Friday, 5 July 2024

खीर भवानी मंदिर -जम्मू - कश्मीर

 


आपदा से पहले बदलता है कुंड के पानी का रंग

देश में जितने भी मंदिर हैं, उन सभी के पीछे कोई ना कोई पौराणिक कथा, मान्यता, यां  चमत्कारी शक्तियों की  कहानी प्रचलित  है. कुछ चमत्कारी शक्तियां  तो  विज्ञान को भी चुनौती देती है  ऐसा की एक मंदिर कश्मीर में स्थित है. कश्मीर के इतिहास पर विस्तृत जानकारी देते - राजतरंगिणी, नामक ग्रन्थ में ऋषि बृंगेश ने इसके दलदली इलाके में बसे , एक पवित्र चमत्कारी  चश्में का वर्णन किया गया है।



जम्मू - कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बाद खीर भवानी मंदिर अधिक लोकप्रिय तीर्थों में से एक है  खीर भवानी का यह मंदिर एक चमत्कारी  चश्में के बीच में बना हुआ है जिसे यहां के मूल निवासी देवी का प्रतीक मानते हैं। खीर भवानी का यह मंदिर श्रीनगर के तुलमूल गांव के पास स्थित है। यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आराध्य माता महारज्ञा देवी को समर्पित है। देवी के इस मंदिर में देवी की पूजा मां रागनी के रूप में होती है।  जो देवी पार्वती का एक अवतार हैं। इस मंदिर को महारज्ञा देवी मंदिर ,राज्ञा देवी मंदिर , रजनी देवी मंदिर क्षीर भवानी या तुल मुल मंदिर  के नाम से भी जाना जाता है।

इस मंदिर के निर्माण की बात करें ते इस मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने साल 1912 में करवाया था और बाद में इसका जीर्णोद्धार महाराज हरि सिंह ने कराया था।  

यहाँ ज्येष्ठ अष्टमी मनाया जाता है।


गोविंद जू, एक दिव्य दृष्टि से धन्य थे, उन्होंने देवी को एक सर्प के रूप में देखा, इस दर्शन से प्रेरित होकर, उन्होंने पवित्रता और भक्ति के प्रतीक दूध के बर्तन के साथ दलदल में प्रवेश किया। जैसे ही उन्होंने पवित्र झरने में दूध डाला, माता खीर भवानी की दिव्य उपस्थिति प्रकट हुई,

1867 में एक कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ा, जब देवन नरसिंह दयाल ने पवित्र जल को शुद्ध करने का प्रयास शुरू किया। भाग लेने की अपनी उत्सुकता में भक्तों ने इस तरह के प्रयास के लिए आवश्यक आध्यात्मिक शुद्धता को अनदेखा कर दिया जिससे देवी का क्रोध भड़क

 उठा। इसके बाद महामारी, जो दैवीय नाराजगी का प्रकटीकरण था, पूरे क्षेत्र

 में फैल गई, जिससे समुदाय को शुक्ल पक्ष ज्येष्ठ अष्टमी के दिन एक भव्य

 हवन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

मंदिर की वास्तुकला सरल है, फिर भी चिकने भूरे पत्थरों का उपयोग करके खूबसूरती से बनाई गई है। खीर भवानी मंदिर की मुख्य वेदी एक तालाब के बीच में बनाई गई है। इस संरचना में एक संगमरमर का मंच है जिस पर देवी की मूर्ति गर्भगृह में रखी गई है। यह चार पत्थर के खंभे जैसी संरचनाओं से घिरा हुआ है जो मूर्ति की छत हैं। मंदिर के पश्चिमी छोर से एक पवित्र झरना भी बहता है,

 


