Saturday 5 August 2017

जामनगर---द्वारका -बेट द्वारका--नागेश्वर ज्योर्तिलिंगम-पोरबंदर -गिरनार- सोमनाथ -दिउ

जामनगर
जामनगर (पूर्व नवानगर) 444 साल पहले  श्री जाम रावल द्वारा नागमट्टी और रंगमट्टी रिवर के तट पर स्थापित किया गया था, जिन्हें भगवान कृष्ण के वारिसों में से एक माना जाता है

जम्मू से  सीधी ट्रैन आपको जामनगर उत्तार देगी आज की यात्रा हम जामनगर से शुरू करते है जामनगर से द्वारका 140 K,M है जामनगर अपनी बाँदनी वर्क , भारत की एक मातर मरीन पार्क , नमक के खेतों के कारन प्रसीद है जामनगर का हनुमान मंदिर विश्व रिकार्ड्स मैं अपना नाम लिखवा चूका है यहाँ पर 1 अगस्त 1964 से लगातार राम धुन गाई जा रही है 


यहाँ खान पान के शौकीन लोगो के लिए फाफरा , ढोकला , पातड़ा , आइस क्रीम , ड्राई फ्रूट कचोरी , मुखवास  पान एवं देसी सोडा का स्वाद ले यहाँ आपको  राम डेरी  मैं 50  अलग अलग तरह की आइस क्रीम खाने का मौका भी मिले गा अदरक की आइस क्रीम , अंजीर की आइस क्रीम आप को जामनगर मैं ही मिले गी यहाँ के लोग शाकाहारी है इसलिए माँसाहारी भोजन न खोजे 



लाखोटा फोर्ट

लखोटा झील तथा लखोटा किला --- लखोटा किले के परिसर के चारों ओर एक सुंदर लखोटा झील जामनगर शहर के मध्य में स्थित है। । झील का निर्माण नवानगर के राजा जन रणमल द्वितीय ने 19वीं शताब्दी के आसपास करवाया था। यहां देशी और प्रवासी दोनों तरह के पक्षियों की 75 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। उनमें से कुछ राजहंस, स्पूनबिल, गुल और पेलिकन हैं।




बंसी होटल यहाँ के शानदार होटलो मैं से एक है यहाँ चांदी के गहने भी अच्छे एवं नए डिज़ाइन  मैं  मिलते  हैयहाँ 4 जैन मंदिर भी है जो अपनी कलाकृतिओ के लिए दर्शनीय है यहाँ आयल रिफाइनरी , ब्रास  पार्ट  का  बिज़नेस  है  जामनगर से द्वारका जाए 



दो जैन मंदिर हैं, शांतिनाथ और आदिनाथ मंदिर, जो पूरी तरह से दर्पण, सोने की पत्ती, भित्ति चित्र और मोज़ाइक से ढके हुए हैं 

मंदिरों के पास
19वीं सदी की रतन भाई मस्जिद है, जिसके दरवाजे मोती से जड़े हुए हैं।
इसके इलावा यहाँ पर ,बालाचारी बीच ,आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय ,हर्षद माता मंदिर, कच्छ की खाड़ी में बना मरीना नेशनल पार्क देखने योग्य है मरीना नेशनल पार्क- देश का पहला मरीन नेशनल पार्क है।

द्वारका

द्वारका शहर वह स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद द्वारका नगरी बसाई थी। यह भारत की 4 धामों में से 1 धाम और 7 पवित्र पुरियों में से एक पुरी है मान्यता है कि यह नगर अरब समुद्र में 6 बार डुब चुका है और वर्तमान द्वारका 7वां शहर या नगर है जिसको पुराने द्वारिका के पास पुन: स्थापित किया गया है।वर्तमान की द्वारका आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित है।
द्वारका के दक्षिण में  'गोमती तालाब' है। इसके ऊपर नौ घाट है। घाट के पास एक कुण्ड है, जिसका नाम निष्पाप कुण्ड है।  यहां अपने पुरखों के नाम पर पिंड-दान भी करतें हैं। 

द्वारकाधीश मंदिर

भगवान कृष्ण को रणछोड़जी कहते है। द्वारकाधीश मंदिर का वर्तमान स्वरूप 16वीं सदी में निर्मित हुआ था। यहां पहले कई मंदिर थेलेकिन मुगलों ने उन्हें तोड़ दिया। जिस स्थान पर उनका निजी महल 'हरि गृहथा। वहाँ आज प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है  भीतर चांदी के सिंहासन पर काले पत्थर की श्रीकृष्ण की चतुर्भुजी मूर्ति है।पहली मंजिल में अम्बादेवी की मूर्ति है-ऐसी सात मंजिले है और कुल मिलाकर यह मन्दिर एक सौ चालीस फुट ऊंचा है।परिक्रमा  मन्दिर की दीवार दोहरी है। यही परिक्रमा का रास्ता है इसमें 60  खम्बे है



