Tuesday 21 July 2020

यहूदी धर्म

यहूदी धर्म ;

विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से है, तथा दुनिया का प्रथम एकेश्वरवादी धर्म माना जाता है। ईसाई धर्म व इस्लाम का  जन्मदाता है हजरत अब्राहम,

यहूदी परंपरा कहती है कि यहोवा ने शुरुआत में आग और पानी से आसमानों और पृथ्वी को बनाया और फिर पृथ्वी पर बसाने के लिए उसने मानव को बनाया। सबसे पहले आदम को बनाया। अदम एक पहाड़ पर गार्डन आफ ईडन में रहते थे, जहां से चार नदियां निकलती थीं।भगवान ने अदम के शरीर से एक हड्डी निकालकर उससे स्त्री को बनाया था; अदम के तीन पुत्र हुए, जिन्हें बाइबल में केन, एबिल और सेठ कहा गया और कुरान में कबिल, हबिल और शिथ।कबिल ने जब हबिल की हत्या की तो भगवान ने कबिल को वहां से निकाल दिया। फिर वह नाड नाम के स्थान पर जाकर रहने लगे। इब्राहमी परंपरा में कबिल को पूर्ण रूप से पापी माना जाता है।नूह का जन्म कबिल के भाई शिथ की वंश परंपरा में हुआ था।बाइबल में बताया गया कि नूह धर्मात्मा थे। किसी समय भगवान ने उन्हें बताया कि सात दिन के बाद भयंकर बाढ़ आएगी। उन्हें एक नाव बनाने का आदेश दिया। उस नाव में नूह, उनकी पत्नी, उनके तीन पुत्र और उनकी तीन पुत्रवधुएं - इन आठ लोगों ने सवार होकर अपनी प्राणरक्षा की।नूह के वंश में पैगम्बर अब्राहम पैदा हुए

हजरत अब्राहम

हजरत अब्राहम यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म तीनों के पितामह माने जातें हैं।  इस धर्म में ईश्वर और पैग़म्बर की मान्यता है यहूदियों के सबसे प्राचीन ग्रंथ ‘ओल्ड टेस्टामेंट‘ से यहूदियों के इतिहास के बारे में जानने को मिलता है. ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार “यहूदी जाति का विकास  पैगंबर हजरत अब्राहम से शुरू होता है, जिसे इस्लाम में इब्राहिम, ईसाईयत में अब्राहम कहते हैं.” इजराइल की राजधानी जेरुशलम तीनों धर्मों यहूदी, इसाई, इस्लाम का संगम स्थल है.

तोराह के अनुसार हजरत अब्राहम,  ऊर प्रदेश सै इब्रानी कबीले के साथ कनान प्रदेश में आया था कनान प्रदेश में भीषण अकाल पड़ने के कारण मिस्र देश में जाकर शरण लेनी पड़ी। मिस्र में उनके लोगों को गुलाम बना लिया गया। बाइबल के अनुसार अब्राहम की वंश परंपरा में ही मूसा पैदा हुए थे; कनान आज palestine के नाम से जाना जाता है

हजरत मूसा

ईसा से लगभग 1,500 वर्ष पूर्व ---- हजरत मूसा का जन्म मिस्र के गोशेन शहर में हुआ था। यहूदी इतिहास के अनुसार इन्होंने इब्रानियों को मिस्र की 400  वर्ष की गुलामी से बाहर निकाल मूसा मिस्रायीम नाम के स्थान पर रहते थे, जिसका जिक्र इजिप्ट के नाम से बाइबल और कुरान में मिलता है।  मूसा को ही यहूदी धर्मग्रंथ की प्रथम पांच किताबों, तोराह का रचयिता माना जाता है हजरत मूसा को ईश्वर द्वारा दस आदेश मिले थे।

ईसा से लगभग 1100 वर्ष पूर्व ---पैगंबर अब्राहम के पोते का नाम हजरत याकूब था याकूब ने ही यहूदियों की 12 जातियों को मिलाकर राष्ट्र बनाया था. याकूब के एक बेटे का नाम यहूदा (जूदा) था. यहूदा के नाम पर ही उसके वंशज यहूदी कहलाए और उनका धर्म यहूदी धर्म कहलाया.

