Sunday, 30 July 2017

चामुंडा देवी हिमाचल

चामुंडा
देव भूमि -हिमाचल प्रदेश को देवताओं के घर के रूप में जाना जाता है। पूरे हिमाचल प्रदेश में 2000 से भी ज्यादा मंदिर है और इनमें से ज्यादातर आकर्षक का केन्द्र बने हुए हैं। इन मंदिरो में समुद्र तल से 1000 मी की ऊंचाई पर बंकर नदी के किनारे जिला कांगड़ा में सौंदर्य पर्वत की आकर्षक पहाड़ियों के भीतर स्थित मंदिर चामुण्डा देवी का मंदिर है चामुण्डा देवी मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है। माता काली शक्ति और संहार की देवी है।चामुंडा शब्द दो शब्दों के मिलाप से बना है चण्ड तथा मुण्ड मान्यता है की देवी माँ ने चण्ड मुण्ड नमक राक्षशों का वध किया था इसलिए नाम चामुंडा पड़ा 


यह धर्मशाला से 15 कि॰मी॰ की दूरी पर है। यहां प्रकृति ने अपनी सुंदरता भरपूर मात्रा में प्रदान कि है। पराशक्तियों की साधना करने वालों की यह देवी आराध्य हैं। मत्स्य पुराण के अनुसार अंधकासुर नामक राक्षस से युद्ध के समय शिवजी ने मातृकाओं को उत्पन्न किया था और इन्हीं मातृकाओं में से एक चामुण्डा देवी भी हैं।
काँगड़ा से 28 K.M  दूर पहाड़ो के मध्य , नदी के किनारे इस मंदिर मैं एक छोटी सी गुफा के अन्दर शिव जी भी विराजमान है पास ही बोटिंग के लिए एक छोटी सी झील है  यहाँ नवरात्रो की अष्टमी को आधी रात को खास पूजा होती है एवं माता को 56  से लेकर 365  प्रकार के भोग लगाए जाते है ,
दरबार



मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। मंदिर बड़ा लंबा और दो

 मंजिला है जिसमें प्रथम तल पर ही मां की भव्य मंदिर विराजमान है। मंदिर

 में एक बड़ा हाल है जहां भक्त कतार में मां के दर्शन करते हैं। मूर्ति के ऊपर

 ही एक छोटा शिखर है और शेष छत सपाट ही है। नीचे की मंजिल में यात्री

 स्नान आदि करके आते हैं। 
शिव लिंग
मुख्य मंदिर के पीछे गहरी गुफा में एक शंकर मंदिर है जिसमें एक बार में केवल एक ही भक्त प्रवेश कर पाता है। यह पाताल मंदिर दर्शनीय है







परन्तु मंदिर प्रबंधक ज्यादा तर प्रशाद अपने लोगो एवं रिश्तेदारों मैं बाँट देते है परन्तु निराश हो बहुत से भगत आपकी सेवा मैं वहां आपको प्रशाद  बांटते मिल जाये गए , मंदिर मैं फोटो खींचने की मनाही है परन्तु पंडित जी कुछ सेवा के बदले आप की यह इच्छा भी पूरी कर देंगे , पास के संस्कृत स्कूल के बच्चे भी अष्टमी को करम कांड सीखने के लिए उपस्तिथ रहते है , आप से निवेदन है की उनकी हरकतों पे धयान दे - हां कुछ भगत पूरी आत्मा से आप को भजन सुनाते गाते आप को मंतर मुग्ध कर देंगे यहाँ की एक वरना योग्य बात है 



मंदिर के पास एक शमशान का होना यहाँ पर हर रोज एक मुर्दा जलाया जाता है यदि किसी दिन कोई शव नहीं आता तो घास का शव बना कर जलाते है 


मंदिर के पास बहुत सी धर्मशाला है जहाँ पर रहने का बहुत अच्छा एवं सस्ता प्रबंध है मंदिर की अपनी भी धर्मशाला है जहाँ आप कमरे बुक कर सकते है



