चामुंडा
देव भूमि -हिमाचल प्रदेश को देवताओं के घर के
रूप में जाना जाता है। पूरे हिमाचल प्रदेश में 2000 से भी
ज्यादा मंदिर है और इनमें से ज्यादातर आकर्षक का केन्द्र बने हुए हैं। इन मंदिरो
में समुद्र तल से 1000 मी की ऊंचाई पर बंकर नदी के किनारे जिला कांगड़ा में सौंदर्य
पर्वत की आकर्षक पहाड़ियों के भीतर स्थित मंदिर चामुण्डा देवी का मंदिर है चामुण्डा
देवी मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है। माता काली शक्ति और संहार की देवी
है।चामुंडा शब्द दो शब्दों के मिलाप से बना है चण्ड तथा मुण्ड मान्यता है की देवी माँ ने चण्ड मुण्ड नमक राक्षशों का वध किया था इसलिए नाम चामुंडा पड़ा
यह धर्मशाला से 15 कि॰मी॰ की दूरी पर
है। यहां प्रकृति ने अपनी सुंदरता भरपूर मात्रा में प्रदान कि है। पराशक्तियों की
साधना करने वालों की यह देवी आराध्य हैं। मत्स्य पुराण के अनुसार अंधकासुर नामक
राक्षस से युद्ध के समय शिवजी ने मातृकाओं को उत्पन्न किया था और इन्हीं मातृकाओं
में से एक चामुण्डा देवी भी हैं।
काँगड़ा से 28 K.M दूर पहाड़ो के मध्य , नदी के किनारे इस मंदिर मैं एक छोटी सी गुफा के अन्दर शिव जी भी विराजमान है पास ही बोटिंग के लिए एक छोटी सी झील है यहाँ नवरात्रो की अष्टमी को आधी रात को खास पूजा होती है एवं माता को 56 से लेकर 365 प्रकार के भोग लगाए जाते है ,
दरबार
मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। मंदिर बड़ा
लंबा और दो
मंजिला है जिसमें प्रथम तल पर ही मां की भव्य मंदिर विराजमान है। मंदिर
में एक बड़ा हाल है जहां भक्त कतार में मां के दर्शन करते हैं। मूर्ति के ऊपर
ही एक
छोटा शिखर है और शेष छत सपाट ही है। नीचे की मंजिल में यात्री
स्नान आदि करके आते
हैं।
शिव लिंग
मुख्य मंदिर के पीछे गहरी गुफा में एक शंकर मंदिर है
जिसमें एक बार में केवल एक ही भक्त प्रवेश कर पाता है। यह पाताल मंदिर दर्शनीय है
परन्तु मंदिर प्रबंधक ज्यादा तर प्रशाद अपने लोगो एवं रिश्तेदारों मैं बाँट देते है परन्तु निराश न हो बहुत से भगत आपकी सेवा मैं वहां आपको प्रशाद बांटते मिल जाये गए , मंदिर मैं फोटो खींचने की मनाही है परन्तु पंडित जी कुछ सेवा के बदले आप की यह इच्छा भी पूरी कर देंगे , पास के संस्कृत स्कूल के बच्चे भी अष्टमी को करम कांड सीखने के लिए उपस्तिथ रहते है , आप से निवेदन है की उनकी हरकतों पे धयान न दे - हां कुछ भगत पूरी आत्मा से आप को भजन सुनाते गाते आप को मंतर मुग्ध कर देंगे यहाँ की एक वरना योग्य बात है
मंदिर के पास एक शमशान का होना यहाँ पर हर रोज एक मुर्दा जलाया जाता
है यदि किसी दिन कोई शव नहीं आता तो घास का शव बना कर जलाते है
मंदिर के पास बहुत सी धर्मशाला है जहाँ पर रहने का बहुत अच्छा एवं
सस्ता प्रबंध है मंदिर की अपनी भी धर्मशाला है जहाँ आप कमरे बुक कर सकते है
चामुंडा देवी मंदिर मे दो साल से
पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है -नए प्रारूप मे माता ज्वाला जी एवं ब्रजेश्वरी मंदिर
काँगड़ा की तरह ही इसके ऊपर तीन शिखर बनाने का प्रस्ताव है -गर्भ गृह पर 60 फ़ीट
ऊँचा,मंडप हॉल पर 4 0 फ़ीट ऊँचा , , प्रवेश
द्वार पर 30 फ़ीट ऊँचा शिखर बनाया जाये गा इसके इलावा डिस्प्ले स्क्रीन लगाने का
कार्य भी चल रहा है
एक वरन योग्य बात कलाकारों के लिए है यहाँ नवरात्रो मैं अष्टमी वाले
दिन हिमाचल संगीत परिषद क्लासिकल संगीत का बहुत ही अच्छा प्रोग्राम आयोजित करती है
जिसमे कभी कभी क्लासिकल नृत्य भी पेश किया जाता है संगीत प्रेमी माँ के दरबार मैं भक्ति
के साथ संगीत का आनंद भी ले सकते है
मंदिर प्रांगण में ही एक बड़ा सुंदर सरोवर है जिसमें
वाणगंगा से स्वच्छ जल
आता रहता है। संजय घाट नव निर्मित घाट है जिसमें वाणगंगा को
नियंत्रित
करके स्नान योग्य बनाया गया है। जहां यात्री सुगमता से स्नान आदि कर
सकते हैं। इसके अलावा मंदिर प्रांगण के आसपास
अनेक छोटे-बड़े मंदिर विभिन्न देवी-
देवताओं के हैं जो सभी दर्शिनीय
हैं।
एक अन्य किंवदंती के अनुसार, देवी
चामुंडा को राक्षस जालंधर और भगवान शिव के बीच युद्ध में, रुद्र
की उपाधि के साथ एक प्रमुख देवी के रूप में विस्थापित किया गया था, जिसने इस स्थान को पौराणिक बना दिया है और जिसे ‘रुद्र चामुंडा’ के नाम से
जाना जाता है। इतिहास के अनुसार चामुंडा देवी मंदिर 700 साल पहले
बनाया गया था। मंदिर के बगल में ही एक संस्कृत महाविद्यालय, एक
आयुर्वेदिक औषधालय और एक पुस्तकालय है। पुस्तकालय में संस्कृत की पुस्तकों, वेदों और उपनिषदों पर कई पुरानी
पांडुलिपियां हैंhttps://youtu.be/WEXL3lIC80I
Air port kangra 28 Railway station
100 Pathankot broad gauge
Small gauge –
kangra
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