गोरखाओं, खम्पा, लेप्चा, शेरपाओं की संस्कृति लिए यह शहर दार्जिलिंग अपने दो चीजों के कारण भारत का सबसे ज्यादा मशहूर पर्यटक स्थल है एक तो विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी कही जाने वाली ‘कंचनचंगा’ के लिए और दूसरा यहाँ के चाय के बागान के लिए।दार्जिलिंग शब्द की उत्पत्ति दो तिब्बती शब्द ‘दोर्ज’ (ब्रज) ‘लिंग ‘(स्थान) से हुई है,
1. Batasia Loop & Gorkha War Memorial. दार्जिलिंग में बटासिया लूप 1919 में अंग्रेजों द्वारा रेलवे ट्रैक के लिए एक खड़ी ढलान को कवर करने के लिए बनाया गया था| यहाँ पर ट्रैक 360 डिग्री का टर्न लेता है, जो लगभग 140 फ़ीट की चढाई से नीचे उतरता है| बटासिया का अर्थ होता है खुली जगह| बटासिया लूप के बीच में एक युद्ध स्मारक स्थित है
घूम (दुनिया में सबसे ऊंचा स्थान जहां लोकोमोटिव इंजन संचालित होते हैं 7,407 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
घुम रेलवे स्टेशन भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है और विश्व में यह सुंदरता के मामले 14 वें नंबर पर है .
Ghoom Monastery– लामा शेरब ग्यात्सो द्वारा 1850 में स्थापित और 15 फीट ऊंची मैत्रेय बुद्ध की प्रतिमा
यहाँ का प्रमुख आकर्षण है इसे यी गा चोलिंग गोम्पा
भी कहा जाता है ,
यह येलो हैट संप्रदाय का हिस्सा है।
यहाँ पांडुलिपियों
के संग्रह है
Japanese Temple-- यह एक बौद्ध मंदिर है और इसे निपोनज़न मायोहोजी बौद्ध मंदिर कहा जाता है। यह पीस पैगोडा के पास स्थित है 1972 में पारंपरिक जापानी शैली में निर्मित है।
मं
दिर के प्रवेश द्वार में एंट्री करते ही आपको फूजी गुरुदेव की प्रतिमा दिखाई देगी यहाँ
भगवान बुद्ध के चार अवतारों के चित्र मंदिर में बने हुए हैं।
Peace Pagoda-- 1992 में उद्घाटन किए गए इस मंदिर
का डिज़ाइन एम. ओहका द्वारा किया गया था। 28.5 मीटर की ऊंचाई के साथ यह दार्जिलिंग की सबसे ऊंची संरचना है ,
इस
मंदिर की स्थापना निचिदत्सु फुजी नामक एक जापानी बौद्ध भिक्षु ने की थी मंदिर के अंदर मैत्रेय बुद्ध अवतार
सहित बुद्ध के कई अवतार देख सकते हैं।
Mahakal Temple
किंवदंती
है कि ब्रह्मा, विष्णु
और महेश्वर (शिव) का प्रतिनिधित्व करने
वाले तीन शिव-लिंग 1782 में इस स्थल पर
प्रकट हुए थे।मुख्य मंदिर के अंदर सोने
की परत चढ़े तीन लिंगम हिंदू देवताओं ब्रह्मा, बिष्णु और महेश्वर का
प्रतिनिधित्व करते हैं।
माना जाता
है कि पहले यह स्थान आदिवासी लेप्चा लोगों
का एक पवित्र स्थान था। .1815 में गोरखा आक्रमण के दौरान'दोरजे-लिंग' नाम का एक बौद्ध
मठ जिसे 1765 में लामा दोरजे रिनजिंग द्वारा बनाया गया था को नष्ट कर दिया गया,
मंदिर
परिसर के भीतर एक
सफेद 'चोरटेन' (तिब्बती स्मारक मंदिर) है जहां इस
स्थल के मूल निर्माता
दोरजे रिनजिंग लामा के अवशेष हैं।
मंदिर
मॉल से 100 गज की दूरी
पर हैं और केवल पैदल
ही पहुंचा जा सकता है..
यहां आप गुफा देख
सकते हैं
डाली गोम्पा का निर्माण 1971 में क्याब्जे थुकसे रिम्पोचे द्वारा किया गया था।1993 में धर्म गुरु दलाई लामा यहाँ तीन दिन रुके थे यहाँ पर बेलनाकार 6 फीट ऊंचे सुनहरे तिब्बती प्रार्थना चक्रो का हॉल है डाली मठ में कॉफी शॉप है डूकचेन रिम्पोछे XII डाली मठ के वर्तमान प्रमुख हैं
1. St. Andrew’s Church - सेंट एंड्रयूज चर्च - स्कॉटलैंड के संत के नाम पर, सेंट एंड्रयूज चर्च की आधारशिला नवंबर 1843 में रखी गई थी, हालांकि 1867 में बिजली गिरने से हुई व्यापक क्षति के बाद 1873 में इसका पुनर्निर्माण किया गया था। सेंट एंड्रयूज अपने शानदार क्लॉक टॉवर ,ब्रिटिश वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है -चर्च ने अक्टूबर 1844 में अपनी पहली पवित्र सेवा आयोजित की। । जीर्णोद्धार के बाद, 1877 में नियमित सेवाओं की सिफारिश की गई। 1883 में clock के साथ घंटाघर स्थापित किया गया
दार्जिलिंग रोपवे की शुरुआत 1968 में हुई “रंगीत वैली केबल कार है” 45 मिनट के सफर में आप इस रोपवे से चाय के बगीचे, जंगलो और हरी भरी वादियां के नज़ारो का मज़ा उठा सकते हो। यह केबल कार भारत की first
केबल कार भी है।
1998 में revamp , अक्टूबर 2003 में चार पर्यटकों की मौत के बाद बंद कर दिया गया था। रोपवे को 2 फरवरी 2012 को फिर से खोल दिया गया
7000
फीट की ऊँचाई पर हैं।1968 में शुरू किया गया था और एक कार में तकरीबन 6 लोगों के बैठने
की जगह होती है
अवा आर्ट गैलरी - 4 किमी _ अवा आर्ट गैलरी की स्थापना 1965 में स्वर्गीय अवा देवी और भोपाल राव सेट द्वारा की गई थी। इस गैलरी में दो विशेष पेंटिंग हैं "स्टिल स्ट्रॉन्ग" "टॉर्चर" जो अवा देवो के उत्कृष्ट कौशल को दर्शाता है अवा देवी की मृत्यु हो चुकी है परंतु अभी अवा आर्ट गैलरी की हालत बहुत खराब है
toy
train दार्जिलिंग की आयरन लेडी कही जाने वाली
यह टॉय ट्रेन मात्र 2 फूट चौड़ी रेलवे लाइन पर चलती है। यह ट्रेन 1881 में अंग्रेजों
द्वारा बनाई गई थी और तब यह कोयले से चलती थी।जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक 88 कि.मी.
का सफ़र तैय करती है।
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