चामुंडा देवी मंदिर मे दो साल से पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है -नए प्रारूप मे माता ज्वाला जी एवं ब्रजेश्वरी मंदिर काँगड़ा की तरह ही इसके ऊपर तीन शिखर बनाने का प्रस्ताव है -गर्भ गृह पर 60 फ़ीट ऊँचा,मंडप हॉल पर 4 0 फ़ीट ऊँचा , ,  प्रवेश द्वार पर 30 फ़ीट ऊँचा शिखर बनाया जाये गा इसके इलावा डिस्प्ले स्क्रीन लगाने का कार्य भी चल रहा है 




एक वरन योग्य बात कलाकारों के लिए है यहाँ नवरात्रो मैं अष्टमी वाले दिन हिमाचल संगीत परिषद क्लासिकल संगीत का बहुत ही अच्छा प्रोग्राम आयोजित करती है जिसमे कभी कभी क्लासिकल नृत्य भी पेश किया जाता है संगीत प्रेमी माँ के दरबार मैं भक्ति के साथ संगीत का आनंद भी ले सकते है






मंदिर प्रांगण में ही एक बड़ा सुंदर सरोवर है जिसमें वाणगंगा से स्वच्छ जल 

आता रहता है। संजय घाट नव निर्मित घाट है जिसमें वाणगंगा को नियंत्रित 

करके स्नान योग्य बनाया गया है। जहां यात्री सुगमता से स्नान आदि कर 






सकते हैं। 

इसके अलावा मंदिर प्रांगण के आसपास अनेक छोटे-बड़े मंदिर विभिन्न देवी-

देवताओं के  हैं जो सभी दर्शिनीय हैं।






एक अन्य किंवदंती के अनुसार, देवी चामुंडा को राक्षस जालंधर और भगवान शिव के बीच युद्ध में, रुद्र की उपाधि के साथ एक प्रमुख देवी के रूप में विस्थापित किया गया था, जिसने इस स्थान को पौराणिक बना दिया है और जिसे ‘रुद्र चामुंडा’ के नाम से जाना जाता है। इतिहास के अनुसार चामुंडा देवी मंदिर 700 साल पहले बनाया गया था। मंदिर के बगल में ही एक संस्कृत महाविद्यालय, एक आयुर्वेदिक औषधालय और एक पुस्तकालय है। पुस्तकालय में संस्कृत की पुस्तकों, वेदों और उपनिषदों पर कई पुरानी पांडुलिपियां हैं

https://youtu.be/WEXL3lIC80I

Air port kangra 28 Railway station 100  Pathankot broad gauge

Small gauge kangra



Friday, 28 July 2017

पूना

पुणे
यह शहर जहाँ अपनी इतिहास की गाथा , शनिवार वाडा ,आगा खान पैलेस के लिए पर्सिद है यहाँ का डगरु सेठ का गणेश भगवन का मंदिर यदि आस्था का केंद्र है वही पर यहाँ लगा स्ट्रीट मार्किट पुणे की आम जनता का पैसा कमाने का केंद्र है यहाँ का सितार घर यदि किसी कलाकार को समर्पित है तो वही पर यहाँ के क़िले लड़ाई , धोखे , रकत रंजित इतिहास की कई कहानिया भी सुना देते है - केलकर म्यूजियम मैं  यदि इतिहास की झलक पा आप थक जाये तो पुणे से 100 K.M  दूर ज्योति लिंगम भीमाशंकर के द्वारे पर भी जा सकते है हा भीमाशंकर जा नरम और स्वादिष्ट भुटे का आनंद लेना न भूले, बच्चों को रेलवे के बारे मैं कुछ जानकारी देना चाहते है तो जोशी जी के रेल म्यूजियम मैं वकत गुजारे यहाँ मिनी मॉडल्स है , जिसको देख लगता है हम स्कूल की दुनिया मैं आ गए है है गाड़ी पार्क का रिस्क आप का अपना है इस शहर को एक और आदमी ने वर्ल्ड मैं फेमस किया था वो थे ओशो रजनीश , आप चाहे तो उनके आश्रम भी जा सकते है , यहाँ का महाराष्ट्रियन खाना मिसाल पाव , झुनका बाकरी  आपको हमेशा याद रहे गा पुणे  अपने शीतल पय मस्तानी के लिए भी पर्सिद है यहाँ के ऑडिटोरिम मैं चल रहे नृत्य , संगीत , कला के प्रोग्राम देखना न भूलेआग़ा खान पैलेस

