Tuesday 5 February 2019

कांचीपुरम


एकम्बरेश्वरर मंदिर-

यह कांचीपुरम का सबसे बड़ा मंदिर है इसका गोपुरम (gateway tower) 59m ऊँचा है इसे भारत का सबसे ऊँचा  प्रवेश द्वार का टावर होने का गौरव प्राप्त है इसकी पांच परकर्मा  हॉल एक हज़ार खम्बों पर खड़े है


पांच परकर्मा  हॉल 


पञ्च भूतों को दर्शाती मूर्तियाँ











कैलाशनाथ मंदिर 

भगवान् शिव को समर्पित यह मंदिर सब से पुराना  है इसके अन्दर 58  छोटे मंदिर है मंदिर के अन्दर बहुत ही खूबसूरत पेंटिंग्स बनी है



दोनों शेरों के बीच में से गुर्जरने पर एक छोटा सा गुप्त  प्रार्थना का कमरा है






प्रार्थना कमरों में बनी खूबसूरत पेंटिंग्स जो आज भी काफी अच्छी हालत में है  



मंदिर का विमान 








श्री कांची कामाक्षी मंदिर-

यह मंदिर भगवन शिव की पत्नी माँ पारवती के दुसरे रूप कामाक्षी को समर्पित है इसकी मूर्ति की खास बात यह है कि  इसमें माँ की मूर्ति खड़ी मुद्रा की बजाय पदमासन मुद्रा मैं बैठी हुई है इसके इलावा कांचीपुरम मैं कोई भी मंदिर माता को समर्पित नहीं है 


कहा जाता है कि कांची में कामाक्षी मदुरै में मीनाक्षी और काशी में विशालाक्षी विराजमान हैं।कामाक्षी देवी मंदिर देश की 51 शक्ति पीठों में संमिलित है।यहां माता का कंकाल गिरा था।


संगीत कक्ष 






मुख्या द्वार 


उलगलंता पेरुमल मंदिर



येह मन्दिर विष्णु भगवन के 108 पवित्र मंदिरों में से एक है द्रविड़ शैली में बना है--यहाँ वामन भगवान Ulagalantha Perumal  की विशाल मूर्ति 35 ft (11 m) है  मन्दिर 60,000 square feetमैं फैला है मुख्या गोपुरम उर्फ़ राज गोपुरम के ऊपर 7 कलश है यह कांचीपुरम का सबसे पुराना मंदिर है


श्री उलगलंता पेरुमल मंदिर काछबिसार मंदिर



वरदराज पेरुमल मंदिर -










वैष्णव समुदाय के लिए यह सब से पवित्र मंदिर है यह उन 108 मंदिरो मैं आता है जिसको 12 संतो ने अपनी कविताओं मैं वरणन  किया है 23-acre मैं फैला यह मंदिर कई राजाओ ने अलग अलग समय पर बनवाया था इसके अन्दर  32 shrines, 19 vimanams, 389 pillared halls है 100 खम्बो के हॉल मैं रामायण महाभारत के दृश्य  उकेरे गए है यहाँ एक पत्थर के टुकड़े से बनी विशाल चैन आकर्षण का केंद्र है इसके इलावा एक लकड़ी से बनी मूर्ति सिल्वर के बक्से मैं डाल कर तालाब मैं रखी गयी है जिसे 40 बरस के बाद निकाला जाता है ग्रेनाइट  पत्थर से बनी यह मूर्ति 10 फ़ीट बड़ी है तलाब के किनारे चकरठाजवहार उर्फ़ सुदर्सन का मंदिर है इसकी खास बात है इसके  दो दरवाजे है एक ही मूर्ति दोनों अलग दरवाजो से देखने से अलग दिखती है एक दरवाजा पूर्व मैं है इसमें से आपको बैठी मुद्रा मैं दर्शन होंगे पश्चिम के दरवाजे से मूर्ति  मैं भगवन खड़े है







मंदिर के अन्दर बनी हुई पेंटिंग्स



पवित्र छिपकली 

-जिसको छूने के लिए2 रुपए की टिकट लेनी पड़ती है  





तीर्थम टैंक

 

लकड़ी से बनी मूर्ति सिल्वर के बक्से मैं डाल कर तालाब मैं रखी गयी है जिसे 40 बरस के बाद निकाला जाता है ग्रेनाइट  पत्थर से बनी यह मूर्ति 10 फ़ीट बड़ी है 





100 खम्बो के हॉल




 
मुख्या द्वार

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