Thursday, 28 June 2018

उत्तरी भारत की विश्व धरोहर इमारतें

ताजमहलदुनिया  का  सातवा   आश्चर्य  - शाहजहां  द्वारा  अपनी पत्नी  के प्यार की याद 
मैं 16  वर्ष की अनथक मेहनत से बनवाया गया - दुनिया भर के प्रेमियों के लिए एक 
मिसाल के तोर पर जाना जाता है  सफ़ेद संगमरमर की इस ईमारत मैं पर्शिया ,इस्लाम
,एवं हिन्दुस्तानी कला की बेहतरीन झलक मिलती है यहाँ पर शाहजहां की पत्नी मुमताज 
की कबर है1983  मैं इसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला - आगरा मैं जमुना के किनारे खड़े
इस प्रेम के प्रतीक ने लाखों लोगो को प्रेरित किया है - भारत मैं एक प्रेमी ने एक और ताज 
की तरह दिखने वाली बिल्डिंग का निर्माण किया है - चांदनी रात मैं इसको देखना एक 
अद्भुत अनुभव है - बस दिन मैं आप गर्मी , बदइंतज़ामी , ट्रैफिक ,आवारा पशुओं से बच के रहे 


ताजमहल

         मुग़ल गार्डन -लाइन से लगे फवारे तथा ताज का गुम्बज एक ही सीध मैं है


मुख्या द्वार




मुख्या द्वार से ताज की एक झलक




ताजमहल मैं बनी एक मस्जिद  






संगमरमर की जाली का महीन काम 


कीमती पत्थर जो बिर्टिश  सरकार ने निकाल लिए 



मीनारे




आगरे का लाल क़िला

मुग़ल बादशाह अकबर ने जब आगरा को अपनी राजधानी बनाया तो इस क़िले का पुनर निर्माण राजस्थान के लाल पत्थर से करवाया 4000  कारीगरों ने 8 साल तक काम करके 1537 मैं इसका निर्माण कार्य पूरा किया 94 एकर मैं बने इस क़िले के 4 दरवाजे है इसमें बहुत से महल ,बाग़ ,मस्जिद ,मुलकात के लिए भवन बने है



लाल क़िला दिल्ली गेट  

1983  मैं इसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला


अमर सिंह दरवाजा  


जहांगीर महल   




अकबरी महल  






शाहजहां महल  



खास महल  


शाह बुर्ज









दीवाने खास  






अमर सिंह दरवाजा 

दिल्ली --- हिमांयु का मकबरा

हिमांयु की पटरानी हाजी बेगम की देखरेख मैं मिराक मिर्ज़ा के डिज़ाइन पर आधारित लाल पत्थर से बनी यह ईमारत भी हेरिटेज लिस्ट मैं है  पर्शियन तथा भारतीय कला का यह नमूना  154   फ़ीट ऊँचा  299  फ़ीट चौड़ा है  चारो और चार बाग नiमक बाग़ है इसके इलावा भी इसमें बहुत  भवन है  1993  मैं इसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला













कुतुबमीनार

1193 में कुतुबुद्धीन ऐबक द्वारा इसे  238 फीट ऊंची, आधार 17 फीट विजय मीनार के रूप में निर्मित कराया गया। इस इमारत की पांच मंजिलें हैं। प्रत्येक मंजिल में एक बालकनी है शीर्ष पर 2.5 मीटर का व्यास रह जाता है मीनार के निकट मस्जिद 27 हिन्दू मंदिरों को तोड़कर इसके अवशेषों से निर्मित की गई है।   मस्जिद के प्रांगण में एक 7 मीटर ऊँचा लौह-स्तंभ है।1993  मैं इसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला




मंदिर के खम्बे


मुख्या द्वार




लौह-स्तंभ



अलतमश की कबर


नकाशी का काम



नकाशी का काम








लाल किला

2007  मैं इसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला


दीवान--आम   





दीवान--ख़ास    





फतेहपुर सीकरी

 सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से अकबर को 1569 में एक पुत्र प्राप्त हुआ।संत के ठिकाने के पास एक भव्य जामा मस्जिद का निर्माण करवाया।उस संत की याद में फतेहपुर सीकरी का निर्माण हुआ।

फतेहपुर सीकरी की इमारतों को दो भागों में बांटा जा सकता है, एक धार्मिक कार्यकलापों से जुड़ी इमारतें और दूसरी सामान्य। धार्मिक स्थलों से जुड़ी ईमारत में प्रमुख है विशाल जामा मस्जिद और भव्य बुलंद दरवाजा

बुलंद दरवाजा

176 फिट ऊँचा द्वार है। इस दरवाजे का निर्माण वर्ष 1602 में अकबर के दक्षिण भारत के राज्यों पर विजय के उपलक्ष्य में बनवाया गया था। 52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाजे के अंदर पहुंचता है। इस दरवाजे पर कुरान की आयतों को बड़े अरबी अक्षरों में उकेरा गया
 है।

शेख का मज़ार

दरवाजे से होकर शेख की दरगाह में प्रवेश करते बाईं ओर जामा मस्जिद है और सामने शेख का मज़ार। शेख सलीम चिश्ती की दरगाह सफ़ेद संगमरमर में बनी है और इसका निर्माण 1581 में पूरा हुआ था। 


बीरबल का महल

बीरबल का महल दो संस्कृतियों के संगम का प्रतिनिधि है हिंदू और मुगल दोनों वास्तुकलाओं का प्रभाव होने के कारण यह महल अद्वितीय है।


अन्य इमारतों में दीवान-ए-ख़ास, जोधाबाई का महल, मरियम महल, बीरबल का निवास, तुर्की सुल्ताना का निवास तथा पंचमहल,  ख्वाबगाह, अनूप तालाब, आबदार खाना, पचीसी दरबार, आँख मिचोली (इसे बाद में शाही खजाने में तब्दील कर दिया गया), ज्योतिषी का कमरा, दफ्तर खाना, इबादतखाना प्रमुख हैं। जो विभिन्न प्रकार की वस्तुकालाओं का नमूना हैं।





दीवान्-ए-खास का केंद्रीय स्तंभ




जोधा बाई महल 

वह सम्राट अकबर की पहली प्रमुख राजपूत पत्नी थींसभी महलों में सबसे बड़ा महल, जोधा बाई महल हैं। यहाँ गुजरात, मांडू एवं ग्वालियर की वास्तुकला का परम्परागत इस्लामी वास्तुकला के साथ मिश्रण किया गया है




पच्चीकारी का नमूना



पंचमहल

 एक पांच मंजिल शाही हरम की ईमारत है ईमारत 176 नक्काशी दार खम्भों पर खड़ी है खम्भों पर बना प्रत्येक मंजिल का कमरा नीचे वाली मंजिल के कमरे से आकार में छोटा है। यह पूरी 




1986  मैं इसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला



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