पांड्य साम्राज्य की राजधानी - मदुरै को पूर्व का एथेंस कहा जाता है। इसे मूलतः कदंबवनम या "कदंब का वन" के नाम से जाना जाता है। शहर की योजना बनाई गई थी और इसे कमल के आकार में बनाया गया था और इसलिए इसे 'lotus city ' के नाम से जाना जाता है।
तमिलनाडु के प्राचीन और गौरवशाली शहर मदुरै को "थुंगा नगरम" भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "वह शहर जो कभी नहीं सोता"। उत्सवों का उल्लास , आरती के ढोल नगाड़े , भगतों की चहल पहल , इस शहर को सोने ही नहीं देती यहाँ का सबसे बड़ा त्यौहार है चिथिराई
मंदिर के मंडप मे दक्षिण भारीतय म्यूजिक के मंत्रमुग्ध करने वाली स्वर लेहरिया बज रही है घोडा हाथी मंदिर के अन्दर ले जाये जाते है ताकि कुछ धार्मिक रस्मे पूर्ण हो सके मंडप मे धार्मिक अनुष्ठान पुरे जोश के साथ ब्रह्मण पंडितो द्वारा किये जा रहे है
सबसे आगे नंदी गैन इस शोभायात्रा अगुआई करेंगे इसके पीछे सुंदेश्वर भगवान का रथ होगा होगा उसके पीछे देवी मिनाक्षी ,इन्दर , आधी देताओ के रथ इस शोभा यात्रा मे मंदिर की परिक्रमा लेंगे लोग इस यात्रा का स्वागत पुरे उत्साह से करते है तथा आशीर्वाद प्रपात करते है
भगवान
शिव के वाहन नंदी,इस शोभा यात्रा मे सबसे आगे चल रहे है वो शिव के प्रति अटूट भक्ति और समर्पण का प्रतीक
हैं भक्त नंदी के कान में अपनी मनोकामनाएं कहते हैं, मान्यता है कि नंदी भक्तों के
संदेशों को भगवान शिव तक पहुंचाने का कार्य करते
है।
पुनर्जन्म
,परिवर्तन, और विनाश की प्रतीक अग्नि प्रज्वलित कर दी गई है
रथों
की प्रथम झलक पाते ही लोग भाव विभोर हो गए है हर आदमी हाथ से छूना चाहता है
नगाड़ो एवं संगीत की धवनि और तेज हो गई है रथ मंडप के
अन्दर विभिन्न स्थानों पर रुकते है तथा पंडित
कुछ धार्मिक अनुष्ठान करते है भगतों की भीड़ रथों के पीछे शामिल होती जाती है असंख्य लोग इस अवसर के साक्षी बनने के लिए शामिल हो रहे
है
Arulmigu Kallalagar Temple or Alagar Koil -21 km
यहाँ 'विष्णु' मीनाक्षी के भाई 'अझगर' के रूप में शासन करते हैं।
अप्रैल/मई में चित्राई उत्सव के दौरान, जब मीनाक्षी और सुन्दरेश्वर का दिव्य विवाह मनाया जाता है, अझगर मदुरै की यात्रा करते हैं। सुंदरराज नामक स्वर्ण प्रतिमा को मदुरै तक जुलूस के रूप में ले जाया जाता है। भगवान सुब्रमण्यम के छह निवासों में से एक, पलामुधिरसोलई, इसी पहाड़ी पर, लगभग 4 किमी. दूर स्थित यहां एक प्राकृतिक झरना स्थित है, अलागरकोविल गांव अपनी प्राचीन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
1. Koodal Azhagar Temple--- 5:30 AM - 12 PM, 4 PM - 9 PM ----1 km from temple यह मंदिर भगवान विष्णु के 108 पवित्र निवासों (दिव्यदेसम्) में से एक माना जाता है। 1500 वर्ष पुराने इस मंदिर में भगवान विष्णु बैठे, खड़े और लेटे हुए रूपों में विराजमान हैं। 125 फीट ऊंचा पांच स्तरीय राजगोपुरम मूर्तियों के साथ रामायण और महाभारत की कहानियों को प्रदर्शित करता है। यहाँ भगवान विष्णु का लेटा हुआ रूप, जिसे श्री रंगनाथन एवं भगवान विष्णु का खड़ा रूप श्री सूर्य नारायण पेरुमल के रूप में स्थापित है।
