Tuesday 30 April 2024

श्री खाटू श्याम जी

 निशान यात्रा में झूमते  भक्-भगवान खाटू श्याम की जयकार करते हुए तंग गलियों से गुजरते हुए आनंद मे खो जाते है  और  दर्शन की अभिलाषा मे  मस्ती से मुख्य मंदिर की तरफ़ बढ़ते जाते है




खाटू श्याम जी का nearest रेलवे स्टेशन रींगस है  दिल्ली से Sainik Express,

Daurai Special ,Ajmer Jan Shatabdi Express, ट्रैन है जो  5 hours लेती है

 बेस्ट ट्रैन है  Chetak Express  जो  8 बजे चलती है रात 11. 30 बजे पंहुचा देती है



पंजाब से अंबाला के पास से नेशनल हाईवे 52 fastest route हैं  अम्बाला से जाते है तो पहले आप झुनझुनु -बसाऊ ,मंडावा चूरू ,नवलगढ़ ,सालसर बालाजी  दर्शन कर भी खाटू श्याम पहुँच सकते है यहाँ 35 के आसपास धर्मशाला है जहाँ आप फ़ोन पर भी बुकिंग करवा सकते है 300 रुपए से  2000 तक आप सिंगल bed से लेकर 4 बेड रूम तक ले सकते  है









old shyamkund 



New shayam kund 

यह मंदिर 1027 ई॰ में रूपसिंह चौहान और नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया। इस मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक के सिर की पूजा होती है। जबकि बर्बरीक के शरीर की पूजा हरियाणा के हिसार जिले के एक छोटे से गांव स्याहड़वा में होती है।

हिन्दू धर्म के अनुसार, खाटू श्याम जी ने द्वापरयुग में श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त किया था कि वे कलयुग में उनके नाम श्याम से पूजे जाएँगे। बर्बरीक जी का शीश खाटू नगर (वर्तमान राजस्थान राज्य के सीकर जिला) में दफ़नाया गया इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है।

कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया, जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।


मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 . में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।

Tourist Places to Visit in Khatu Shyam Ji

 Shri  Shyam Mandir     Shyam Bagichi      Gaurishankar Mandir      Shri Hanuman Mandir



Wednesday 24 April 2024

विश्व का खूबसूरत कस्बा देखना है तो चले आओ मंडावा

दुनियाँ की सबसे बड़ी open art gallery -विश्व का तीसरा खूबसूरत शहर -मरू भूमि का प्रवेश द्वार - सेठसाहूकारों का मंडावा - 


जिसकी ख़ूबसूरती की झलक आप कई फ़िल्मों पीकेबजरंगी भाई जानजब वी मेट 'कच्चे धागे पहेली मे  निहार चुके है


अपने fresco art से सजी हवेलियों -बावड़ियों -बुर्जो -छतरियों - के लिए दुनियाभर में मशहूर है। फ्रेस्को पेंटिंग्स 200 साल पुरानी है, 


लेकिन इनकी चमक आज भी नई जैसी लगती है। 

इन पेंटिंग्स को बनाने में जो रंग इस्तेमाल किए जाते थे, वे शुद्ध प्राकृतिक हुआ करते थे।


 Travel magazine के अनुसार खूबसूरती में  स्पेन का अलबरैशिन कस्बा पहले नंबर पर  है,  


जबकि राजस्थान के झुंझुनूं जिले का मंडावा तीसवें नंबर है।


खास बात यह है कि पूरे भारत में केवल मंडावा को ही यह दर्जा मिला है



मंडावा मे घूमने का बेस्ट टाइम है सर्दियों का मौसम -nearest रेलवे स्टेशन है झुंझुनू ३० किलोमीटर  -जहाँ से आप बस टैक्सी से यहाँ पहुँच सकते है -airport है जयपुर 182 किलोमीटर



मंडावा आइए यहां गोबर से लेपी हुई झोपड़ियां भी हैं और फाइव जैसी सुविधा वाले होटल भी.

यहां के कलात्मक भवन, और हवेलियां  ,किसी ने किसी रूप से इतिहास से जुड़े हैं.

मंडावा जहाँ विदेशी महिलाये राजस्थानी लोगो के साथ सफ़ेद वस्त्र पहने होली के रंगो से खेलते हुए भारतीय संस्कृति को करीब से महसूस करती है

शेखावाटी इलाके के इस गांव को राजस्थान की फिल्म सिटी भी कहा जाता है  


इतिहासकारों के मुताबिक मंडावा में राजपूतों ने संवत 1812 में शासन करना शुरू किया था. इससे पहले यह छोटा सा गांव था जो झुंझुनूं नवाब के अधीन था. 



बताया
 जाता है कि इससे पहले यहां मांडू जाट आकर बसा थाइसलिए इसे पहले मांडूवास कहकर पुकारते थे.


कालांतर में यह परिवर्तित होता हुआ मांडुवा तथा मंडवा और अंत में मंडावा कहलाया. इस स्थान पर मांडू जाट ने एक कच्चा कुआं बनवाया था. 



बाद
 
में उसे पक्का करवाया गयावह कुआं आज भी मंडावा कस्बे के 
हनुमान मंदिर के पास गली में मौजूद है.



मंडावा
पुराने सिल्क रूट पर पड़ने वाला मुख्य व्यापारिक केंद्र था, इसलिए यहां के व्यापारी खूब फलेफूले।


 
कालांतर में उनके पास इतना पैसा  गया कि उन्हें इस छोटे से कस्बे में रहना अप्रासंगिक लगने लगा और वे मुंबईदिल्लीसूरतकोलकाता जैसे बड़े व्यापारिक नगरों की ओर चले गए।

अब इन हवेलियों के मालिक किसी मांगलिक अवसर पर अपने कुलदेवता की पूजा-अर्चना करने हवेलियों में लौटते हैं, बाकी समय ये हवेलियां लगभग वीरान रहती हैं।


चिडावा। वहां का पेड़ा भी बहुत मशहूर है










श्री खाटू श्याम जी

  निशान यात्रा में झूमते   भक् ‍ त - भगवान खाटू श्याम की जयकार करते हुए तंग गलियों से गुजरते हुए आनंद मे खो जाते है   और ...