Tuesday 16 June 2020

मध्य भारत की विश्व धरोहर इमारतें

'सांची स्तूप-----

वर्ष 1989 में इसे युनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया

साँची का बौद्ध विहार, महान स्तूप के लिये प्रसिद्ध है साँची स्तूप जगह एक छोटे से गांव में है जो कि भोपाल से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इन स्मारकों की संरचना 3 और 12 वीं सदी के बीच सम्राट अशोक ने इसे बनवाया था। 

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद सबसे पहले जिस स्तूप का निर्माण कराया वह सांची का स्तूप ही था| सांची से मिलने वाले अभिलेखों में इस स्थान को 'काकनादबोट' नाम से अभिहित किया गया है। 

सांची के स्तूप का व्यास 36.5 मी. और ऊँचाई लगभग 21.64 मी. है
चौदहवीं सदी से लेकर वर्ष 1818 में जनरल टेलर द्वारा पुनः खोजे जाने तक सांची सामान्य जन की जानकारी से दूर बना रहा | ये स्तूप भगवान बुद्ध के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित है

स्तूप बड़े पैमाने पर एक बड़े पत्थर द्वारा बना होता है जिसमे चार रेलिंग द्वार होते है।ये रेलिंग बुद्ध के जीवन, और अन्य बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण महापुरूषों के जीवन से जुड़े हुए तथ्य दिखाए जाते है
भारत का प्रसिद्ध बौद्ध स्मारक'सांची स्तूप' बेहतरीन वास्तुकला का नमूना है




















खुजराहो--कामसूत्र के मंदिर


वर्ष 1986 में इसे युनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया

खुजराहो के मंदिर भारतीय शिल्प कला का बेहतर नमूना है कामसूत्र की मूर्तिओं के कारन विदेशी लोगो के आकर्षण का कारन यह मंदिर हमारी महान संस्कृति को दर्शाते है यहाँ लोगो को कामसूत्र के अनुसार मैथुन की मुद्रा के इलावा जैन मंदिर समूह मैं मैथ के मैजिक स्क्वायर के चित्र भी मिलते है

पुरे मंदिर वेस्टर्न ग्रुप , ईस्ट ग्रुप एवं साउथ ग्रुप बाँटे हुए है वेस्टर्न ग्रुप मैं मैं गेट  से  आगे जाते ही बाई तरफ दिखाई  देता है लक्ष्मण मंदिर

लक्ष्मण मंदिर के सामने 2 छोटे मंदिर हैं। इनमें एक लक्ष्मी मंदिर व दूसरा वराह मंदिर है।  

कन्दरिया महादेव मंदिर


कन्दरिया महादेव मंदिर - यह  यहाँ का सबसे बड़ा मंदिर है कन्दरिया का अर्थ है       गुफा  मैं  रहने  वाला  भगवन 22 मंदिरों में से एक कंदारिया महादेव का मंदिर काम शिक्षा के लिए मशहूर है मंदिर 117 फुट ऊंचा, लगभग इतना ही लंबा तथा 66 फुट चौड़ा यह मंदिर सप्तरथ शैली में बना है। यह कॉस्मो यन्त्र की तरह बना है इसमें शिव की ३ फॉर्म्स दिखाई देती है  मंदिर 13 फ़ीट ऊँचे प्लेटफॉर्म पर खड़ा है इसमें 84 शिखर है अग्नि देवता को भी प्रमुखता से वर्णित किया है इसमें मैथुन करते जोड़े बहुत प्रमुखता से ,बारीक़ कारीगरी से दिखाए गए है , उम्र के हर पड़ाव के चेहरे के भाव , ड्रैगन ,योगी मुद्रा  मैं मैथुन की मूर्ति है

 विशालतम मंदिर की बाह्य दीवारों पर कुल 646 मूर्तियां हैं तो अंदर भी 226 मूर्तियां स्थित हैं।

मतंगेश्वर मंदिर
यही एक मातर मंदिर है जहाँ पूजा होती है बाकि किसी भी मंदिर मैं पूजा नहीं होती

यहीं पर 4 जैन मंदिर स्थित हैं। इनमें से घंटाई मंदिर आज खंडहर अवस्था में है।  शेष तीनों जैन मंदिर कुछ दूर एक परिसर में स्थित हैं।

























Rock Shelters of Bhimbetka (2003) Madhya Pradesh
Sun Temple, Konârak (1984) Orissa

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