Friday 28 July 2017

पूना

पुणे
यह शहर जहाँ अपनी इतिहास की गाथा , शनिवार वाडा ,आगा खान पैलेस के लिए पर्सिद है यहाँ का डगरु सेठ का गणेश भगवन का मंदिर यदि आस्था का केंद्र है वही पर यहाँ लगा स्ट्रीट मार्किट पुणे की आम जनता का पैसा कमाने का केंद्र है यहाँ का सितार घर यदि किसी कलाकार को समर्पित है तो वही पर यहाँ के क़िले लड़ाई , धोखे , रकत रंजित इतिहास की कई कहानिया भी सुना देते है - केलकर म्यूजियम मैं  यदि इतिहास की झलक पा आप थक जाये तो पुणे से 100 K.M  दूर ज्योति लिंगम भीमाशंकर के द्वारे पर भी जा सकते है हा भीमाशंकर जा नरम और स्वादिष्ट भुटे का आनंद लेना न भूले, बच्चों को रेलवे के बारे मैं कुछ जानकारी देना चाहते है तो जोशी जी के रेल म्यूजियम मैं वकत गुजारे यहाँ मिनी मॉडल्स है , जिसको देख लगता है हम स्कूल की दुनिया मैं आ गए है है गाड़ी पार्क का रिस्क आप का अपना है इस शहर को एक और आदमी ने वर्ल्ड मैं फेमस किया था वो थे ओशो रजनीश , आप चाहे तो उनके आश्रम भी जा सकते है , यहाँ का महाराष्ट्रियन खाना मिसाल पाव , झुनका बाकरी  आपको हमेशा याद रहे गा पुणे  अपने शीतल पय मस्तानी के लिए भी पर्सिद है यहाँ के ऑडिटोरिम मैं चल रहे नृत्य , संगीत , कला के प्रोग्राम देखना न भूलेआग़ा खान पैलेस

आगा खान पैलेस1892 ईस्वी में सुल्तान मोहम्मद शाह आगा खान तृतीय द्वारा बनाया गया था।महल में महादेभाई देसाई और कस्तूरबा गांधी के सुंदर संगमरमर के स्मारक हैं। 2003 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस जगह को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया।

डगरु सेठ गणपति मंदिर


डगरु सेठ गणपति मंदिर- पुणे के बुधवार पेठ में मंदिर स्थित है। सोने से सजा यह मंदिर करीब 125 साल पुराना है। दगडुसेठ गणपति मंदिर को श्री दगडुसेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई ने बनवाया था इस मंदिर की स्थापना 1893 में हुई। गणेश मूर्ति 7.5 फीट लंबी और 4 फीट चौड़ी है।


राजा दिनकर केलकर म्यूजियम

राजा दिनकर केलकर संग्रहालययह 1962 में स्थापित किया गया था, डॉ. दिनकर केलकर कीव्यक्तिगत कलेक्शन थी  उन्होंने 1920 से 1960 तक कलाकृतियों को इकट्ठा करना शुरू किया 1975 में, उन्होंने अपना पूरा संग्रह  सरकार को सौंप दिया








श्री कसबा गणपति मंदिर
 इस मंदिर में श्री गणेश को ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है। महारानी जीजाबाई ने मंदिर की स्थापना करवाई





लाल महल
शिवाजी के पिता शाहजी भोसले ने 1630 सीई में अपनी पत्नी जिजाबाई और बेटे के लिए इस महल की स्थापना की




महात्मा फुले मंडई 

महात्मा फुले मंडई या मंडी केंद्रीय सब्जी बाज़ार है जिसकी स्थापना अंग्रेजों ने 1885  में की थी। तत्पश्चात विभिन्न वाड़ों के बाहर स्थित भाजी बाज़ार भी यहाँ स्थानांतरित हो गए। यह एक अनोखा अष्टभुजाकार संरचना है जिसके मध्य एक मीनार है।


महालक्मी मंदिर सरस बाग़ के सामने ही है

सरस बाग़
 सरसबाग मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। मूल मूर्ति कुरुंड पत्थर से बना थी,  तब से मूर्ति को दो बार बदल दिया गया है, एक बार 1882 ईस्वी में और दूसरी बार 1990 ईस्वी में, वर्ष 1995 में इस जगह पर एक छोटा संग्रहालय जोड़ा गया था, मंदिर सभी तरफ से पानी के तालाब से घिरा हुआ है।

शनिवार वाडा
शनिवार वाडाकी नींव 1730 ईस्वी में बाजीराव आई ने रखी थी और निर्माण 1732 ईस्वी में पूरा हो गया था।इस सात मंजिला संरचना को 1828 में आग दुर्घटना से काफी नुक्सान हुआ था



ट्राइबल म्यूजियम




विश्रामबाग वाड़ा 

11 वीं शताब्दी में बना विश्राम बाग़ वाड़ा पेशवा बाजीराव द्वितीय का निवासस्थान था। इस वाड़े का सबसे खूबसूरत हिस्सा है इसका लकड़ी का बना अग्रभाग

राजीव गांधी चिड़ियाघर

130 एकड़ फैला है ,चिड़ियाघर को तीन हिस्सों में बांटा गया हैइसमें 362 जानवर हैंसांपों की 22 प्रजातियां हैं


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