जैसलमेर
झीलों,
मंदिरों, हवेलियों ,थार रेगिस्तान के सुनहरे टीलों
,और सुनहरे पीले रंग के बलुआ पत्थरों से सजा हुआ स्वर्ण नगरी है।
जैसलमेर
का ‘सोनार किला’ -1156 में निर्मित, तिरुकुटा पहाड़ी पर स्थित, यह किला राव जैसल द्वारा बनाया गया था, इस किले को ‘सोनार किला’ या ‘स्वर्ण किले’ के
नाम से भी जाना जाता है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में से एक है।
बादल विलास महल
जैन
मंदिर
-जैसलमेर के किले में स्थित, जैन मंदिर ऋषभदेवजी और
शंभदेवदेव जी को समर्पित हैं,
नथमल
की हवेली
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इस हवेली की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी के अंत में हुई पहली मंजिल में कुछ सुंदर
पेंटिंग हैं जो 1.5 किलोग्राम सोने की पत्ती का उपयोग करके बनाई गई हैं।
सलीम
सिंह की हवेली
हवेली लगभग 300 साल पुरानी है हवेली में 38 सुंदर नक्काशीदार बालकनियाँ हैं।
गडीसर
झील- महाराजा महारावल गादी सिंह ने 1400 ईस्वी में गडीसर
झील का निर्माण कराया था
ताज़िया
टॉवर
ताज़िया
टॉवर- यह 5 मंजिला का एक टॉवर है ताज़िया टॉवर विभिन्न मुस्लिम इमामों के मकबरे की प्रतिकृति है
पटवों
की हवेली- का अन्दर का दृश्य
पटवों
की हवेली
पटवों
की हवेली 5 हवेली का एक समूह है पाँचों हवेली 19 वीं शताब्दी में 60 वर्षों के भीतर पूरे हुए थे।
बादल
विलास महल
बादल विलास महल का निर्माण 1830 ई. में महारावलों के
निवास हेतु किया गया था
बादल विलास महल
अमर
सागर झील- 7 किमी की दूरी पर स्थित है। अमर सागर झील और महल के इस परिसर में एक पुराने
शिव मंदिर के साथ विभिन्न तालाब और कुएं शामिल हैं।
सैंड
ड्यून्स-जैसलमेर से लगभग 40-42 किलोमीटर की दूरी पर हैं
लोद्रवा , चंद्रप्रभु मंदिर ,शांतिनाथ मंदिर, कुलधरा गांव के पास स्थित खाबा किला, व्यास छत्री दर्शनीय स्थल हैं।
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