Friday 1 May 2020

मुक्तसर के ऐतहासिक गुरूद्वारे


गुरुद्वारा नानकसर साहिब हरिके पत्तन  



मुक्तसर काफी महत्वपूर्ण स्थान है। मुगलों के विरूद्ध 1705 ई. में आखिरी लड़ाई के दौरान गुरू गोविन्द सिंह जी के चालीस शिष्य शहीद हो गए थे। इन को चालीस मुक्तों के नाम से भी जाना जाता है। इन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम मुक्तसर रखा गया था। इस जगह के समीप ही एक तालाब था जिसे खिदराने दी ढाब कहा जाता था, यहीं पर युद्ध किया था



गुरुद्वारा टूटी गंडी साहिब 

गुरुद्वारा टुट्टी गंढी साहिब: यह गुरुद्वारा उस जगह पर बनाया गया है जहाँ गुरू गोबिंद सिंह ने भाई महा सिंहको अपनी गोद में लेकर बेदावा  -त्यागपत्र  फाड़ दिया था


गुरु द्वारा शहीद गंज साहिब 
को अंगीठा साहिब भी कहा जाता है - चालीस मुक्तो की अंतिम संस्कार  यही पर 
किया था।


गुरुद्वारा माता भाग कौर जी - यह गुरुद्वारा माता माई भागो की याद मैं बनाया गया है जिन्होंने चालीस मुक्तो को  गुरु जी के चरणों मैं दोबारा जाने एवं शहीद होने की प्रेरणा दी थी 



गुरुद्वारा तम्बू साहिब 

गुरुद्वारा तंबू साहिब: गुरुद्वारा तंबू साहिब वहां सुशोभित है। जहाँ मुगलों के साथ खिदराने के युद्ध के समय सिखों सेना द्वारा तंबू लगाए गए थे

गुरुद्वारा टिब्बा साहिब 


गुरुद्वारा दातुन सर साहिब ,


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