जिस इंसान ने
हिमाचल की परमपरा ,वहां के लोगो का जीवन , उनके विश्वाश को देखना हो तौ कुल्लू का ऐतहासिक
दशहरा एक शानदार समय है हिमाचल भ्रमण का। जब सारे हिमाचल के ग्राम देवता , कुल्लू के ढालपुर मैदान मैं पहुंचते है तो वाद्य
यंत्रो से निकलती देव धुनें आप को मंत्रमुग्ध कर देंगी | देवता अपने आप नाचते है , जब आप इसे समझने के लिए तर्क ज्ञान का सहारा
लेंगे तो और उलझ जायेगे। कैसे सामने से
आते अपने मित्र देवता , या रिश्ते दार को देख पालकी झुक जाती है -मेरी तो समझ मैं
नहीं आया - बस एक चमत्कार सा लगा और मैं जो हमेशा तर्क से लोगो से बहस करके , किसी निर्णय पर पहुंचता था - इस बार अधर मैं
विस्मय से सोचता हुआ खड़ा हूँ
ऐतहासिक मंदिर
मैदान मैं देवता की सवारी
बाज़ार से निकलती देवता की सवारी
प्रकृति दर्शन
दुसरे देवता से मिलते देवता
रघुवर राम का रथ
सुबह की पूजा का शृंगार
चांदी के बने वाद्य यंत्र काहल
शेर मुख वाला वाद्य यंत्र नरसिंघा
राम मंदिर
मुख्या द्वार पर कब्ज़ा कर
लिया कुछ लोगो ने
रुपी महल
वैष्णो मंदिर
कुल्लू निवासी अपनी पराम्परिक वेशभूषा मैं
वाद्य यन्त्र बजाते कलाकार जिन्हे स्थानीय भाषा मैं बजंतरी
कहते है
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