Thursday 29 June 2017

कश्मीर को भूल जायेगे आप यहाँ आ कर -भदरवाह

भदरवाह

जम्मू से भद्रवाह 200 किलोमीटर दूर ऐसी जगह जहाँ की ख़ूबसूरती देख आप कश्मीर को भी भूल जायेगे - जम्मू संभाग मैं है -

पटनीटॉप से आगे  बटोट से 80 K.M  दूर यह  शहर  मिनी कश्मीर  के नाम से भी फेमस है इसे नागों  की भूमि भी कहा जाता है


भदरवाह - यह शिकार है सरकार की अनदेखी का -अपनी राजमाह के लिए प्रसीद इस छोटे से पहाड़ी कसबे मैं आप की छुटियाँ यादगार बनाने के लिए बहुत कुछ है


यहाँ का पट्ट मेला सोबर धार मेला लोक नृत्य कुद आप को दीवाना बनाने के लिए काफी है - लोक संगीत की मधुर धुनें तो आप को मदहोश ही कर देंगी



-हज़ार साल पुराणी मस्जिद एक क़िला वासुकि मंदिर -आप की तस्वीरों को चार चाँद लगा देंगे जम्मू से दो सौ किलोमीटर है -आप हिमाचल के चम्बा से भी यहाँ जा सकते है जो 90 K.M दूर है

गुरदंडा
भद्रवाह से बसोली के रास्ते मैं यह ग्लेशियर आप को हैरान कर देने वाली खूबसूरती से भरा पड़ा है



गुप्त गंगा

नेरू नदी के किनारे बने इस मंदिर मैं गंगा शिवलिंग पे गिरती है तथा मंदिर के अन्दर ही गुम हो जाती है इस लिए इसे गुप्त गंगा कहते है यहाँ भीमसेन के कदमो के निशान भी एक शिला पे मिलते है यह मंदिर केवल पत्थर के बड़ी बड़ी शिला से बना है  





लक्षमी नारायण मंदिर
यह मंदिर राजा हरी सिंह के वजीर शोभा राम ने बनवाया था लष्मी तथा  विष्णु जी संगमरमर की मुर्तिया बेमिसाल है


 वासुकी  नाग मंदिर
यहाँ वासुकि नाग के 4 मंदिर है नागराज वासुकी तथा राजा जामुते  वहन की   काले पत्थर से बनी मूर्ति अद्भुत कला  का प्रतिरूप है यह भद्रवाह का सबसे पुराना मंदिर है जो 11 वीं सदी में बना था। वासुकी का अर्थ संस्‍कृत में होता है - नाग। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, वासुकी नागों के राजा हुआ करते थे जिनके माथे पर नागमणि लगी थी।





नरसिंघा बजाता कलाकार  


स्थानीय कलाकारों के साथ लेखक



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