बाटेश्वर ,पड़ावली ,मितावली
बटेश्वर
यहाँ एक मंदिर नहीं मंदिरो की एक बस्ती है इसके बनाने के कारण अभी समाज मैं नहीं आया है यह मंदिर 8 से 10 th A.D मैं बने है ग़ुज्जर राजाओ ने इसका निर्माण करवाया था सभी मंदिर भगवन शिव एवं विष्णु को समर्पित है यह खण्डार बन चुके मंदिरों को भारतीय पुरातत्व विभाग जीर्णोद्वार कर रहा है पुरातत्वविद के के मुहम्मद ने इन मंदिरो को नया जीवन
दिया यहाँ करीब 200 मंदिर है जिसमे से 100
का जीर्णोद्वार बाकी है 2005 से भारतीय पुरातत्व विभाग जीर्णोद्वार का काम कर रहा है डाकू निर्भय सिंह गुज्जर का इस एरिया मैं आंतक था
परन्तु के के मुहम्मद ने उससे कई बार बात की और उसको मंदिरों के जीर्णोद्वार करने के
लिए राजी कर लिया
पडावली
कभी डाकुओ के लिए बदनाम इस गांव गड़ी पडावली मैं आप भारतीय वास्तु कला का अद्भुत
नज़ारा देख कर आप दांतो मैं ऊँगली दबा लेंगे 8 A.D मैं बने इस मंदिर के चारो और क़िले
19th A.D मैं गोहद के जाट राणा ने बनवाया था
मंदिर के मुख्या द्वार पे एक शेर तथा शेरनी की मूर्ति है कुछ सीढ़ी
चढ़ कर आता है मंडप -और छा जाता है जादू
यहाँ रामायण ,महाभारत ,कृष्ण लीला , समुन्दर मंथन , तथा खुजराहो
के मंदिरो की तरह छत पे कुछ कामुक मुद्रा भी है
चौसठ योगिनी मंदिर----मितावली- ग्वालियर से 40 किलोमीटर
1oo सीढ़ी चढ़ कर, 125 फ़ीट ऊँची पहाड़ी पर 64 योगिनी मंदिर की पहली झलक पा कर आप को लगे गा आप भारत की संसद के सामने खड़े है - कहते है भारत की संसद का डिज़ाइन इसी मंदिर पर आधारित है महाराजा देव पाला ने यह मंदिर 1323 A.D मैं बनवाया था 1000 साल पहले यहाँ हिन्दू करम कांडो , तंत्र मंत्र पढ़ाने का विश्व विधालय था इसके अन्दर 64 मंदिर है जिसमे शिव लिंग रखे हुए है परन्तु यहाँ न तो मंडप है न गरब ग्रह न ही शिखर बने
है यह बाहरी रूप से 170 फीट की त्रिज्या के साथ
आकार में गोलाकार है
यहाँ की एक और खास बात है बारिश के पानी को संभiल के रखने के लिए मंदिर के आर्किटेक्ट मैं इस्तेमाल किये गए तरीके
भारत मैं और भी योगिनी मंदिर है
अन्य 2 योगिनी मंदिर रानीपुर झरिआल , हीरापुर
उड़ीसा मैं , एक मंदिर जबलपुर
एवं एक मंदिर खुजराहो मैं है
चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना, जिसे एकट्टसो
महादेव मंदिर भी कहा जाता है,
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