Sunday 11 June 2017

भलेई माता मंदिर -हिमाचल

हिमाचल प्रदेश में ऐसे मंदिरों, देवालयों और तीर्थस्थलों की कमी नहीं है, जिनकी मान्यताएं और रीति-रिवाज अनोखी हैं। डलहौजी से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर छोटे से गांव भलेई मैं
स्वयंभू प्रकट भद्रकाली माता का मंदिर है। यह मंदिर अपनी एक अजीब मान्यता को लेकर अधिक जाना जाता है, मान्यता है कि इस मंदिर में देवी माता की जो मूर्ति है, उस मूर्ति को पसीना आता है। देश के कोने-कोने से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। आम दिनों के मुकाबले नवरात्रि में दर्शनार्थियों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है।


मूर्ति पर आया हुआ पसीना  

भद्रकाली भलेई मंदिर का रोचक इतिहास

भलेई माता की चतुर्भुजी मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है  माता के बाएं हाथ में खप्पर और दाएं हाथ में त्रिशूल है। चंबा के राजा प्रताप सिंह द्वारा मंदिर का निर्माण करवाया गया। 60 के दशक तक यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। मां की भक्त दुर्गा बहन को मां ने स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया कि सबसे पहले दुर्गा बहन मां भलेई के दर्शन करेंगी, जिसके बाद अन्य महिलाएं भी मां भलेई के दर्शन कर सकती हैं। कहा जाता है कि एक बार चोर मां भलेई की प्रतिमा को चुरा कर ले गए थे। चोर जब चौहड़ा नामक स्थान पर पहुंचे तो एक चमत्कार हुआ। चोर जब मां की प्रतिमा को उठाकर आगे की तरफ बढ़ते तो वे अंधे हो जाते और जब पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें सब कुछ दिखाई देता। इससे भयभीत होकर चोर चौहड़ा में ही मां भलेई की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए थे। बाद में पूर्ण विधि विधान के साथ मां की दो फीट ऊंची काले रंग की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। माना जाता है कि मां जब प्रसन्न होती हैं तो प्रतिमा से पसीना निकलता है। पसीना निकलने का यह भी अर्थ है कि मां से मांगी गई मुराद पूरी होगी।

मंदिर की बनावट और वास्तुकला


हजारों साल पहले बने इस मंदिर की वास्तुकला को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है । मंदिर के मुख्य दरबार पर उड़ीसा के कलाकारों की कारीगरी का शानदार नमूना देखा जा सकता है। 



कैसे पहुंचें

भलेई गांव डलहौजी से 35 किमी दूर है। पठानकोट से डलहौजी की दूरी 82 किलोमीटर है। दिल्ली से 564 किमी., चंडीगढ़ से 325 किलोमीटर, कांगड़ा एयरपोर्ट से 120 किलोमीटर की दूरी पर है। 


पास ही डैम की बनी झील मैं आप नौका विहार का मज़ा भी ले सकते है





डैम 


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