'सांची स्तूप
साँची का बौद्ध विहार, महान स्तूप के लिये प्रसिद्ध है साँची स्तूप जगह एक
छोटे से गांव में है जो कि भोपाल से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इन
स्मारकों की संरचना 3 और 12 वीं सदी के बीच सम्राट अशोक ने इसे बनवाया था।
चौदहवीं सदी से लेकर वर्ष 1818 में जनरल टेलर द्वारा पुनः खोजे जाने तक सांची सामान्य जन की जानकारी से दूर बना रहा | ये स्तूप भगवान बुद्ध के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित है
स्तूप बड़े पैमाने पर एक बड़े पत्थर द्वारा बना होता है जिसमे चार रेलिंग द्वार होते है।ये रेलिंग बुद्ध के जीवन, और अन्य बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण महापुरूषों के जीवन से जुड़े हुए तथ्य दिखाए जाते है
सांची से मिलने
वाले अभिलेखों में इस स्थान को 'काकनादबोट' नाम से अभिहित किया गया है। सांची के स्तूप का व्यास 36.5
मी. और ऊँचाई लगभग 21.64 मी. है |
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद सबसे पहले जिस
स्तूप का निर्माण कराया वह सांची का स्तूप ही था|
वर्ष 1989 में
इसे युनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया
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