Thursday 9 July 2020

शिंतो धर्म

शिंतो धर्म

 शिन्तो चीनी शब्द शेन-ताओ से आया है, जिसका अर्थ "देवताओं का पथ" से है इस धर्म का कोई संस्थापक, पवित्र लेख नहीं है शिंतो जिसे  शिन्तोवाद या कामी-नो-माची के नाम से भी जाना जाता है, इसमें कई देवता है जिन्हे कामी  कहा जाता है हर कामी किसी प्रकृति की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता  है इसमें बोध धर्म के बहुत से सिद्धांत जुड़े है  

4th से  7th AD (yamato period) से पहले यहाँ के धर्म के बारे जानकारी नहीं है  परन्तु यह धर्म प्रकृति की शक्तियों को मानता है 712 Ad में KOJIKI 720 Ad में Nihongi नामक पुस्तक लिखी गयी Nihongi को  NIHONSHOKI  भी कहते है जापान के शिंतो धर्म की ज्यादातर बातें बौद्ध धर्म से ली गई थी लेकिन 1868-1912 में शिंतो धर्म ने बौद्ध विचारों से स्वतंत्र होकर अपने धार्मिक मूल्यों की पुन: व्याख्‍या और स्थापना कर इसे जापान का 'राज धर्म' बना दिया गया।1945 के युद्ध से पहले इनके मंदिर तथा राजा धर्म के मुख्या केंद्र थे परन्तु युद्ध के बाद सरकारी स्कूलों मैं धर्म की शिक्षा बंद कर दी गयी

 शिंटो  मंदिर मैं एक ही द्वार होता है इसमें एक पूजा गृह होता है जिसेCHAIDEN  कहते है एक प्राथना हॉल HONDEN  होता है गरब गृह मैं देवता की जगह है - देवता को कामि कहा जाता है गरब गृह मैं जाना मना है भगत बरामदे मैं से ही पैसे चढ़ाते है अर्चना करते है तथा दो बार ताली बजा कर झुक कर प्राथना करते है हिन्दुओ की तरह ही मंदिर के प्रागण मैं लगे पेड़ पर सफ़ेद रंग का धागा लपेट देते है

 

 शिंतो तीर्थ स्थल व मंदिर भव्य होते हैं, पूजा-पद्धति में प्रार्थनाएँ करना, तालियाँ बजाना शुद्धिकरण और देवताओं की श्रद्धा में कुछ अर्पण करना, माता पिता के प्रति श्रदा , पितरो की पूजा  सम्मिलित है। कामनाएँ करते हैं तथा पूर्वजों की स्मृति में भेटें चढ़ाई जाती है। संगीत, नृत्य के आयोजन के साथ ही धार्मिक उत्सवों वाले दिनों में जुलूस निकाले जाते हैं। देवी-देवता को कामी कहा जाता है। कामी उन लोगों के साथ वार्तालाप कर सकता है, जिन्होंने स्वयं को अनुष्ठानिक शुद्धि के द्वारा योग्य बना लिया है,

मंदिर तीन प्रकार के है प्रथम ग्राम देवी को समर्पित ,दुसरे INARI देवी को समर्पित मंदिर जो  व्यापार चावल, घरेलू भलाई, व्यापार समृद्धि और सामान्य समृद्धि की देवी है इनारी तीर्थस्थल आमतौर पर लकड़ी के काम के साथ सफेद प्लास्टर की दीवारों का निर्माण किया जाता है, और उनके प्रवेश द्वार को सिंदूर द्वारा चिह्नित किया जाता है। तीसरे  पुरे देश मैं प्रसीद मंदिर है इसमें शहीदों को समर्पित YASHUKUNI , MEIJI को समर्पित MEIJI तीर्थ स्थल, युद्ध के देवता को समर्पित HACHIMANGU है 

 शिन्तो तीर्थ स्थलों में सबसे महत्वपूर्ण ‘आइस’ में स्थित ‘सूर्य देवी’ का तीर्थस्थल है, जहाँ जून और दिसम्बर में एक बार राजकीय समारोह होता है।

शिन्तो धर्म में हर साल कई प्रमुख त्यौहार होते हैं, जिनमें वसंत महोत्सव (हारु मात्सुरी, या तोशिगोइ-नो-मत्सुरी; प्रार्थना फॉर गुड हार्वेस्ट फेस्टिवल), ऑटम फेस्टिवल (अकी मात्सुरी, या नीम-साई; हार्वेस्ट फेस्टिवल), एक वार्षिक उत्सव शामिल हैं।नव वर्ष पर विशेष पूजा होती है मंदिर के बाहर तीर बेचने की प्रथा है जो लकड़ी के बने होते है मंदिर के अंदर जल रही आग मैं पुराने वर्ष की वस्तुए जला दी जाती है -शोभा यात्रा निकाली  जाती है मंदिर के उप्पर झंडे भी फेहराये जाते है 

शिंटो की धार्मिक पुस्तक --- NIHONSHOKI .

शिंटो की सबसे पुरानी धार्मिक पुस्तक- KOJIKI

मिकोशी - धार्मिक पालकी है यह त्योहार के दौरान मुख्य तीर्थ और मंदिर में जाने के दौरान देवता के परिवहन के लिए वाहन के रूप में कार्य करता है।

JINJA - बहुत बड़ी मिकोशी

किसी भी धर्म के बारे लिखना बहुत मुश्किल कार्य है - हज़ारो सालो के इतिहास , को जानना ,उनकी मर्यादा को समझने के लिए मेरे जैसे मूड बुध्दि के लिए असंभव है -इसमें डाली गयी जानकारी हिस्ट्री ऑफ़ रिलिजन नामक  किताब को पड़ने के बाद लिखी गयी है - इसमें इंटरनेट से प्रपात जानकारी भी शामिल की गयी है किसी भी ज्ञानी को इसमें लिखी कोई भी जानकारी त्रुटि पूर्ण लगे तो तुरंत संपर्क करे ताकि उसे ठीक किया जा सके


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