 माता खीर भवानी की कहानी शक्तिशाली राक्षस राजा रावण के शासनकाल के दौरान लंका की भूमि से शुरू होती है। पौराणिक कथा के अनुसार धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लंका नरेश और भगवान शिव के भक्त रावण इस देवी का भी बड़ा भक्त था।  रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर मां राज्ञा माता ( खीर भवानी या राग्याना देवी) ने रावण को दर्शन दिए थे। जो दिव्य प्रकाश की ज्वाला के रूप में उनके सामने प्रकट हुईं।  जिसके बाद रावण ने उनकी स्थापना श्रीलंका की कुलदेवी के रूप में की थी। लेकिन जब रावण ने माता सीता का हरण किया तब देवी रावण से रुष्ट हो गईं। देवी इतनी क्रोधित हुईं कि उन्होंने अपना स्थान ही त्याग दिया।

वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार, मां खीर भवानी ने भगवान हनुमान से मूर्ति को लंका से उठाकर किसी अन्य स्थान पर स्थापित करने को कहा, जब देवी की आज्ञा का पालन करते हुए हनुमान जी मूर्ति को लंका से निकालकर कश्मीर में स्थापित कर दिया था।

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि आने वाली मुसीबतों के बारे में माता खीर भवानी पहले ही अपने भक्तों को संकेत दे देती है। मान्यता है कि जब कोई विपत्ति आने वाली होती है तो इस झरने के पानी का रंग बदल जाता है.

कहा जाता है कि जब 2014 में कश्मीर में बाढ़ आई थी तो झरने के पानी

 का रंग काला हो गया था.

कारगिल युद्ध के दौरान  इस कुंड का पानी लाल रंग में बदल गया था

आर्टिकल 370 के हटने से इस कुंड का पानी हरा हो गया था। हरा खुशहाली का संकेत है

1886 में वाल्टर लॉरेंस ने पानी के बैंगनी रंग होने की सूचना दी

क्षीर भवानी के रंग परिवर्तन का जिक्र आइने अकबरी में भी है।

माना जाता है कि देवी को खीर अतिप्रिय है . इसलिए माता को खीर का भोग लगाया जाता है. साथ भक्तों को भी प्रसाद के रूप में खीर ही दिया जाता है.

festival --मई में पूर्णिमा के आठवें दिन,

time --सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक

Thursday, 4 July 2024

SRINAGAR--GULMARG-SONAMARAG-PEHALGAM-KASHMIR

 


डल झील- कश्मीरी भाषा मेंडलशब्द का मतलब ही झील होता है. बाद मेंडलके साथ अलग सेझीलशब्द आम बोलचाल के प्रवाह में जोड़ दिया गया, फिर यहडल झीलबन गया.  जम्मू और कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी झील है, लगभग 15.5 किलोमीटर ,, इसकी चौड़ाई करीब 3.5 किलोमीटर है और अधिकतम गहराई 20 फीट है.


झील विशेष रूप से अपने कमल के फूल  के लिए प्रसिद्ध है जो जुलाई और अगस्त में खिलते हैं।फ्लोटिंग लीफ-तैरते हुए बगीचे, जिन्हें कश्मीरी भाषा में 'रेड' कहा जाता है, झील की एक विशेष विशेषता हैं। वे मूल रूप से उलझी हुई वनस्पति और पृथ्वी से बने हैं, लेकिन तैर रहे हैं



The Dal Lake floating market is India’s first floating market established in 1854.


यहां आपको शिकारा राइड, हाउस बोट, फ्लोटिंग मार्केट, और चार चिनार जैसी चीजों का आनंद उठाने का मौका मिलेगा।


हाउसबोट-



कश्मीर के डोगरा महाराजा ने घाटी में घरों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अंग्रेजों ने डल पर भव्य  हाउसबोटों का निर्माण शुरू करके इस नियम को दरकिनार कर दिया। 


हाउसबोट आम तौर पर स्थानीय देवदार-लकड़ी से बनाए जाते हैं लंबाई में (79-125 फीट) चौड़ाई (9.8-19.7 फीट) होती हैं 