Thiruparankundram
Murugan Koil- 5 AM - 11:30 AM, 4 PM - 7:30 PM 10 km from city
थिरुप्पारामकुनराम मुरुगन मंदिर - भगवान मुरुगन के 6 निवास या पवित्र तीर्थस्थान में से एक है। भगवान मुरुगा अपनी पत्नी देवनाई के साथ विराजमान हैं।
Gandhi Memorial Museum- देश के पांच गांधी संग्रहालयों
में से एक ,Gandhi Memorial 1959 में स्थापित किया था ।1921 में मदुरै में ही गांधीजी
ने पहली बार लंगोटी को अपनाया था –
1. Thirumalai Nayakar Mahal—1.4km--थिरुमलाई नायक पैलेस 1636 ई. में भारत के मदुरै के नायक वंश के राजा, राजा थिरुमलाई नायक द्वारा बनवाया गया यह महल द्रविड़ और राजपूत शैलियों का उत्कृष्ट मिश्रण है।
1.
Teppakulam
Mariamman Koil-
तेप्पकुलम का अर्थ है मंदिर
तालाब जो मुख्य रूप से भक्ति उत्सवों के लिए उपयोग किया जाता है। तेप्पाकुलम मरियम्मन मंदिर के पास स्थित है मंदिर का निर्माण राजा थिरुमलाई नायक ने करवाया था। तालाब के मध्य एक मंडपम है, जिसमें विनायकर मंदिर और उद्यान है
St. Mary’s Cathedral - -सेंट मैरी कैथेड्रल 150 वर्ष से अधिक पुराना है। प्रारंभ में इस चर्च का निर्माण फादर द्वारा एक छोटे चैपल के रूप में किया गया था। 1969 में इस चर्च को कैथेड्रल का दर्जा मिला।
1.
Sri Meenakshi Amman
Temple--- 5 AM - 12-30 PM, 4 PM - 9:30 PM
14 एकड़ में फैला हुआ मीनाक्षी
अम्मन मंदिर अद्भुत द्रविड़ शैली की वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरन है इसके 15 मंजिल तक ऊँचे 14 गोपुरम 33000 statue से सुसज्जित है ,
गोपुरम - अर्थात प्रवेशद्वार ; सबसे ऊंचा प्रवेशद्वार लगभग 170 फीट ऊंचा है। हर 12 साल में उन्हें रंगों में रंगा जाता है- ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर उन पांच स्थानों में से एक है जहां शिव ने तांडव किया था। but remarkable difference is that here shiva has lifted right leg.
मीनाक्षी अम्मन मंदिर, जिसे मीनाक्षी-सुंदरेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यहां भगवान शिव को सुंदरम रूप मे , राजा मलय ध्वज के घर पुत्री के रूप मे प्रकट देवी मीनाक्षी से विवाह किया था /
अप्रैल की शुरुआत में 15 दिवसीय 'चिथिराई तिरुविझा' उत्सव मनाया जाता\
एक मान्यता अनुसार देवी मीनाक्षी भगवान विष्णु की बहन है, भगवान विष्णु देवता इंद्र के कारण इस विवाह मे नहीं पहुंच पाए तो क्रोधित हो कर उन्होंने इस शहर मे प्रवेश ना करने की कसम खाईआज भी उनका निवास शहर के बाहर अल्गार कोइल मे एक पहाड़ी पर है a procession is carried out and lord indra
rath is also displayed in procession
यहां नटराज के रूप में भगवान शिव की एक विशाल चांदी की मूर्ति है।. मंदिर मे एक पवित्र तालाब 'पोत्रमारई कुलम' है। जिसका शाब्दिक अर्थ है 'सुनहरे कमल वाला तालाब'। 165 feet lenth 124 feet broad temple has a museum and "1000-pillar hall,\
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