मथुरा
का वर्णन रामायण काल से पुराणों मैं पाया जाता है कृष्ण भगवन का जनम अस्थान होने के
कारण हिन्दुओ का तीर्थ सथल है गोकुल यहाँ से
15 K.M दूर है यहाँ पर कृष्ण का बचपन गुजरा
था
मोक्षदायिनी सप्त पुरियों अयोध्या द्वारका माया(हरिद्वार) काशी कांचीपुरम और
अवन्तिका (उज्जैन) में मथुरा की भी गणना है।
यह म्यूजियम लाल पत्थरों से बनी एक आठ कोने वाली इमारत है जिसकी स्थापना 1874 में
FS ग्रोव्स ने की थी
होली
गेट से जब आप पैदल विश्राम घाट की तरफ जाये तो रस्ते मैं छत्ता बाजार मैं आपको मथुरा
के पकवानो के जायके लेने के लिए अनगिनत दुकाने मिले गी यहाँ के बिरजवासी के पेड़े उसके
बिलकुल सामने छोटी सी ओमा पहलवान कीदूकान पे कचोरी तथा तब्के के आलू ,अन्नपूर्णा का ढोकला , रस मलाई , द्वारकादीश मंदिर की रबड़ी ,
आप के स्वाद को यादगार बना देगी यहाँ हींग
का इस्तेमाल बहुत होता है रेलवे रोड पे
स्टेट बैंक चौराहे के पास एक ढाबे पे आप को बहुत ही उम्दा एवं सस्ता खाना मिले गा
होली गेट
द्वारकादीश
मंदिर मथुरा
यहाँ
का सबसे बड़ा एवं सबसे पुराण मंदिर है भगवन
कृष्ण को समर्पित यह मंदिर--- राजस्थानी कारीगरी का नमूना है इसका प्रवेश द्वार--- इस मंदिर की एक और खास बात है यहाँ भगवन को लगने
वाले 56 भोग का प्रशाद - भारत मैं दिन के 8 पहर मने जाते है 8 पहर और 7 दिन बनते है
56
और इस प्रशाद की एक और खास बात है की यहाँ आप को प्रशाद दिया नहीं जाता अपितु
आप को खरीद कर खाना पड़े गा विश्राम घाट के
किनारे खड़ा यह मंदिर 1814 का बना है
विश्राम घाट
विश्राम घाट के उत्तर दिशा में 12 घाट दक्षिण की ओर 11 घाट है विश्राम घाट के
किनारे मथुरा के कुछ मुख्य तीर्थस्थल भी हैं मुकुट मंदिर, राधा-दामोदर, मुरली मनोहर, नीलकंठेश्वर, यमुना-कृष्णा, लांगली हनुमान और
नरसिहं मंदिर। विश्राम घाट पर हर शाम होने वाली आरती एक अलग एहसास से तृप्त कर जाती हैं।
कृष्ण
जन्म भूमि मंदिर
इस मंदिर के बारे मैं मान्यता है की यह मंदिर उस
स्थान पर बना है जहाँ पे राजा कंस ने भगवन कृष्ण के माँ बाप को कैद कर रखा था यहीं
कैदखाने मैं उनका जन्म हुआ था यहाँ पास ही एक मस्जिद भी है जो मुस्लिम शासको ने मंदिर
तोड़ कर बनवा दी थी आज मस्जिद का प्रवेश द्वार तथा मंदिर का प्रवेश द्वार अलग अलग दिशा
मैं है यह मंदिर बहुत बार बनवाया गया एवं शासको द्वारा तोडा गया इतिहास कार कहते है
अभी तक 17 बार यह मंदिर तोडा जा चूका है चौथी बार मंदिर ओरछा के राजा वीर देव सिंह बुंदेला ने बनवाया
था जिसे 1678 मैं औरंगजेब
ने तुड़वा कर मस्जिद का निर्माण करवा दिया था
आज का
मंदिर 1965 का बना है इसे केशवदेव मंदिर भी कहते है
गोकुल मथुरा से 15 K.M दूर है यहाँ पर कृष्ण का बचपन गुजरा था
नन्द भवन
लोक मान्यता है कि
