सांप की तरह बल खाती, काली कालतोर की सड़क , तस्तरी नुमा पहाड़ो पर ,चहकते हुए हरे भरे चाय बागान के बीच से गुजरती है तो स्वर्ग के आनंद का एहसास होता है -उड़ते बादल -आप को छू कर चले जाते है -शांत प्रकृति बाहें फैला कर आपको अपनी गोद मे लेने को आतुर प्रतीत होती है
यह अद्भुत
नजारा है it's a wonderful sight
जादुई हिमालय पर्वत माला पर शिवालिक पहाड़ियों के ऊपर
ये
शहर अपनी ताजी हवाओं, वनों, पहाड़ों, घाटियों बादलों के चादर ओढ़े
पर्वत श्रृंखलाएं और बर्फीली चोटियों
के
लिए जाना जाता है। सर्दी के मौसम में
इसकी खूबसूरती देखने लायक बनती है। इसके लिए यह देश के
सबसे अच्छे ट्रेकिंग स्पाट के लिए भी
जाना जाता है।
गंगटोक,
जिसे लैंड आँफ मोनास्ट्री के नाम से भी जाना जाता है गंगटोक 1840 में बौद्ध शिक्षाओं
के एनची मठ के निर्माण के बाद यह एक छोटा तीर्थस्थल बन गया।जब भारत आज़ाद हुआ तो सिक्किम
वालों ने खुदको अलग मोनार्क में रखने का फैसला लिया।1975 की लड़ाई और विवाद के बाद,
सिक्किम को एक इंडियन स्टेट बनाया गया, जिसकी राजधानी गैंगटोक को घोषित किया गया।
गंगटोक से करीब 24 कि.मी.
की दूरी पर , 14,450 फीट की ऊंचाई पर - एक पहाड़ी पर स्थित है भारत का सबसे प्राचीन मठ रुम्तेक मोनेस्ट्री -- रुम्तेक का अर्थ है भगवान-
इसका
निर्माण 9वें कर्मापा रंगजंग रिग्पे दोर्जे
द्वारा सन् 1740 में बनवाया गया था
चार मंजिलों से बना है देश का सबसे बड़ा बौद्ध धर्म सीखने का सेंटर भी है।
उनके आदेशानुसार नए रुमटेक मठ का निर्माण 1961 में शुरू हुआ और 1966 में पूरा हुआ।
मठ के अंदर स्थापित सोने का स्तूप, जिसमें 16 वें करमापा के अवशेष हैं। वज्र मुकुट --बहुमूल्य रत्नों, हीरे और सोने से जड़ी एक काली टोपी। वज्र मुकुट 15वीं सदी में चीन के तत्कालीन सम्राट ने 5वें करमापा को भेंट किया था।
दो द्रूल चोर्टेन - Do Drul Chorten दो द्रूल चोर्टेन, गंगटोक के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसे सिक्किम का सबसे महत्वपूर्ण स्तूप माना जाता है।
इस
मठ का शिखर सोने
का बना हुआ है। इसमें 108 प्रार्थना चक्र है, जहां गुरु रिमपोचे की दो प्रतिमाएं
भी स्थापित है
गंगटोक से 3 किमी door
वज्रयान बौद्ध धर्म के निंग्मा section से संबंधित एनची मठ लगभग 200 वर्ष पुराना है।'एंची
मठ' का शाब्दिक अर्थ ' एकान्त मठ ' है।
यह भी कहा जाता है कि दक्षिण सिक्किम के मेनम हिल से उड़ान भरकर यहां आने के बाद भिक्षु ने मठ के स्थान पर एक छोटा सा आश्रम बनाया था।
मठ की वर्तमान संरचना सिदकेओंग तुल्कु (1909 1910) के शासनकाल के दौरान बनाई गई थी।
बुद्ध, लोकेतेश्वर और गुरु पद्मसंभव तीन महत्वपूर्ण देवता हैं जिनकी मठ में पूजा की जाती है।
गोंजांग मठ1981 में एच.ई. द्वारा बनाया गया था।
गंगटोक बस स्टेशन से 8 किमी दूर, ताशी व्यूप्वाइंट के पास है
और गुरु पद्मसंभव के पच्चीस शिष्यों की उत्कीर्ण मूर्तियाँ देख सकते है
गुरु पद्मसंभव को जे-बंग न्येर-नगा कहा जाता है।
food you must try in gangtok
Churrpi Soup- चुरपी
गाय या याक के
दूध से बना एक
स्थानीय स्नैक्स है। यह मूल रूप
से एक पनीर डिश
है
छुरपी निंग्रो करी- पनीर, बांस की टहनी और कई मसालों जैसे- निंग्रो, हल्दी और मिर्च से बनी एक बहुत लोकप्रिय करी, जो इसके स्वाद को बढ़ाती है।
FAMOUS FOOD JOINTS OF GANGTOK on M.G Marg ---
9’INE नेटिव कुजीन-------अपने तिब्बती व्यंजनों के लिए मशहूर है। आप मोमोज, चिकन के साथ सिक्किमी सेट मील, फर्मेंटेड सोयाबीन, डिम सम और मशरूम कच्ची जैसे व्यंजनों का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
द
कॉफी शॉप: अनोला बिल्डिंग, महात्मा गांधी मार्ग,
शफल
मोमोज: महात्मा गांधी मार्ग, रोल हाउस: महात्मा गांधी मार्ग, एचडीएफसी बैंक के सामने
टेस्ट
ऑफ तिब्बत: महात्मा गांधी मार्ग