प्रत्येक हाउसबोट में मेहमानों को किनारे तक ले जाने के लिए एक विशेष शिकारा होता है



फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस=== डल झील पर फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस सह संग्रहालय

 का उद्घाटन 2011 में जम्मू और कश्मीर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने

 किया था।


फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस
inagurated in 2011


FLOATING ATM 

1.       Nigeen Lake- इसे "नगीना" कहा जाने लगा है, जिसका अर्थ है "अंगूठी में गहना" शब्द "निगीन" उसी शब्द का स्थानीय रूप है।



1.       शालीमार गार्डन (जिसे प्यार का बगीचा भी कहा जाता है) श्रीनगर से 15 किमी दूर स्थित इस बाग का निर्माण मुगल सम्राट जहांगीर ने अपनी पत्नी नूरजहां के लिए 1619 में करवाया था। 1630 में, सम्राट शाहजहाँ के आदेश के तहत, कश्मीर के गवर्नर ज़फर खान ने इसका विस्तार किया। बगीचे की तीन terraces है।




  

1s first - Diwan-e-Aam ,

2second  Diwan-e-Khas ,

3rd Black Pavilion 

1.       निशात बाग़ -निशात बाग़ डल झील के पूर्व में स्थित सीढ़ीनुमा मुग़ल बाग़ है। यह कश्मीर घाटी का सबसे बड़ा मुग़ल बाग़ है। निशात बाग़ शब्द उर्दू भाषा का शब्द है जिसका हिन्दी अर्थ "हर्ष का उद्यान" अथवा "खुशियों का बगीचा" है। निशात बाग को 1633 ई. में नूरजहाँ के बड़े भाई आसफ खान ने डिजाइन किया था निशात बाग अपनी 12 छतों के लिए प्रसिद्ध है जो गुलाब और गेंदे जैसे खूबसूरत फूलों से सजी हुई हैं और प्रत्येक छत एक राशि चिन्ह का प्रतिनिधित्व करती है। निशात गार्डन सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है।







शालीमार बाग बगीचे के झरनों के पीछे मेहराबदार आलों के लिए जाना जाता है। वे बाग में एक अनूठी विशेषता हैं। Black Pavilion  में फ़ारसी में प्रसिद्ध शिलालेख है, "अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है।"



1.       निशात बाग़ -निशात बाग़ डल झील के पूर्व में स्थित सीढ़ीनुमा मुग़ल बाग़ है। यह कश्मीर घाटी का सबसे बड़ा मुग़ल बाग़ है। निशात बाग़ शब्द उर्दू भाषा का शब्द है जिसका हिन्दी अर्थ "हर्ष का उद्यान" अथवा "खुशियों का बगीचा" है। 


निशात बाग को 1633 ई. में नूरजहाँ के बड़े भाई आसफ खान ने डिजाइन किया था
 निशात बाग अपनी 12 छतों के लिए प्रसिद्ध है जो गुलाब और गेंदे जैसे खूबसूरत फूलों से सजी हुई हैं और प्रत्येक छत एक राशि चिन्ह का प्रतिनिधित्व करती है। 

निशात गार्डन सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है।




1.       हजरतबल तीर्थ--- हजरतबल, जिसे  असर-ए-शरीफ या केवल दरगाह शरीफ भी कहा जाता है, एक मुस्लिम तीर्थस्थल है 



\ इसमें एक अवशेष है जिसके बारे में कई कश्मीरी मुसलमानों का मानना ​​है कि यह पैगंबर मुहम्मद के सिर का एक बाल है ।



1.    शंकराचार्य मंदिर को ज्येष्ठेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है ।यह शंकराचार्य पहाड़ी की चोटी पर at 1100 feet  है । यह भगवान शिव को समर्पित है । 













इसे बौद्धों द्वारा भी पवित्र माना जाता है ।

it is the oldest temple in the valley  The great saint Adi Shankaracharya attained spiritual enlightenment at this place

