Monday 1 April 2024

थार रेगिस्तान का प्रवेश द्वार है -चूरू

 


राजस्थान -जिसको पहले राजपुताना नाम से भी जाना जाता था राजपुताना का शाब्दिक अर्थ है  राजपूतों का देश -किलों से लेकर झीलों तक.- पिंक सिटी  से लेकर सन सिटी तक राजस्थान राजस्थान अद्भुत विरासत के दर्शन करने का मौका देता है. इसके अलावा आप देखते है थार का  रेगिस्तान----- थार रेगिस्तान  का प्रवेश द्वार है -चूरू


शेखावाटी राजस्थान के सीकर, झुन्झुनू, और चूरू ज़िलों को मिलाकर बना है। शेखावाटी

शेखावटी नाम यहाँ के शासक 'राव शेखा' के नाम से रखा गया है।  शेखावाटी दो शब्दों के मेल से बना है शेखा तथा वटी शेखा अर्थात यहाँ के शासक 'राव शेखा' ,वटी अर्थात  बगीचा'  शेखावटी का मतलब है- 'शेखा का बगीचा'।–

अपनी कलात्मक उम्दा नक्काशी तथा भित्ति चित्रों  विशाल हवेलियों के लिए प्रसिद्ध हैं । ये हवेलियाँ कई मंजिला होती थी  यहाँ की ज्यादातर इमारतें अठारहवी शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी के आरंभ तक की है



चूरू दिल्ली से 250 कम दूर है  चूरू अपनी हवेलियों तथा उसपे किये गए फ्रेस्को आर्ट के चित्रों के कारण पूरी दुनियाँ मे प्रसिद्द है


1.       कन्हैयालाल बागला हवेली 1880 में कन्हैयालाल बागला द्वारा निर्मित हैं  



2चूरू सुराणा की हवेली में 1100 दरवाजे एवं खिड़कियाँ हैं।

3.       जैन मंदिर





4.     सेठानी का जोहरा चूरू से 5 किमी है। सेठानी का जोहरा, एक जलाशय है जिसका निर्माण 1899 ई. अकाल  के दौरान भगवान दास बागला की विधवा ने किया था।  टैंक के चारों ओर पंद्रह अष्टकोणीय छतरियां हैं।




5.       भगवान श्री "बाबोसा महाराज" को भगवान श्री "बालाजी महाराज" या "हनुमान जी" के अवतार के रूप में पूजा जाता है "..




6.       चूरू दुर्ग . आठ कंभ छतरी यहाँ के प्रसिद्ध एतिहासिक स्थल है। जो खंडहर हो चुके हैं या बहुत बुरे हालात में है









मण्डावा में सागरमल लाडिया, रामदेव चौखाणी तथा रामनाथ गोयनका की हवेली, डूंडलोद ,मुकुन्दगढ़ कानोड़िया चिड़ावा .महनसर ,श्रीमाधोपुर , लक्ष्मणगढ़ की हवेली. महनसर में स्थित सोने के दुकान नामक हवेली प्रसिद्ध है। हर हवेली मै लक्ष्मी चौक। ब्रह्म चौक  मैन चौक, बैठक होता है -ब्रह्म चौक मे मृत्यु सम्बन्धी संस्कार किये जाते थे

केर सांगरी की सब्जी, गट्टे की सब्जी, खट्टा, मंगोड़ी, रबड़ी स्थानीय भोजन हैं.


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