हरिद्वार, हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है हरिद्वार का अर्थ "हरि (ईश्वर) का द्वार"
होता है। पुराणों में इसे गंगाद्वार, मायाक्षेत्र, मायातीर्थ, सप्तस्रोत तथा कुब्जाम्रक
के नाम से वर्णित किया गया है। 'हरिद्वार'
नाम का संभवतः प्रथम प्रयोग पद्मपुराण में हुआ है।
हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार,
हरिद्वार वह स्थान है जहाँ अमृत की कुछ बूँदें भूल से घड़े से गिर गयीं जब धन्वन्तरी
उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे मान्यता है कि चार स्थानों पर अमृत
की बूंदें गिरी थीं। वे स्थान हैं:- उज्जैन, हरिद्वार, नासिक
और प्रयाग। इन चारों स्थानों पर बारी-बारी से हर 12वें वर्ष महाकुम्भ का आयोजन होता
है।
प्राचीन काल से हरिद्वार
में पाँच तीर्थों की विशेष महिमा बतायी गयी है:- दक्षिण में कनखल, पश्चिम दिशा
में बिल्वकेश्वर, पूर्व में नीलेश्वर महादेव चण्डीदेवी,अंजनादेवी आदि के मन्दिर हैं
तथा पश्चिमोत्तर दिशा में सप्तर्षि आश्रम है।
गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी
क्षेत्र में प्रथम प्रवेश करती है,
'हर की पौड़ी' हरिद्वार का
सबसे पवित्र घाट माना जाता है
यहाँ स्नान करना मोक्ष प्राप्त करवाने वाला माना जाता है।
दर्शनीय धार्मिक स्थल
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हर की पौड़ी--
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चण्डी देवी मन्दिर
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मनसा देवी मन्दिर
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माया देवी मन्दिर
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वैष्णो देवी मन्दिर
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भारतमाता मन्दिर
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सप्तर्षि आश्रम/सप्त सरोवर
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शान्तिकुंज/गायत्री शक्तिपीठ
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कनखल---
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पारद शिवलिंग
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दिव्य कल्पवृक्ष वन
हर की पौड़ी--पैड़ी' का अर्थ होता है 'सीढ़ी'। यही 'हरि
की पैड़ी' बोलचाल में 'हर की पौड़ी' हो गया है। भर्तृहरि
की स्मृति में राजा विक्रमादित्य ने पहले यह कुण्ड तथा पैड़ियाँ (सीढ़ियाँ) बनवायी
थीं। एक अन्य प्रचलित मान्यता के अनुसार कहा जाता है
कि यहाँ धरती पर भगवान् विष्णु आये थे।
मनसा देवी मन्दिर= मनसा देवी का शाब्दिक अर्थ है वह देवी जो मन की इच्छा
(मनसा) पूर्ण करती हैं। मुख्य मन्दिर में दो प्रतिमाएँ हैं, पहली तीन मुखों व पाँच
भुजाओं के साथ जबकि दूसरी आठ भुजाओं के साथ।मनसा देवी के मंदिर
तक जाने के लिए यों तो रोपवे ट्राली की सुविधा भी आरंभ हो चुकी है
देहरादून-ऋषिकेश रोड पर हरिद्वार से
सिर्फ 2 किमी दूर स्थित, स्थानीय परिवहन के माध्यम से
पवन धाम तक पहुंचना काफी
आसान और सुविधाजनक है।
पवन धाम का और यह
हरिद्वार में सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थ स्थलों में से एक है।
पवन
धाम मंदिर जटिल वास्तुकला, विस्तृत कांच के काम, शानदार
आंतरिक भाग और दिव्य वातावरण
भक्तों को आकर्षित करता
है । मंदिर का
प्रमुख आकर्षण अर्जुन को भगवद गीता
का उपदेश देते हुए भगवान कृष्ण की भव्य मूर्ति
है।
पवन
धाम, हरिद्वार का एक प्राचीन
मंदिर, है
इस मंदिर का निर्माण 1970 में
स्वामी वेदांत
महाराज ने किया
था। मंदिर में दर्शन करने का समय सुबह
6 बजे से शाम 6 बजे
है।इसका प्रबंधन और देखरेख
गीता भवन ट्रस्ट सोसाइटी द्वारा की जाती है।
चण्डी देवी मन्दिर- स्कन्द पुराण की एक कथा के अनुसार,
स्थानीय राक्षस राजाओं शुम्भ-निशुम्भ के सेनानायक चण्ड-मुण्ड को देवी चण्डी ने यहीं
मारा था; जिसके बाद इस स्थान का नाम चण्डी देवी पड़ गया।\\
दक्षेश्वर महादेव:
हरिद्वार की प्राचीन नगरी कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन है. इस मंदिर
में स्वयंभू पाताल मुखी शिवलिंग है. कहा जाता है कि कनखल भगवान भोलेनाथ की ससुराल है
और भगवान भोलेनाथ की पहली पत्नी सती का जन्म स्थान है.
विल्वकेश्वर
महादेव मंदिर: हरिद्वार में स्थित विल्वकेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर
में स्वयंभू शिवलिंग के साथ-साथ आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित शिवलिंग भी है
पुजारी की माने
तो जिन लड़कियों की शादी ना हो रही हो उनके द्वारा इस मंदिर में पांच रविवार पूजा करने
से उनकी शादी हो जाती है.
गौरी कुंड: हरिद्वार
में स्थित विल्वकेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग के
साथ-साथ गौरीकुंड भी स्थित है. कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने या फिर पानी
को स्पर्श करने मात्र से व्यक्ति को कोई चर्म रोग नहीं होता हैं.
भारत माता मंदिर:
उत्तरी हरिद्वार में स्थित भारत माता का एकमात्र मंदिर है. यह मंदिर 7 मंजिला बना हुआ
है. 7 मंजिले भारत माता मंदिर में कुल 8 तल हैअलग-अलग तल पर राष्ट्रभक्त और स्वतंत्रता
सेनानियों सहित साधु-संतों की भी प्रतिमाएं लगाई गई हैं.
सुरेश्वरी देवी
मंदिर : सुरेश्वरी देवी मंदिर हरिद्वार में स्थित एक प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर देवी
दुर्गा और देवी भगवती को समर्पित है. इस मंदिर को सिद्धपीठ के रूप में भी माना जाता
है. हरिद्वार शहर से करीब 7 किमी. की दुरी पर रानीपुर क्षेत्र के घने जंगलो में सिद्धपीठ
माँ सुरेश्वरि देवी "सूरकूट पर्वत" पर स्थित है. जिसका उल्लेख
स्कन्दपुराण के केदारखण्ड में भी मिलता है.
. पिरान कलियर में स्थित
दरगाह मुस्लिम धर्म को समर्पित है.