1.       चश्मे शाही , जिसका अर्थ है "शाही झरना", एक ताजे पानी का झरना और उद्यान है यह श्रीनगर के सभी मुगल उद्यानों में सबसे छोटा है, अली मर्दन खान ने 1632 में बगीचे का निर्माण कराया था और इसे इस तरह से बनाया गया है कि झरने का पानी फव्वारों का स्रोत हो।एक छोटा सा मंदिर, जिसे चश्मा साहिबी के नाम से जाना जाता है, बगीचों के आसपास स्थित है

2.       हरि पर्वत , Fort जिसे मुगल किला भी कहा जाता है, इसकी स्थापना सबसे पहले मुगल सम्राट अकबर ने 1590 में की थी। हालाँकि, उन्होंने केवल किले की बाहरी दीवार बनवाई थी वर्तमान किला -1808 में शुजा शाह दुर्रानी के शासनकाल में बनाया गया था । किले के परिसर में मंदिर, मुस्लिम मंदिर और एक सिख गुरुद्वारा हैं।

3.       Tulip Garden- यह एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है जो लगभग 30 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह उद्यान 2007 में खोला गया था

4.       परी महल या एंजल्स एबोड एक सात सीढ़ीदार उद्यान है।


फेरन
, पश्मीना शॉल, केसर, लकड़ी के शिल्प, कालीन, पपीर माछ कलाकृतियाँ, कहवा (कश्मीरी चाय), और अखरोट


आप कुछ बेकरी भी देख सकते हैं जहां आपको अखरोट के अद्भुत व्यंजन मिलेंगे।




Gulmarg


 गुलमर्ग को 'गौरीमार्ग' कहा जाता था। चक राजवंश के सुल्तान यूसुफ शाह द्वारा इसका नाम बदलकर गुलमर्ग कर दिया गया था, जो सोलहवीं शताब्दी में अपनी सबसे प्रिय रानी हब्बा खातून के साथ इस स्थान पर अक्सर आते थे। 








1.     गुलमर्ग गोल्फ कोर्स, 9000 फीट की ऊंचाई पर , 1911 में स्थापित ,  दुनिया का सबसे ऊंचा , भारत में सबसे लंबा गोल्फ कोर्स है 7505 गज  


भारतीय स्कीइंग एवं पर्वतारोहण संस्थान 


यह लोकप्रिय रूप से 'फूलों के मैदान' के रूप में जाना जाता है

Gulmarg Gondola Ride—Book tickets for Gondola Ride online in advance gondolabookings@gmail.com or call at 9103058616

First phase:  Gulmarg resort to Kongdori Station (2600 m), which takes 9 minutes.

Second phase: Kongdori Station to Kongdori Mountain (3747 m) to Apharwat Peak, which takes 12 minutes.

Note:Children below 11 years of age are not allowed for the third phase of Gondola ride.






यहाँ गंडोला के इलावा चर्च ,शिव मंदिर, बच्चो का पार्क ,स्की इंस्टिट्यूट , गोल्फ कोर्स

 ,राजा का महल - देखने योग्य है -यह मैदान 13 किलोमीटर मे फैला है









कुछ हट्स फेमस है क्यों कि यहाँ फिल्मो की शूटिंग हुई थी




सोनमर्ग


सोनमर्ग का शाब्दिक अर्थ हैसोने के मैदानजो वसंत ऋतु में सूरज के किरणों के साथ सोने के समान जैसा चमकता  हैं .. यह दो हिंदी शब्दों से बना है, .....विभिन्न पहाड़ी झीलें सोनमर्ग और उसके आसपास स्थित हैं। श्रीनगर से 81 कि.मी. दूर,




























सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम,--सुजानपुर तिहरा हिमाचल

 सुजानपुर तिहरा हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले का एक शहर है। 18वीं शताब्दी में कटोच राजवंश द्वारा स्थापित है।हमीरपुर पालमपुर रोड पर हमीरपुर स...