आगा खान पैलेस1892 ईस्वी में सुल्तान मोहम्मद शाह आगा खान तृतीय द्वारा बनाया गया था।महल में महादेभाई देसाई और कस्तूरबा गांधी के सुंदर संगमरमर के स्मारक हैं। 2003 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस जगह को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया।

डगरु सेठ गणपति मंदिर


डगरु सेठ गणपति मंदिर- पुणे के बुधवार पेठ में मंदिर स्थित है। सोने से सजा यह मंदिर करीब 125 साल पुराना है। दगडुसेठ गणपति मंदिर को श्री दगडुसेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई ने बनवाया था इस मंदिर की स्थापना 1893 में हुई। गणेश मूर्ति 7.5 फीट लंबी और 4 फीट चौड़ी है।


राजा दिनकर केलकर म्यूजियम

राजा दिनकर केलकर संग्रहालययह 1962 में स्थापित किया गया था, डॉ. दिनकर केलकर कीव्यक्तिगत कलेक्शन थी  उन्होंने 1920 से 1960 तक कलाकृतियों को इकट्ठा करना शुरू किया 1975 में, उन्होंने अपना पूरा संग्रह  सरकार को सौंप दिया








श्री कसबा गणपति मंदिर
 इस मंदिर में श्री गणेश को ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है। महारानी जीजाबाई ने मंदिर की स्थापना करवाई





लाल महल
शिवाजी के पिता शाहजी भोसले ने 1630 सीई में अपनी पत्नी जिजाबाई और बेटे के लिए इस महल की स्थापना की




महात्मा फुले मंडई 

महात्मा फुले मंडई या मंडी केंद्रीय सब्जी बाज़ार है जिसकी स्थापना अंग्रेजों ने 1885  में की थी। तत्पश्चात विभिन्न वाड़ों के बाहर स्थित भाजी बाज़ार भी यहाँ स्थानांतरित हो गए। यह एक अनोखा अष्टभुजाकार संरचना है जिसके मध्य एक मीनार है।


महालक्मी मंदिर सरस बाग़ के सामने ही है

सरस बाग़
 सरसबाग मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। मूल मूर्ति कुरुंड पत्थर से बना थी,  तब से मूर्ति को दो बार बदल दिया गया है, एक बार 1882 ईस्वी में और दूसरी बार 1990 ईस्वी में, वर्ष 1995 में इस जगह पर एक छोटा संग्रहालय जोड़ा गया था, मंदिर सभी तरफ से पानी के तालाब से घिरा हुआ है।

शनिवार वाडा
शनिवार वाडाकी नींव 1730 ईस्वी में बाजीराव आई ने रखी थी और निर्माण 1732 ईस्वी में पूरा हो गया था।इस सात मंजिला संरचना को 1828 में आग दुर्घटना से काफी नुक्सान हुआ था



ट्राइबल म्यूजियम




विश्रामबाग वाड़ा 

11 वीं शताब्दी में बना विश्राम बाग़ वाड़ा पेशवा बाजीराव द्वितीय का निवासस्थान था। इस वाड़े का सबसे खूबसूरत हिस्सा है इसका लकड़ी का बना अग्रभाग

राजीव गांधी चिड़ियाघर

130 एकड़ फैला है ,चिड़ियाघर को तीन हिस्सों में बांटा गया हैइसमें 362 जानवर हैंसांपों की 22 प्रजातियां हैं


सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम,--सुजानपुर तिहरा हिमाचल

 सुजानपुर तिहरा हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले का एक शहर है। 18वीं शताब्दी में कटोच राजवंश द्वारा स्थापित है।हमीरपुर पालमपुर रोड पर हमीरपुर स...