Monday 1 June 2020

विचित्र और चमत्कारी मंदिर

यमराजमंदिर ---

भारत के एक ऐसा मंदिर जहा लोग अन्दर जाने से डरते है - 
जी -हमारे भारत मैं एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ लोग बाहर से ही माथा टेक् देते है - यह मंदिर है यमराज देवता का - इसमें कमरा यमराज के सचिव चित्रगुप्त का भी है जो मान्यता अनुसार हमारे कर्मो का हिसाब किताब रखते है - एक है यमराज की कचहरी - यह मंदिर भरमौर के चौरासी मंदिर मैं स्तिथ है - इस बार मणिमहेश की यात्रा पर जाये तो जरूर दर्शन करे -पास ही है अढ़ाई पौड़ी - मांन्यता अनुसार अकाल मृत्यु के शिकार वयक्ति के लिए यहाँ पिंड दान होता है - मैंने ऐसा सुना है पर देखा नहीं है - कोई भरमौर का आदमी इस बारे मैं मेरी जानकारी को बड़ा सकता है तो जरूर सम्पर्क करे - यह मंदिर प्रसीद भरमौर  के चौरासी मंदिर के प्रांगण मैं स्तिथ है-भरमौर- जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश मैं है -चम्बा से 60 किलोमीटर दूर है -पठानकोट नजदीकी रेलवे स्टेशन है 

कृष्ण की मक्खन गेंद-

तस्वीर देख कर तो आपको यही लगेगा की एक छोटा सा धक्का -और यह भरी भरकम चट्टान लुढ़कती चली जाएगी तो आप गलती कर रहे है लोग इस पत्थर को कृष्ण की मक्खन गेंद भी कहते हैं क्योंकि उनका मानना है की यह पत्थर मक्खन की गेंद है जिसको कृष्ण ने अपनी बाल्य अवस्था में नीचे गिरा दिया था।सन् 1908 में इस पत्थर पर उस समय के मद्रास गवर्नर आर्थर की नजर पड़ी तो उनको लगा कि यह पत्थर किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है इसलिए उन्होंने इस पत्थर को उसके स्थान से हटवाने के लिए 7 हाथियों से खिंचवाया पर यह पत्थर अपनी जगह से 1 इंच भी नहीं खिसका।
1200 वर्ष पुराना गुरुत्वाकर्षण के नियमों की उपेक्षा करते हुए यह पत्थर एक ढलान वाली पहाड़ी पर 45 डिग्री के कोण पर बिना लुढ़के टिका हुआ है। इस पत्थर की चौड़ाई 5 मीटर तथा ऊंचाई 20 फीट है।
यह आस्था की गेंद इतिहास मैं सबसे बड़े दानी महाबली के नाम पर प्रसीद हुए महाबलीपुर शहर -मद्रास -जिसे अब चेन्नई के नाम से जाना जाता है से केवल 120 किलोमीटर दूर महाबलीपुर मैं

बाला जी मंदिर उन्नाव 
भारत का एक ऐसा मंदिर जिसमे पिछले 400 सालो से देसी घी चढ़ाया जाता है - आज मंदिर के पास 5000 क्विंटल घी है -घी को यहाँ कुए मैं रखा जाता है अभी तक 7 कुए भर चुके है -बाला जी सूर्यदेव का मंदिर -उन्नाव मैं है





एक ऐसा मंदिर जहां की मिट्टी से होता है सांप के काटे जाने का इलाज़ ---




नागनी माता मंदिर हिमाचल



नागनी माता मंदिर एक ऐसा मंदिर जहां की मिट्टी से सांप के काटे जाने का इलाज़ होता है यह अद्वितीय मंदिर है जहां नागनी माता की मूर्ति है वहां नीचे से पानी आता है जिन लोगों को साँप काट लेते हैं वह माता के पास आते हैं और बस पीने के पानी और मिटटी को लगा कर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं यह पठानकोट से 25 K.M  की दूरी पे है इस एरिया मैं ऐसे दो मंदिर है एक को छोटी नागिनी दूसरे को बड़ी नागिनी कहा जाता है - एक विश्वास के अनुसार कोई भी सांप का काटा हुआ हुआ व्यक्ति जब तक मंदिर की हद मैं रहता है उसकी मृत्यु भी नहीं होती है - पुजारी की आज्ञा के बिना ऐसा व्यक्ति मंदिर के बाहर नहीं जा सकते सावन माह मैं प्रत्येक रविवार यहाँ मेला लगता है




राम का एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ उन्हें रोज गार्ड सलामी देते है 


आप ने अयोध्या के राम मंदिर के बारे मैं सुना होगा परन्तु क्या आप ने सुना है की राम का एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ उन्हें रोज गार्ड सलामी देते है - दुनिया का एक मात्र राम का मंदिर जहाँ उनकी पूजा राम भगवन के रूप मैं नहीं राजा राम के रूप मैं होती है - यह मंदिर है - बुंदेलखंड के महलों के शहर ओरछा मैं - इसके साथ जुडी है एक विचित्र कहानी- कहते है ओरछा नरेश मधुकरशाह कृष्ण भक्त थे लेकिन रानी गणेशकुंवरि राम भक्त थीं। राजा ने रानी को वृन्दावन चलने को कहा रानी ने वृंदावन जाने से मना कर दिया। क्रोध में आकर राजा ने उनसे यह कहा कि तुम इतनी राम भक्त हो तो जाकर अपनेराम को ओरछा ले आओ।रानी ने प्रभु राम की तपस्या की उनके दर्शन करके उनकी आज्ञा से वो एक मूर्ति  लेने चली गयी   रानी इस मूर्ति को (1554-92) के दौरान अयोध्या से लाई - राजा मधुकरशाह ने करोडों की लागत से चतुर्भुज मंदिर का निर्माण कराया। यह निश्चित हुआ कि शुभ मुर्हूत में मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में रखकर इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जब रानी ओरछा पहुंची तो उन्होंने यह मूर्ति अपने महल में रख दी। बाद मैं मूर्ति वहां  से हिली नहीं प्रभु का चमत्कार मान मूर्ति को वही स्थापित कर दिया गया बाद मैं महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर। यह पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। चतुर्भुज मंदिर आज भी वीरान पडा है। चतुरभुज  का  संस्कृत  मैं  अर्थ  है 4 भुजा  वाला  यह  मंदिर 7th Ad का  है एवं  भगवन  विष्णु  को  समर्पित  है चतुर्भुज मंदिर 344  फ़ीट ऊँचा है 67 सीडी चढ़ कर आप मंदिर तक पहुँच सकते है   


चतुर्भुज मंदिर







ओरछा झाँसी रेलवे स्टेशन से 18  किलोमीटर दूर है

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