इलाहाबाद (प्रयागराज) हिन्दुओं का प्रसिद्ध
तीर्थस्थान है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है।यहाँ हर छह वर्षों में अर्द्धकुम्भ और
हर बारह वर्षों पर कुम्भ मेले का आयोजन होता है
शक्ति पीठ मंदिर माँ अलोपीदेवी
अलोपी का अर्थ है वो देवी जो अलोप हो गयी - इस
मंदिर मैं किसी की मूर्ति की स्थापना नहीं की गयी - मंदिर का
नाम अलोप शंकरी के नाम पर है -यह एक शक्तिपीठ है - मान्यता है यहाँ सती की कलाई
गिरी थी - यहाँ पर एक हिण्डोली की पूजा की जाती है
आनंद भवन
आनन्द भवनमोतीलाल नेहरु ने दो मंजिली इमारत आनन्द भवन नींव 1926 रखी। यह है भारतीय
स्वाधीनता संघर्ष की एक ऐतिहासिक यादगार हैं और ब्रिटिश शासन के विरोध में किये
गये अनेक विरोधों,
कांग्रेस के अधिवेशनों एवं राष्टीय नेताओँ के अनेक सम्मेलनों से इसका सम्बन्ध
रहा है
जवाहर प्लेनेटेरियम
आनंद भवन के बगल में स्थित यह प्लेनेटेरियम 3
डी है।
चन्द्रशेखर आजाद पार्क
यह पार्क महान स्वतंत्रता सैनानी चन्द्रशेखर
आजाद को समर्पित है जिन्होंने अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति
दे दी। पार्क में उनकी मूर्ति स्थापित है।
क़िलाइलाहाबाद (प्रयागराज) किला
1583 में अकबर ने गंगा और यमुना के संगम पर किले में 12 भवन बगीचे बेगमोँ के लिऐ नैकरों के लिऐ सैनिको के
लिये इमारते
कोठियाँ 77 तहखानें
अस्तबल और 5 कुएं निर्माण प्रारम्म करवाया। वर्तमान में इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के
लिए खुला रहता है सैलानियों को अशोक स्तंभ सरस्वती कूप और जोधाबाई महल अक्षय वट के नाम से
मशहूर बरगद का एक पुराना पेड़ पातालपुर मंदिर देखने की इजाजत है।
अक्षयवट पेड़
पाताल मंदिर
त्रिवेणी संगम
संगम
गंगा
यमुना और सरस्वती तीन नदियाँ यहाँ आकर मिलती हैं। अत: इस स्थान को त्रिवेणी संगम के नाम से भी संबोधित किया जाता हैं।
लेटे हनुमान मंदिर
हनुमान मंदिर
संगम के निकट मंदिर में हनुमान की विशाल मूर्ति
आराम की मुद्रा में स्थापित है।और उनके दर्शनार्थ लोगोँ को सीढियोँ से उतर कर नीचे
जाना पड़ता हैं।
मंडप
शंकर विमान मण्डपम्
गंगा के तट पर स्थित यह मन्दिर चार मंजिलोँ का
हैं। इस मन्दिर की कुल ऊँचाई लगभग 40 मीटर अर्थात 130 फुट हैं।
इसकी प्रत्येक मंजिल पर अलग अलग देवताओँ का वास स्थान हैं।
स्वराज भवन
स्वराज भवन
इसका निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था। 1930 में
उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री
श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म यहीं पर हुआ था। आज इसे संग्रहालय का रूप दे दिया
गया है