फारसी राजा साइरस हिब्रू बाइबिल में "मसीहा" के रूप में जाना जाता है क्योंकि उसने यहूदियों को इज़राइल की भूमि पर लौटने की अनुमति दी, जो छठी शताब्दी ईसा पूर्व में बेबीलोनियन निर्वासन के नाम से जाना जाता है।

बाबिल (बेबीलोन) के निर्वासन से लौटकर इज़रायली जाति मुख्य रूप से येरूसलेम तथा उसके आसपास के 'यूदा' (Judah) नामक प्रदेश में बस गई था, इस कारण इस धार्मिक संगठन को यूदावाद (Judaism) कहते

सुलेमान---

अब्राहम और मूसा के बाद दाऊद और उसके बेटे सुलेमान को यहूदी धर्म में अधिक आदरणीय माना जाता है। 37 वर्ष के योग्य शासन के बाद सन 937 ई.पू. में सुलेमान की मृत्यु हुई।

इतिहास

586 BC में jerusalam को Nebuchadnezzar 2nd ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया एवं वहां की प्रजा को बंदी बना बेबीलोन ले गया 539 Bc में cyrus 2 ने बेबीलोन को जीत लिया

537 0पू0 में पहला काफ़िला येरूसलेम लौटा, उन्होंने अपने धार्मिक स्थल का  जीर्णोंद्धार किया कुछ लोगो ने बेबीलोन का कल्चर अपना लिया कुछ यहूदी लोगो ने अपने को अलग रखने के लिए सुन्नत की प्रथा अपना ली -शादी को अपने लोगो मैं करने को सख्ती से लागू कर दिया  प्रार्थना के मंदिर की जगह synagogues  की स्थापना हुई 333 bc एलेग्जेंडर की जीत के साथ ग्रीक कल्चर फैल गया परन्तु उसकी मृत्यु के बाद उसका राज्य छोटे टुकड़ो मैं बंट  गया यहूदी लोगो का उत्पीड़न जारी रहा -यहूदी लोगो ने विरोध किया 165 Bc मैं यहूदी अपने संघर्ष मैं कामयाब हुए उसी दिन को हनुक्का या festival of light को सेलिब्रेट करने का त्योहार है ज्यूस तथा रोमन के झगडे बढ़ते गए और यहूदी बिखरते चले गए 66 AD , 70 AD , 132 AD मैं इन्होने विद्रोह किया परन्तु हार गए

Yohanan ben Zakka वह पहले यहूदी ऋषि थे जिन्होंने मिश्ना में रब्बी की उपाधि दी थी।पहले यहूदी-रोमन युद्ध में यरूशलेम की घेराबंदी के दौरान, उन्होंने शांति के पक्ष में तर्क दिया; यहूदी परंपरा ने ज़ोकाई को धार्मिक अध्ययन के लिए बेहद समर्पित होने के रूप में दर्ज किया,

मुस्लिम धर्म ,ईसाई धर्म का प्रभाव बढ़ने से इसके लोगो को बहुत कठिनाई झेलनी पड़ी 1290 मैं ज्यूस इंग्लैंड मैं पहुँचे उनको वहां से भी निकाल दिया गया 1306 मैं फ्रांस से निकला गया स्पेन मैं उनपर बढ़ते हमलो के कारण इन्होने1492  मैं स्पेन भी छोड़ दिया 17th Ad मैं यह अलग अलग देशो मैं फैल गए दुसरे विश्व युद्ध मैं छे करोड़ यहूदी मार दिए गए हिटलर के नाज़ी कैंप इसके लिए जिम्मेदार रहे

 

धर्मग्रंथ

तौरात यहूदी धर्म की मूल अवधारणाओं की शिक्षा देने वाला का धार्मिक ग्रन्थ है।तौरात पांच किताबों का संकलन है जो कि क्रमशः हैं - बेरेशित, शेमोत, वयिकरा, बेमिदबार, और देवारिम।

शब्द “तोरा” दरअसल इब्रानी शब्द तोह-राह से निकला है जिसका अनुवाद “सीख,” ‘सिखायी बातें’ या “कानून” भी किया जा सकता है।

इनके धार्मिक ग्रन्थों में तनख़, तालमुद तथा मिद्रश प्रमुख हैं इनके अलावा सिद्दूर, हलाखा, कब्बालाह आदि।

यहूदियों के धार्मिक स्थल व प्रार्थना स्थल को सिनेगॉग कहते हैं synagogue का अर्थ है  a meeting place इनकी प्रार्थना को Shema कहते है Shema का अर्थ है सुनना इसके तीन पैराग्राफ है यहूदी प्रतिदिन तीन बार प्रार्थना करते हैं।

