Sunday 24 November 2019

ओरछा

 ओरछा में प्रवेश करते ही एक तरफ बेतवा नदी और दूसरी तरफ ऊँचे बड़े महल, मंदिर और छतरियां दिखाई पड़ने लगती हैं. ओरछा का मतलब है छुपा हुआ   ओरछा झाँसी से 17 किमी दूर है.

यहां चार महल, जहांगीर महल, राज महल, शीश महल है.

ओरछा किला का निर्माण 1501 में बुंदेला राजपूत रूद्र प्रताप सिंह द्वारा की गयी थी राजा महल का निर्माण 1554 से 1591  में राजा मधुकर शाह द्वारा ,जहाँगीर महल का निर्माण वीर सिंह देव ने 1605-1627 के बीच करवाया था। ओरछा फोर्ट परिसर के अन्दर स्थित शीश महल में नक्काशीदार छत वाला महाकक्ष मौजूद है, जिसे वर्तमान में एक होटल में कन्वर्ट कर दिया गया है।

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राय प्रवीन महल-- यह  महल राजा इन्द्रमणि की खूबसूरत गणिका एक कवयित्री और संगीतकारा प्रवीणराय की याद में बनवाया गया था।





राजा महल में पेंटिंग











जहांगीर महल वर्ष 1605 ई. में बीर सिंह देव द्वारा मुगल सम्राट जहाँगीर के लिए बनाया गया था, जो मात्र 1 रात के लिए राजा के मेहमान के रूप में आए थे।






जहाँगीर महल - मुगल सम्राट जहाँगीर के सम्मान में बनवाया था।


ऊँटखाना










रायमन दउवा की कोठी

शाही दरवाजा





चतुर्भुज मंदिर-


चतुर्भुज मंदिर- इस मंदिर का निर्माण 1558 से 1573 के बीच राजा मधुकर ने करवाया था।




सावन भादों

मंदिर के पास एक बगान है जिसमें स्थित काफी ऊंचे दो मीनार (वायू यंत्र) लोगों के आकर्षण का केन्द्र हैं। जि्न्हें सावन भादों कहा जाता है



छतरी

छतरी का अर्थ है स्मारक--बेतवा नदी के किनारे कंचना घाट के आस पास 15 बुन्देली राजपूत राजाओं की छतरियां हैं राजाओं या शाही परिवार जनों की मृत्यु के बाद ये स्मारक बनाए गए थे सोलहवीं और अठारहवीं शताब्दी के बीच ये छतरियां बनाई गई थी.



छतरियां बड़े चौकोर चबूतरों पर दो या तीन मंजिली ऊँची बनी हुई हैं.

ये छतरियां सोलहवीं और अठारहवीं शताब्दी के बीच बनाई गई थी.


इस छतरी का शिखर गुम्बदनुमा है





सबसे बड़ी छतरी बुंदेला राजा वीर सिंह देव की है


मंदिर जैसे शिखर वाली छतरी
छतरी के सामने शिवलिंग


बुंदेला राजाओं की छतरियां



हरदौल वाटिका 


हरदौल के बड़े भाई जुझारसिंह ओरछा के राजा थे ,लेकिन उनकी तैनाती दिल्ली दरबार में थी।उन्होंने अपने छोटे भाई हरदौल को अपना प्रतिनिधि बनाकर ओरछा का राज सौंप दिया।  चापलूसों ने कहा कि हरदौल और जुझारसिंह की बीवी के बीच प्रेम संबंध हैं। नाराज़ जुझारसिंह ने अपनी पत्नी से कहा कि  हरदौल के खाने में ज़हर मिलाकर उसे मार डाले। हरदौल भाभी को माँ की तरह मानते थे।ज़हर देते समय रानी फ़फ़क उठी। चकित हरदौल ने कारण पूछा तो वह छिपा न सकी। हरदौल ने कहा , ” माँ ! बस इतनी सी बात। और हरदौल ने ज़हर पी लिया। हरदौल ने प्राण त्यागे तो शोक में सैकड़ों लोगों ने सामूहिक आत्मदाह किया। ओरछा में कई दिन तक चूल्हे नहीं जले। हरदौल की बहन कुंजावती की बेटी का ब्याह हुआ तो मंडप के नीचे रिवाज़ के मुताबिक़ मामा को भात लेकर  जाना पड़ता है। कुंजावती जुझारसिंह से नाता तोड़ चुकी थी और हरदौल की मौत हो चुकी थी। बहन ने चीत्कार करते हुए हरदौल को पुकारा। मान्यता है कि हरदौल की आत्मा ने भात की रस्म अदा की। तबसे लेकर आज तक बुंदेलखंड की हर माँ हरदौल को अपना भाई मानती है और बेटी के ब्याह में पहला कार्ड श्री राम को देने के बाद दूसरा निमंत्रण पत्र हरदौल को देने की परंपरा है। हरदौल के वस्त्र,महल,उनका आवास आज भी जस का तस रखा हुआ है




शीश महल राजा उदेत सिंह का शाही निवास था इस महल को वर्तमान में एक होटल में परिवर्तित कर दिया गया है







राम मंदिर ओरछा -----दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है।उन्हें गार्डों की सलामी देते हैं।भगवान श्रीराम का ओरछा में 400  वर्ष पूर्व राज्याभिषेक हुआ था

ओरछा नरेश मधुकरशाह कृष्ण भक्त थे लेकिन रानी गणेशकुंवरि राम भक्त थीं। राजा ने रानी को वृन्दावन चलने को कहा रानी ने वृंदावन जाने से मना कर दिया। क्रोध में आकर राजा ने उनसे यह कहा कि तुम इतनी राम भक्त हो तो जाकर अपनेराम को ओरछा ले आओ।  रानी इस मूर्ति को (1554-92) के दौरान रानी गनेश कुवर अयोध्या से लाई - राजा मधुकरशाह ने करोडों की लागत से चतुर्भुज मंदिर का निर्माण कराया। जब रानी ओरछा पहुंची तो उन्होंने यह मूर्ति अपने महल में रख दी। यह निश्चित हुआ कि शुभ मुर्हूत में मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में रखकर इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मूर्ति वहां  से हिली नहीं प्रभु का चमत्कार

महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर। यह पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। चतुर्भुज मंदिर आज भी वीरान पडा है। मूर्ति को वही स्थापित कर दिया गया



श्री खाटू श्याम जी

  निशान यात्रा में झूमते   भक् ‍ त - भगवान खाटू श्याम की जयकार करते हुए तंग गलियों से गुजरते हुए आनंद मे खो जाते है   और ...