पठानकोट
इस शहर का इतिहास तो बहुत पूराना है परन्तु इसे जिले का दर्जा 27th july 2011 को ही मिला है शिवालिक की पहाड़ियों मैं स्तिथ इसकी सीमाएं हिमाचल , जम्मू , पाकिस्तान को छूती है पठानकोट ने आज़ादी स पहले और बाद मैं हर बार युद्ध की पीड़ा को झेला है इसी लिए यहाँ एशिया ki सबसे बड़ी कैंटोनमेंट है पंजाब की 2 मुख्या नदिया रवि तथा ब्यास शहर के दोनों और बहती है ` विष्णु पुराण अनुसार औदुंबरा नमक राज्य की राजधानी प्रतिष्ठान नमक जगह पर थी वही आज का पठानकोट है September 326 B.C alaxandar की सेना भी काठा ( आज के काठगढ़ ) के पास से वापिस गयी थी 11th A.D मैं दिल्ली के राजा झेत पाल ने इस जगह को जीता और इसका नाम पैठान रख दिया जो बाद मैं पठानकोट बना
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर
यहाँ 5500 साल पुराणी caves है मान्यता
अनुसार ये पांडवों ने बनवाई थी रावी नदी जे किनारे बना यह मंदिर पठानकोट से 14 K.M दूर है
दुर्गा माता मंदिर
ध्रुवा पार्क
रघुनाथ मंदिर
चर्च
नागनी माता मंदिर
यह पठानकोट से 25 K.M की दूरी पे है
यह अद्वितीय मंदिर है जहां नागनी माता की मूर्ति
है वहां नीचे से पानी आता है जिन लोगों को साँप काट लेते हैं वह माता के
पास आते हैं और बस पीने के पानी और मिटटी को लगा कर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं
भरमाड़ आश्रम
यह पठानकोट से 40 K.M की दूरी पे है
नूरपुर
का क़िला
राजा बासु ने यह क़िला अपने शासन
कॉल(1580-1603) मैं बनवाया था इस क़िले मैं ब्रिज राज स्वामी मंदिर
है यह विश्व का एक ही मंदिर है जहाँ पे कृष्ण
तथा मीरा की पूजा एक ही जगह की जाती है लोक मान्यता अनुसार यहाँ मंदिर मैं वही मूर्ति
है जिसकी मीरा पूजा किया करती थी
नूरपुर के इस किले में जहांगीर ने भी कुछ समय
राज किया था। उस समय जहांगीर की पत्नी नूरजहां भी यहां आई थी। इसके बाद ही इस
स्थान का नाम नूरपुर पड़ा था। जबकि इस स्थान को पहले धमड़ी कहा जाता था।
किले का प्रवेश द्वार
किले के अंतिम शासक राजा जगत सिंह के समय में ही
यहां बृज मंदिर की भी स्थापना हुई। इस
मंदिर में भगवान की कृष्ण व साथ में मीरा की मूर्ति है। इस मंदिर में अब भी रात को
मीरा के घुंघरुओं की आवाज सुनाई देती है।
ढ़ीबकेश्वर महादेव मंदिर सुल्याली
यहाँ भगवन शिव का छोटा सा मंदिर है परन्तु यहाँ पे बहने वाला झरना आप की सारी थकान मिटा देगा यह बहुत ही शांत भीड़ भाड़ से दूर जगह है पठानकोट से आपको नूरपुर जाना होगा वहां से सुल्याली
14 K.M है
काठगढ़ शिव मंदिर
यह पठानकोट से 30 K.M दूर है यहाँ के मंदिर की अद्भुत तथा हैरान
करने वाली भगवान शिव पारवती की शिला दो भागों
मैं बंटी है जो ऋतू के बदलने के साथ एक दुसरे के पास आती है व दूर हो जाती है
लक्ष्मी नारायण मंदिर
No comments:
Post a Comment