गोदावरी नदी के तट पर बसा नांदेड़ महाराष्ट्र का
प्रमुख शहर है। हजूर
साहिब सिखों के 5 तखतों
में से एक है। यहीं
पर सन 1708 में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने प्रिय घोड़े दिलबाग के साथअंतिम सांस ली थी।
गुरुद्वारा सचखंड साहिब जी
गुरुद्वारा का निर्माण 1832 और 1837 के बीच सिकंदर
जाह, मीर अकबर अली खान सिकंदर जाह, आसिफ़ जाह तृतीय ने
अपने मित्र महाराजा रणजीत सिंह के अनुरोध पर किया था
परिसर
में स्थित गुरूद्वारे को सचखंड (सत्य का क्षेत्र) नाम से जाना जाता है
द्व आतंरिक कक्षा अंगीठा साहिब
कहलाता है तथा ठीक उसी स्थान पर बनाया गया है जहाँ सन 1708 में गुरु गोविन्द सिंह
जी का दाह संस्कार किया गया था
गुरु साहिब हमेशा अपने अपने साथ प्रिय घोड़े दिलबाग को रखते थे. दिलबाग नीले रंग का घोड़ा था आज भी सुबह और शाम अस्तबल में से कुछ मुख्य घोड़ों को गुरुद्वारा साहिब के बाहर लाया जाता है और संगतों को दर्शन करवाए जाते हैं
गुरुद्वारा
हीरा घाट
गुरुद्वारा लंगर साहिब
लेज़र
शो
गुरुद्वारा
माल टेकरी साहिब
गुरुद्वारा
माता जीतो जी
गुरुद्वारा
साहिब देवी जी
गुरुद्वारा
नगीना घाट
गुरुद्वारा
संगत साहिब जी
गुरुद्वारा
शिकार घाट
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