनुसार माता पार्वती नित्य मानतलाई
से इस मंदिर में पूजन करने आती थी । एक दिन जब पार्वती वहां पूजा कर रही थी तभी सुधान्त
राक्षस, जो की स्वंय भगवान शिव का भक्त था, वहां पूजन करने आया। जब सुधान्त ने माता
पार्वती को वहां पूजन करते देखा तो वो पार्वती से बात करने के लिए उनके समीप जाकर खड़े
हो गए। जैसे ही माँ पार्वती ने पूजन समाप्त
होने के बाद अपनी आँखे खोली वो एक राक्षस को अपने सामने खड़ा देखकर घबरा गई। घबराहट में वो जोर जोर से चिल्लाने लगी। उनकी ये
चिल्लाने की आवाज़ कैलाश पर समाधि में लीन भगवान शिव तक पहुंची। महादेव ने पार्वती
की जान खतरे में जान कर राकक्ष को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेका।
त्रिशूल आकर सुधांत के सीने में लगा। उधर त्रिशूल फेकने
के बाद शिवजी को ज्ञात हुआ की उनसे तो अनजाने में बड़ी गलती हो गई। इसलिए उन्होंने वहां पर आकर सुधांत को पुनः जीवन
देने की पेशकश करी पर दानव सुधान्त ने इससे यह कह कर मना कर दिया की वो अपने इष्ट देव
के हाथो से मरकर मोक्ष प्राप्त करना चाहता है। भगवान ने उसकी बात मान ली और कहाँ की
यह जगह आज से तुम्हारे नाम पर सुध महादेव के नाम से जानी जायेगी। साथ ही उन्होंने उस
त्रिशूल के तीन टुकड़े करकर वहां गाड़ दिए जो की आज भी वही है।
त्रिशूल
पर किसी अत्यंत प्राचीन भाषा में कुछ लिखा है जो बहुत प्रयासों के बाद भी विद्वानों
को समझ नहीं आया है. सुधान्त के नाम पर ही इस मंदिर को सुध महादेव के नाम से जाना जाता
है.
गौरी
कुंड मंदिर – पटनीटोप
नाग
मंदिर – पटनीटोप
नाग मंदिर पटनीटॉप का देखने योग्य स्थान है।
मंदिर का अधिकांश
भाग लकड़ी से बना है
और ऐसा विश्वास है कि यह
लगभग 600 साल पुराना है।एक विश्वास के अनुसार इस
मंदिर में यात्री केवल दिन में ही प्रवेश कर
सकते हैं।
बुद्ध
अमरनाथ मंदिर - पुंछ
राम कुंड मंदिर – पुंछ
वासुकी
नाग मंदिर - भद्रवाह
गुप्तगंगा
मंदिर - भद्रवाह
सरथल
माता मंदिर - किश्तवाड़
माछैल
माता मंदिर - किश्तवाड़
शिव
मंदिर - बसोहली किला
बसोहली
शहर में मंदिर
त्सो
मोरीरी - लद्दाख
कामेश्वर
मंदिर - अखनूर
कोल कंडोली
मंदिर
- नगरोटा
बाबोर
मंदिर - उधमपुर