धार्मिक पुस्तक रखने के लिए  विशेष स्थान पूर्व की दिवार मैं जेरुशलम की दिशा मैं रखा जाता है जो लकड़ी के कबोर्ड से लेकर अलंकृत पेटी के रूप में हो सकता है। इसे 'होली ऑर्क'  कहते है  धार्मिक पुस्तकों को सुन्दर चमकीले कपडे से ढक कर रखते है उसके सामने दीपक भी जला कर रखने का नियम है प्रार्थना करते हुए हाथो को कपडे से ढक कर रखते है औरत एवं मर्द अलग अलग बैठ कर प्रार्थना करते है - प्रार्थना के बाद धार्मिक पुस्तक को निश्चित स्थान पर  रखा जाता है

प्रमुख सिद्धान्त

यहूदी मान्यताओं के अनुसार ईश्वर एक है

यहूदी अपने ईश्वर को यहवेह या यहोवा कहते हैं।

यहूदी लोग सृष्टिकर्ता और सृष्टि को भिन्न समझते थे।

शरीर को पवित्र माना जाता है, क्योंकि उसमें आत्मा का वास है और आत्मा, ईश्वर की साँस है।

 एक यहूदी के लिए अपनी आय का कम-से-कम 10% परोपकारी कार्यों में देना अपेक्षित है।

एक यहूदी के लिए सुअर का माँस, झींगा, झींगा मछली और कई अन्य खाद्य पदार्थ वर्जित हैं।

शुक्रवार को सूर्यास्त से लेकर शनिवार की रात तक की अवधि को शब्बात कहते हैं, जिसका मतलब होता है विश्राम, इसलिए इस अवधि में यहूदी कोई कार्य नहीं करते हैं। आग जलाना वर्जित है,

 यहूदियों को विश्वास है कि कयामत के समय हमारा अगला पैगंबर आएगा।

यहूदी त्यौहार

रोश-हाश्शाना- यहूदी नव वर्ष। दो दिनों तक चलता है।

योम किपुर-- प्रायश्चित का दिन। व्रत का दिन, वर्ष का सबसे पवित्र दिन।

शुक्कोह

हुनक्का--- प्राचीन सीरियाई यूनानियों के धार्मिक उत्पीड़न पर यहूदियों की विजय का जश्न जो आठ दिनों तक चलता है। कार्य करने की अनुमति है और रोज़ाना शाम को मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। इसे फेस्टिवल्स ऑफ लाइट्स (Festivals of Lights) भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहूदी लोगों के मदिंर के तेल का एक जार मंदिर के शाश्वत दीपक पूरे आठ दिनों तक जलाए रखता था. उस रोशनी और तेल का इस त्योहार में खास महत्व रहा है. इसी वजह से हनुकाह में तेल से बनी ज्यादातर चीज़ें खाई जाती हैं और लगातार आठ दिनों तक मोमबत्ती जलाई जाती है.

पूरीम---- एक प्राचीन पारसी राजा की राजाज्ञा से यहूदी लोगों की चमत्कारिक मुक्ति का जश्न

पासओवर - पासोवर में 7 दिनों के लिए मनाया जाता है, लेकिन प्रवासी में त्योहार 8 दिनों के लिए मनाया जाता है।

फसह- मिस्र में दासता से मुक्ति की याद में और इसराइल में वसंत की खुशी मनाने वाला एक पर्व।

 यहूदियों के दस धर्म सूत्र – Judaism 10 Commandments

यहूदी धर्म में 10 धर्माचरणों का विशेष महत्त्व है

मैं स्वामी हूँ तेरा ईश्वर, तुझे मिस्त्र की दासता से मुक्त कराने वाला।

मेरे सिवा तू किसी दूसरे देवता को नहीं मानेगा।

तू अपने स्वामी और अपने प्रभु का नाम व्यर्थ ही न लेगा।

सबाथ (अवकाश) का दिन सदैव याद रखना और उसे पवित्र रखना। छ: दिन तू काम करेगा, फिर सातवें दिन विश्राम