गोमती द्वारका
द्वारका दो हैं-गोमती द्वारका बेट द्वारका,गोमती के दक्षिण में पांच कुंए है सबसे खास बात यह है की चारो तरफ समुन्द्र का खारा पानी है परन्तु इन कुवैं का पानी मीठा है

गोमती मन्दिर


रुक्मिणी का मंदिर


द्वारका से भेंट द्वारका(34 K.m) है आप को समुन्दर के रस्ते फेरी से जाना पड़े गा यहाँ से बेट द्वारका जाने के दो रस्ते है अच्छा यही रहे गा की आप एक रस्ते से जाये और रस्ते के सारे मंदिरो के दर्शन करे आती बार  दुसरे रस्ते से आये एवं गोपी तालाब , नागेश्वर ज्योर्तिलिंगम के दर्शन करते आये  


बेट-द्वारका ही वह जगह है, जहां भगवान कृष्ण ने अपने प्यारे भगत नरसी की हुण्डी भरी थी

 
गोपी तालाब--
जमीन के रास्ते जाते हुए 13 K.M  आगे गोपी-तालाब पड़ता है। यहां की आस-पास की जमीन पीली है। तालाब के अन्दर से भी रंग की ही मिट्टी निकलती है। इस मिट्टी को वे गोपीचन्दन कहते है। यहां मोर बहुत होते है।गोपी तालाब से 3 K.M  आगे नागेश्वर ज्योति लिंग है
नागेश्वर मंदिर

हर्षद देवी
द्वारका के बाद आप हर्षद देवी के मंदिर भी जा सकते है द्वारका से पोरबंदर 100 K.m है हर्षद मंदिर रस्ते मैं 30 K.m बाद आये गा

हर्षद माता मंदिर----पोरबंदर से 30 किलोमीटर दूर स्थित हरसिद्धि मंदिर को हर्षद माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मूल मंदिर कोयला डूंगर नामक एक पहाड़ी के ऊपर बनाया गया था। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान कृष्ण ने किया था यह मंदिर आपको समुद्र तट का प्राकृतिक दृश्य भी प्रदान करता है।


पोरबंदर गुजरात
 भारत के राष्ट्रपिता गांधी जी का जन्म 1869 में पोरबंदर में हुआ था 
मान्यता अनुसार भगवान कृष्ण के मित्र, सुदामा का जन्म पोरबंदर में हुआ था

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कीर्ति मंदिर
(महात्मा गांधी का जन्म स्थान) गांधी को समर्पित एक संग्रहालय हैं,गाँधी जी का घर
पोरबंदर मैं महात्मा गाँधी का दो मंजिला घर बहुत से मंदिर आप की यात्रा को यादगार बना देंगे , यहाँ की खारी नमक नमकीन बहुत ही प्रसीद है

श्री हरि मंदिर, राम कृष्ण मिशन, राम धून मंदिर, , राणा बापू की महल और चौपाटी जैसे कुछ बेहतरीन पर्यटन स्थल हैं 

भारत मंदिर
हनुमान मंदिर


गिरनार

पोरबंदर के बाद जूना गड के वाइल्ड लाइफ सैंचुअरी की यात्रा लायन से मुलाकात यादो मैं अमिट छाप छोड़ देगी यहाँ का गिरनार जैन तीर्थ है जहाँ एक पर्वत पे कई मंदिर बने है परन्तु सारा रास्ता वीरान है आपको न कुछ खाने को मिले गा न पीने का पानी , चढाई बहुत ही कठिन है परन्तु कोई भी सहायता नहीं मिले गी




यहाँ से आप सोमनाथ 65 K.M जा ज्योति लिंग के दर्शन करे





सोमनाथ के बाद आप अगला पड़ाव होगा दिउ 70 K.M केन्देरी शाषित प्रदेश दिउ छोटा सा शहर है चारो तरफ समुन्दर से घिरा है - गुजरात मैं पीने के शौकीन यहाँ आ कर अपनी प्यास बुझाते है 

दीव- पुर्तगालियों ने 1524 से 1961 तक (ब्रिटिश से भारत की आजादी के बाद) तक 424 वर्षों तक इस क्षेत्र पर शासन किया,


संत पॉल चर्च

सेंट पॉल चर्च--- यह चर्च 1601 ad  से 1610 ad मे बनवाया गया -इसका आर्ट गोवा के फेमस चर्च Bom Jesus Basilica से मिलता है




म्यूजियम -- 

सत थॉमस चर्च 1598 मैं निर्मित है अब इसको म्यूजियम मैं बदल दिया गया है


नगोआ बीच 


पानिकोटा क़िला -- समुंदर के बीच मैं यह एक पुरातन जेल है
दीव किला- दीव फोर्ट 1535 में पुर्तगाली शासन के दौरान बनाया गया समुद्री किला है जो 3 तरफ से अरब सागर से घिरा हुआ है।



सनसेट पॉइंट 


गंगेश्वर मंदिर
पांडवों द्वारा बनाया गया यह मंदिर अपने पांच शिव लिंगों के लिए प्रसिद्ध है।

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