तिरुपति बाला
जी
"तिरुपति" तेलुगू शब्द से ली गई है।
तिरू ("दिव्य" या "पवित्र") और Pathi ("पति" या "भगवान") -वाराह पुराण के
अनुसार, भगवान श्री राम लंका से वापसी पर सीता देवी और लक्ष्मण के साथ यहां ठहरे थे।
प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए पुष्करणी तालाब के किनारे
निवास किया था। यह तालाब तिरुमाला के पास स्थित है। तिरुपति के चारों ओर स्थित
पहाड़ियां शेषनाग के 7 फनों के आधार पर बनीं 'सप्तगिरि' कहलाती हैं।
श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की 7वीं पहाड़ी पर स्थित है, जो 'वेंकटाद्री' नाम से
प्रसिद्ध है।इसी कारण यहां पर बालाजी को 'भगवान वेंकटेश्वर' के नाम से जाना
जाता है।यह भारत के
सबसे प्रसिद एवं धनी मंदिरो मैं से एक है इसका निर्माण 9th A.D मैं चोला
राजाओ ने करवाया था यहाँ भगवन विष्णु को वेंकटेश अवतार के रूप मैं पूजा जाता है मंदिर
के पास पुष्करणी नामक तालाब है मान्यता है
की यहाँ भगवान् विष्णु स्नान किया करते थे यहाँ पर अपने बाल अर्पित करने का अनोखा रिवाज
है यहाँ दर्शन करने के लिए आप पैसे से टिकट खरीद कर स्पेशल दर्शन भी कर सकते है यहाँ
की किचेन भी इंडिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है जहाँ भगतो के लिए लड्डू का प्रशाद
मिलता है जो आपको खरीदना पड़ता है यहाँ फोटोग्राफी वर्जित
है उपरोक्त फोटो 30 बरस पुराने है
शहर का स्वागती दरवाजा
गरब गृह का
दरवाजा
नारियल चढ़ाने की जगह
श्री वराहस्वामी मंदिर
यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार वराह स्वामी को
समर्पित है श्री वैंकटेश्वर मंदिर जाने से पहले श्री वराहस्वामी मंदिर के दर्शन करने की प्रथा है
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