5000 वर्ष पूर्व विश्वकर्मा ने नन्द भवन बनाया था।
वृन्दावन
श्री कृष्ण की बाल लीला का स्थान माना जाता
है यहाँ कृष्ण बलराम मंदिर , इस्कॉन मंदिर , अक्षय पत्र , निधि वन , टेड़े खम्बो का मंदिर रंगनाथ मंदिर , पागल बाबा
मंदिर ,प्रेम मंदिर देखने लायक मंदिर है
बिरला मंदिर
पागल बाबा मंदिर
गोविंद देव मंदिर
गोविंद देव मंदिर का निर्माण आमेर के राजा मान सिंह ने 1590 में एक करोड़ रूपए में कराया था। औरंगज़ेब के
शासनकाल के दौरान 1670 में यह मंदिर लूट कर सात मंजिला इमारत को तोड़ दिया इसलिए अब
केवल तीन मंजिला इमारत बची हुई है।
टेड़े खम्बो का मंदिर
निधिवन
वह स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा ने रास लीला किया था।मान्यता है कि
वहां हर रात भगवान श्रीकृष्ण और राधा रास रचाने आते हैं। निधिवन में मौजूद पंडित और
महंत बताते हैं कि हर रात भगवान श्री कृष्ण के कक्ष में उनका बिस्तर सजाया जाता है।
दातुन और पानी का लोटा रखा जाता है। जब सुबह मंगला आरती के लिए पंडित उस कक्ष को खोलते
हैं तो लोटे का पानी खाली, दातुन गिली, पान खाया हुआ और कमरे का सामान बिखरा हुआ मिलता
है।निधिवन में मौजूद पेड़ भी अपनी तरह के बेहद ख़ास हैं। जहां आमतौर पर पेड़ों की शाखाएं
ऊपर की ओर बढ़ती है। वहीं निधि वन में मौजूद पेड़ों की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती हैं।निधिवन
के आसपास मौजूद घरों में लोगों ने उस तरफ खिड़कियां नहीं लगाई हैं। जिन मकानों में
खिड़कियां हैं भी, वो शाम सात बजे मंदिर की आरती का घंटा बजते ही बंद कर लेते हैं।
बांके
बिहारी जी का मंदिर
इस मंदिर
की खास बात यह है की यहाँ कृष्ण एवं राधा जी
की मूर्ति एकाकार है
भगवान
रंगनाथ मंदिर
1851 में
बना यह भगवान रंगनाथ को समर्पित 30 मीटर की ऊँचाई पर बना
गोपुरम दक्षिण
भारतीय वास्तुकला की झलक देता है इस मंदिर का प्रवेश द्वार राजपूत शैली का है तथा । यह मंदिर शेषनाग की शैया पर आराम करते भगवान विष्णु
के इस रूप को सामने लाता है। द्रविड़ियन शैली में बने इस मंदिर का गोपुरम (प्रवेश
द्वार) छह मंजिला है। इसका सोने का पत्थर जड़ा ध्वज स्तंभ 50 फीट ऊंचा है।
मंदिर के प्रांगण में तालाब है
इटालियन प्रभावित स्तंभ
प्रेम
मंदिर वृन्दावन
सबसे
नया मंदिर है 2012 मैं पब्लिक को प्रवेश की अनुमति दी गयी थी इसे बनाने मैं 12 साल
और
150 करोड़ का खर्चा आया आज की आधुनिक
साज सज्जा के साथ बहुत ही खूबसूरत है कृपालु जी महाराज ने इसे बनवाया है
प्रेम मंदिर की सजावट मॉडर्न तरीके से की गई है. रात के
वक्त इसका रंग हमेशा बदलता रहता है.
इस्कॉन
मंदिर
दिल्ली से मथुरा की दूरी 183 किलोमीटर है. आगरा
से मथुरा की दूरी 56 किलोमीटर है.
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