अपने माता-पिता का सम्मान कर,

तू हत्या नहीं करेगा।

तू परस्त्री, परपुरुष गमन नहीं करेगा।

तू चोरी नहीं करेगा।

तू अपने पड़ोसी के ख़िलाफ़ झूठी गवाही नहीं देगा।

तू अपने पड़ोसी के मकान, पत्नी, नौकर या नौकरानी, पर बुरी नज़र नहीं रखेगा।

शादी की रस्में

यहूदियों में शादी को 'किड्डुशिन' कहते हैं। शादी से पहले यहूदियों में भी रिंग सेरेमनी होती है।यहूदियों में शादी से पहले मिलने की जो परंपरा होती है उसे 'योम किप्पुर विद्दुई' कहते हैं। इस परंपरा के तहत लड़का-लड़की मिलते हैं और कन्फेशनल प्रार्थना में हिस्सा लेते हैं और अपनी पुरानी जिंदगी की सारी गलतियों की माफी मांग कर नई जिंदगी में एक-दूसरे के प्रति वफादार रहते हुए जीवन बिताने की कसम खाते हैं।यहूदियों में शादी आमतौर पर रविवार के दिन होती है। दूल्हा-दुल्हन मिलकर 'चुप्पाह' बनाते हैं। चुप्पाह हिंदू शादियों में बनाए जाने वाले मंडप की तरह का होता है। शादी की ज्यादातर रस्में चुप्पाह के अंदर होती हैं। दूल्हा-दुल्हन इस चुप्पाह के चारों ओर तीन या सात चक्कर लगाते हैं। इसके बाद दूल्हा-दुल्हन के होठों पर रस्मी तौर पर वाइन का प्याला लगाया जाता है। इसके बाद अंगूठी की अदला-बदली होती है। इसके बाद सबसे अहम प्रक्रिया शुरू होती है, शादी का कॉन्ट्रैक्ट पढ़े जाने की। दो गवाहों की मौजूदगी में यह कॉन्ट्रैक्ट पढ़ा जाता है।

यहूदी धर्म में किसी शादीशुदा जोड़े को तलाक तभी मिलता है जब महिला का पति इसके लिए ‘राजी’ होता है लेकिन समस्या तब पेश आती है जब पति तलाक देने से इनकार कर देता है।यहूदी समाज के लोग उन्हें  ‘बंदिनी’ पुकारते हैं।

प्राचीन समय में अगूना वे स्त्रियां होती थीं जिसका पति युद्ध लड़ने के लिए सीमा पर चले जाते थें और फिर वहां से लौटते नहीं थे. वे जिंदा है, या मर गए इसका कोई खबर नहीं होती थी. ‘अगूना’ एक ऐसी यहूदी स्त्री जो चाहते हुए भी शादी की बेड़ियों से आजाद नहीं हो सकती। 

यहूदी धर्म में शिवा

शिवा यहूदी धर्म में शोक की प्रथा का एक हिस्सा है। एक सप्ताह के दुःख एवं मातम की अवधि को शिवा कहा जाता है, जिसमे सात प्रथम श्रेणी के रिश्तेदार: पिता, माता, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन तथा जीवनसाथी समाविष्ट होते हैं। कुछ मामलों में जब रिश्तेदार विभिन्न शहरों में रहते हैं तब शिवा कई स्थानों में किया जा सकता है। सातवें दिन शिवा आमतौर पर सुबह, प्रार्थना के पश्चात् समाप्त होता है, शिवा के दौरान यदि योम टव (Yom Tov) (पवित्र दिन जिनमें रोश हशानाह (Rosh Hashanah), योम किप्पुर (Yom Kippur), सुक्कोट (Sukkot), पास्सोवर (Passover) तथा शव्योत (Shavuot) शामिल हैं) का प्रथम दिन पड़ता है तो शिवा का अंत मान लिया जाता है, शिवा में बैठे लोगों पर विभिन्न प्रतिबंध हैं मातम करने वाला घर से बाहर नहीं जा सकता, चमड़े के जूते नहीं पहन सकते, ऊष्मा के प्रयोग से भोजन तैयार नहीं कर सकता, नए धुले कपड़े नहीं पहन सकता, काम अथवा व्यापार नहीं कर सकता माता-पिता की मृत्यु हो जाने की अवस्था में कुछ ऐसे प्रतिबन्ध होते हैं जो पूरे वर्ष तक जारी रहते हैं।

किसी भी धर्म के बारे लिखना बहुत मुश्किल कार्य है - हज़ारो सालो के इतिहास , को जानना ,उनकी मर्यादा को समझने के लिए मेरे जैसे मूड बुध्दि के लिए असंभव है -इसमें डाली गयी जानकारी हिस्ट्री ऑफ़ रिलिजन नामक  किताब को पड़ने के बाद लिखी गयी है - इसमें इंटरनेट से प्रपात जानकारी भी शामिल की गयी है किसी भी ज्ञानी को इसमें लिखी कोई भी जानकारी त्रुटि पूर्ण लगे तो तुरंत संपर्क करे ताकि उसे ठीक किया जा सके


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