मंडी
इसे माण्डव नगर के नाम से भी जान जाता है इस हिमाचल का छोटा कIशी भी कहा जाता है यहाँ से पराशर झील के लिए रास्ता जाता है अजबेर सेन ने इसकी स्थापना 1526 मैं की थी यहाँ का शिवरात्रि मेला बहुत मशहूर है मंडी के लोगों को मंडियाली भी कहते है
दशम गुरु श्री गोबिंद सिंह जी ने भी यह रहे है आज उनकी याद मैं एक शानदार गुरुद्वारा है यहाँ आप उनके शास्त्रों के दर्शन कर सकते है यहाँ 300 से ज्यादा मंदिर है परन्तु पंचवक्त्र मंदिर,अर्धनारीश्वर मंदिर ,माता कौन रानी मंदिर , प्रमुख है
यहाँ की धाम की फेमस डिश है सेपु वडी.
भीमाकली मंदिर -
व्यास नदी के तट पर स्थित यह
मंदिर भीमाकाली को समर्पित है। यह मंदिर मुख्य बस स्टैंड मंडी से मात्र 1
किलोमीटर की दूरी पर स्थित है विद्धानों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इसी जगह
पर बानासुर को मार डाला था और यही दफना दिया था। इस मंदिर को यादवों के शासन काल
में बनवाया गया था। हर साल यहां बड़े स्तर पर काली पूजा की जाती है
मंदिर के दाहिनी तरफ नीचे की ओर शेरों की मूर्तियाँ सुन्दर बनाई गई हैं. इसी स्थान पर वन को जाते पांडवो की प्रतिमायें भी लगायी गई हैं जो पांडव काल की याद ताज़ा करती हैं
एक लम्बे से घुमावदार रास्ते से चलकर दूसरी
मंजिल और फिर तीसरी मंजिल पर पहुंचा जाता है। सबसे उपर की मंजिल पर माँ विराजमान
है.
यह गैलरी, चंडीगढ़-मनाली मार्ग पर
स्थित है जो मंडी से 4 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस फोटो गैलरी में कई चित्रों
को अनोखा कलेक्शन है। यहां की फोटो हिमाचल की संस्कृति और सभ्यता को दर्शाते
है।
त्रिलोकीनाथ मन्दिर
शिखर शैली मैं बने त्रिलोकीनाथ मन्दिर का निर्माण राजा अजबर सेन की रानी सुल्तान देवी ने सन 1520 ई. में कराया था। मन्दिर में भगवान शिव ,पार्वती, नन्दी ,विष्णु, चतर्भुज गणेश, भैरव, काली, हनुमान की प्रतिमाएं हैं।
भूतनाथ मंदिर
भूतनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है मंदिर का निर्माण 1527 ई. में राजा अजवेर सेन ने करवाया था। यहां हर साल शिवरात्रि पर उत्सव मनाया जाता है जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते है, यह उत्सव पूरे एक सप्ताह तक चलता है। लोगों का ऐसा मानना है कि इस दौरान 100 स्थानीय देवता यहां पधारतें हैं।
सिद्ध काली मंदिर -
सिद्ध काली मंदिर -
माँ काली को समर्पित यह मंदिर सेन राजाओ द्वारा बनाया गया था
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